
Report: संदीप मिश्रा, रायबरेली | Kadak Times
ऊंचाहार (रायबरेली):
भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर ऊंचाहार के नेवादा गांव में भाजपा ओबीसी मोर्चा द्वारा एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर मोर्चा के प्रांतीय मंत्री अभिलाष कौशल ने कहा कि डॉ. मुखर्जी का सपना था कि भारत एकजुट राष्ट्र बने, जिसमें अलग-अलग व्यवस्थाओं की कोई जगह न हो।
उन्होंने कहा कि “एक देश, एक विधान, एक निशान” की जो अवधारणा डॉ. मुखर्जी ने वर्षों पहले रखी थी, उसे आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हकीकत में बदल दिया है।
370 हटाकर बदली देश की तस्वीर
कार्यक्रम में कौशल ने अनुच्छेद 370 और 35ए की चर्चा करते हुए कहा कि ये दोनों प्रावधान जम्मू-कश्मीर को भारत से पूरी तरह जोड़ने में सबसे बड़ी बाधा थे। प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी ने 2019 में संसद में इस अनुच्छेद को हटाकर एक ऐतिहासिक फैसला लिया, जिससे जम्मू-कश्मीर अब पूरे भारत का अभिन्न अंग बन गया है।
अभिलाष कौशल ने कहा,
“डॉ. मुखर्जी ने 1950 के दशक में ही इन विशेषाधिकारों का विरोध शुरू किया था। उन्होंने बिना परमिट जम्मू-कश्मीर में प्रवेश किया और गिरफ्तारी दी। दुर्भाग्यवश, रहस्यमयी परिस्थितियों में 23 जून 1953 को उनकी मृत्यु हो गई। परंतु आज उनका बलिदान व्यर्थ नहीं गया।”
मोदी सरकार की नीतियों को बताया राष्ट्रवादी दृष्टिकोण
कौशल ने कहा कि मोदी सरकार ने न केवल अनुच्छेद 370 को समाप्त कर डॉ. मुखर्जी के सपनों को पूरा किया है, बल्कि पूरे देश में राष्ट्रवादी विचारधारा को मजबूती से स्थापित किया है। आज भारत वैश्विक मंच पर एक सशक्त और एकजुट राष्ट्र के रूप में खड़ा है।
कार्यक्रम में हुई जनभागीदारी 
इस अवसर पर भाजपा ओबीसी मोर्चा के मंडल अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद यादव, विजय पाल, अमरेश यादव, हरिशंकर साहू, राकेश मौर्य, अनुज कुमार, सुशील कुमार, रामखेलावन, राजेश पासी, और श्यामलाल रविदास समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ता एवं ग्रामीण उपस्थित रहे। सभी ने डॉ. मुखर्जी के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का योगदान
डॉ. मुखर्जी ने न केवल एक राजनीतिक संगठन की स्थापना की, बल्कि भारत की एकता और अखंडता के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी। उनका विरोध था उस व्यवस्था के खिलाफ, जिसमें एक ही देश में दो विधान और दो झंडे हों। उनका कहना था:
“एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान स्वीकार नहीं होंगे।“
उनके इन्हीं विचारों ने भारतीय राजनीति में राष्ट्रवाद की मजबूत नींव रखी।
जनता से अपील
कार्यक्रम में युवाओं से आग्रह किया गया कि वे डॉ. मुखर्जी के विचारों को पढ़ें, उन्हें समझें और अपने जीवन में उतारें। आज जब राष्ट्रवाद की भावना फिर से जागृत हो रही है, ऐसे में डॉ. मुखर्जी के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता।
निष्कर्ष:
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जीवन और बलिदान आज भी देश के लिए एक प्रेरणा है। उनकी सोच और विचारधारा को आज नरेंद्र मोदी सरकार ने जीवंत कर दिखाया है। ऊंचाहार का यह आयोजन न केवल श्रद्धांजलि था, बल्कि यह एक विचार यात्रा थी, जो भारत को एकसूत्र में पिरोने की दिशा में आगे बढ़ा रही है।