
रिपोर्टर: आशीष श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ – उत्तर प्रदेश
गोंडा, 23 जून 2025।
जिला प्रशासन में लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी—यह संदेश जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने तब दिया जब करनैलगंज तहसील में एक मामूली सीमांकन कार्य को लगभग 11 महीनों तक लटकाए रखा गया। इस लापरवाही के लिए उन्होंने राजस्व निरीक्षक अवनीश मिश्र को मध्यावधि विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि देते हुए सख्त चेतावनी पत्र जारी किया है।
मामला क्या था?
ग्राम बटौता बख्तावर सिंह निवासी धनीराम पुत्र अलगू ने अपनी भूमि गाटा संख्या 399 (0.226 हेक्टेयर) के सीमांकन के लिए न्यायालय से आदेश प्राप्त किया था। कोर्ट ने 16 जुलाई 2024 को आदेश पारित कर दिया था, मगर इस पर स्थल सीमांकन व पत्थर नसब की कार्यवाही अब तक नहीं की गई थी।
यह मुद्दा हाल ही में सम्पूर्ण समाधान दिवस में फिर से उठा। जब जिलाधिकारी को इस देरी की जानकारी हुई, तो उन्होंने तुरंत राजस्व निरीक्षक से जवाब-तलब किया।
निरीक्षक का जवाब और डीएम की प्रतिक्रिया
राजस्व निरीक्षक अवनीश मिश्र ने सफाई में कहा कि उन्होंने क्षेत्रीय कार्यभार हाल ही में लिया है और सीमांकन जल्द ही पूरा करेंगे। लेकिन डीएम नेहा शर्मा ने इसे एक कमजोर तर्क मानते हुए साफ शब्दों में कहा कि यह जवाब नाकाफी और गैर-जिम्मेदाराना है।
उन्होंने इस देरी को प्रशासनिक अकर्मण्यता, कार्य के प्रति उदासीनता और कर्तव्यों के प्रति गंभीर लापरवाही की संज्ञा दी।
निर्देश: 3 दिन में कार्य पूर्ण करो, वरना होगी कार्रवाई
डीएम ने संबंधित अधिकारियों को तीन कार्य दिवस के भीतर सीमांकन पूरा कर उपजिलाधिकारी के माध्यम से अनुपालन रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि यदि निर्धारित समयसीमा में काम पूरा नहीं हुआ, तो और भी सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
क्यों जरूरी है समय पर सीमांकन?
- कानूनी विवादों से बचाव
- भूमि स्वामित्व में पारदर्शिता
- शिकायतकर्ता को त्वरित न्याय
- प्रशासन की विश्वसनीयता बनी रहती है
बड़े प्रशासनिक संदेश के संकेत
यह कार्रवाई केवल एक अधिकारी पर नहीं, बल्कि पूरे राजस्व विभाग को यह संकेत देने के लिए की गई है कि लापरवाही, टालमटोल और जिम्मेदारी से भागना अब नहीं चलेगा। इससे तहसील और जिले के बाकी राजस्व कर्मियों में भी अनुशासन की भावना जागेगी।
निष्कर्ष:
डीएम नेहा शर्मा का यह निर्णय यह दर्शाता है कि प्रशासनिक पारदर्शिता और समयबद्धता अब केवल दस्तावेजों की बात नहीं रह गई है, बल्कि इसे जमीनी स्तर पर लागू किया जा रहा है। इस एक्शन से जहां पीड़ित को उम्मीद की किरण मिली है, वहीं अन्य अधिकारियों को भी यह चेतावनी मिल गई है कि कोताही बर्दाश्त नहीं होगी।
अब देखना यह होगा कि तीन दिन के भीतर सीमांकन पूरा होता है या प्रशासन को आगे कोई और कड़ा कदम उठाना पड़ता है।