
एलन मस्क और ट्रम्प — दक्षता की हद और सत्ता की सीमा
अमेरिकी प्रशासन में एलन मस्क की नियुक्ति जब “प्रशासनिक दक्षता विभाग” (Department of Government Efficiency – DOGE) के प्रमुख के रूप में हुई, तब इसे एक साहसी प्रयोग कहा गया — नवाचार और प्रशासनिक सुधार का प्रतीक। लेकिन अब, जब मस्क इस पद से हट गए हैं, तो यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या यह प्रयोग सफल रहा, या फिर निजी क्षेत्र की दक्षता को सरकारी ढांचे पर थोपने की सीमा यहीं तक थी?
मस्क को ट्रम्प प्रशासन में ‘विशेष सरकारी कर्मचारी’ के रूप में नियुक्त किया गया था — हर वर्ष 130 दिन सेवा की अनुमति वाला सीमित लेकिन महत्वपूर्ण दर्जा। उनकी नियुक्ति की मूल भावना थी कि टेक्नोक्रेटिक सोच और कॉर्पोरेट दक्षता को नीति-निर्माण में समाहित किया जाए। आरंभिक महीनों में मस्क ने इस भूमिका को अपनी विशिष्ट शैली में निभाया: तेज़ फैसले, छँटनी के सुझाव, ईमेल-नोटिस, और हर विभाग को यह बताने की कोशिश कि कैसे खर्च घटाया जाए।
लेकिन सरकारी तंत्र और कॉर्पोरेट बोर्डरूम में फ़र्क होता है। एक जगह मुनाफ़ा ही उद्देश्य होता है, जबकि दूसरी जगह पर लोकसेवा, जवाबदेही और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की प्राथमिकता होती है। एलन मस्क इस फ़र्क को नज़रअंदाज़ करते दिखे।
उन्होंने विदेश विभाग से लेकर न्याय विभाग तक अपनी राय दी — कभी खुलकर, कभी कटाक्ष में। विदेश सहायता एजेंसी (USAID) को ‘कट्टर वामपंथी संगठन’ करार देना और उसे बंद करने की पैरवी करना, केवल उनकी निजी राय नहीं थी, बल्कि अमेरिका की दशकों पुरानी कूटनीतिक रणनीति को चुनौती देना था। जब मस्क की राय के चलते अंतरराष्ट्रीय सहयोग के कार्यक्रम खतरे में दिखने लगे, तो सरकार को स्थिति संभालनी पड़ी।
मस्क को एक ‘सीईओ शैली’ में काम करने की आदत है — जहाँ आदेश दिए जाते हैं, और अमल अपेक्षित होता है। जबकि सरकारी ढांचे में हर निर्णय संवैधानिक, वैधानिक और प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत होता है। जब मस्क ने ट्रैफिक कंट्रोलर्स की संख्या घटाने की बात की, या नए कर्मचारियों को ‘काम बताओ वरना नौकरी छोड़ो’ जैसे ईमेल भेजे, तब स्पष्ट हो गया कि यह शैली न तो टिकाऊ है और न ही न्यायोचित।
इससे भी बड़ा प्रश्न यह उठा कि क्या मस्क, ट्रम्प प्रशासन के भीतर एक समानांतर शक्ति केंद्र बनते जा रहे थे? यही कारण रहा कि अंततः राष्ट्रपति ट्रम्प को खुद हस्तक्षेप कर DOGE की भूमिका को सीमित करना पड़ा — सलाह तक सीमित। और यहीं से, मस्क और ट्रम्प के रिश्तों में दरार की शुरुआत हुई।
बजट विधेयक पर दोनों की राय ने इस दूरी को सार्वजनिक रूप दिया। ट्रम्प ने उसे ‘बड़ा और सुंदर’ कहा, मस्क ने शंका जताई कि यह संघीय घाटा बढ़ाएगा। असहमति स्वाभाविक है, लेकिन जब वह सार्वजनिक कटाक्ष में बदले, तो राजनीतिक रिश्ते भी बदलते हैं।
लोकतंत्र में दक्षता ज़रूरी है, पर वह सरोकारों को कुचल कर नहीं लाई जा सकती। मस्क की सोच में “कारगर” वही है, जो खर्च घटाए — चाहे वह नीति हो, कर्मचारी, या विदेश सहायता। लेकिन सरकार सिर्फ लागत-लाभ के गणित से नहीं चलती। वह नागरिक हित, वैश्विक ज़िम्मेदारी और सामाजिक न्याय जैसे मूल्यों से संचालित होती है।
मस्क का कार्यकाल बताता है कि तकनीकी प्रतिभा और कॉर्पोरेट अनुभव महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उन्हें लोकतांत्रिक प्रक्रिया में संवेदनशीलता, परिपक्वता और सीमाओं की समझ के साथ ही जोड़ा जा सकता है।
डोनाल्ड ट्रम्प और एलन मस्क — दोनों बड़े नाम, दोनों असाधारण उपलब्धियों वाले — लेकिन शायद यही वजह थी कि जब दो ‘बॉस’ साथ आते हैं, तो टकराव भी अपरिहार्य हो जाता है।
(यह सम्पादकीय उन सभी देशों के लिए एक सीख है जो निजी क्षेत्र की दक्षता को सरकारी मशीनरी में लागू करने की कोशिश कर रहे हैं: नवाचार लाएँ, परंतु संवैधानिक मर्यादाओं के भीतर।)