जगतपुर: दबंग ठेकेदार की खुली छूट, बिना अनुमति महुआ पेड़ों का हो रहा खुलेआम कटान!

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रिपोर्टर: माया लक्ष्मी मिश्रा, रायबरेली | कड़क टाइम्स

रायबरेली जिले के जगतपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कुटूपुर बिच्छूरा गांव में इन दिनों वन विभाग की लापरवाही और ठेकेदारों की दबंगई से वन संपदा की खुलेआम लूट चल रही है। गांव के पास स्थित राम नगर गिट्टी प्लांट के सामने दर्जनों महुआ के पेड़ बिना किसी सरकारी अनुमति के काट दिए गए हैं। यह कारनामा अंजाम दिया है स्थानीय ठेकेदार पट्टू ने, जो दिनदहाड़े भारी मशीनों से पेड़ों को काट रहा है।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह कोई नई बात नहीं है। ठेकेदार पट्टू कई दिनों से जगतपुर और आसपास के क्षेत्रों में घूम-घूमकर पेड़ों की अवैध कटाई करवा रहा है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह सब कुछ वन विभाग और थाना पुलिस की जानकारी में होते हुए भी बिना किसी रोक-टोक के हो रहा है।

महुआ का पेड़: ग्रामीण जीवन की रीढ़
महुआ का पेड़ सिर्फ पेड़ नहीं, बल्कि ग्रामीण इलाकों में जीवन का एक अहम हिस्सा है। इसके फूल, बीज और लकड़ी का इस्तेमाल खाने, दवाइयों, तेल और ईंधन में किया जाता है। इसके बावजूद, इस तरह की बर्बर कटाई यह दर्शाती है कि प्राकृतिक संसाधनों की लूट अब कानून की पकड़ से बाहर होती जा रही है।

प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि ठेकेदार पट्टू वन विभाग के अधिकारियों को मोटी रकम देकर अवैध कटान करता है। अधिकारियों और ठेकेदार के बीच मिलीभगत के चलते अब तक कोई भी सख्त कार्रवाई नहीं की गई है। इस तरह की चुप्पी प्रशासन की नीयत और नीतियों दोनों पर सवाल खड़े करती है।

कानून क्या कहता है?
भारतीय वन अधिनियम के तहत किसी भी पेड़ को काटने के लिए पूर्व अनुमति अनिवार्य है। लेकिन जगतपुर में कानून को दरकिनार कर पेड़ों की हत्या की जा रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या कानून सिर्फ आम आदमी पर लागू होता है और रसूखदारों के लिए नहीं?

लोगों की बढ़ रही नाराजगी
इस अवैध कटान को लेकर क्षेत्र के लोग बेहद नाराज हैं। उन्होंने प्रशासन से तत्काल जांच और ठेकेदार पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। सोशल मीडिया पर भी लोग इस मामले को उठाने लगे हैं और कई यूजर्स ने #SaveMahuaTrees, #ForestCrimeJagatpur, #EnvironmentalJustice जैसे टैग के साथ पोस्ट शेयर करने शुरू कर दिए हैं।

कड़क टाइम्स की अपील
वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वे बिना किसी दबाव के निष्पक्ष जांच करें और दोषियों को सजा दिलाएं। वन संपदा की सुरक्षा सिर्फ सरकारी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पूरे समाज की प्राथमिकता होनी चाहिए।


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