रायबरेली CHC हरचन्दपुर में संविदा स्वास्थ्यकर्मी ने लगाए गंभीर आरोप: प्रताड़ना, रिश्वत और आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला उजागर

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रायबरेली CHC हरचन्दपुर में संविदा स्वास्थ्यकर्मी ने लगाए गंभीर आरोप: प्रताड़ना, रिश्वत और आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला उजागर

संवाददाता: संदीप मिश्रा, रायबरेली

रायबरेली जनपद के हरचन्दपुर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में कार्यरत महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की समस्याएं एक बार फिर सुर्खियों में हैं। मातृ शिशु कल्याण महिला कर्मचारी संघ की हालिया बैठक में संविदा पर कार्यरत स्वास्थ्य कार्यकर्ता रेनू यादव ने बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि केंद्र में वर्षों से तैनात ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर (BPM) आरती सिंह उन्हें मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित कर रही हैं।

रेनू यादव के अनुसार, आरती सिंह रायबरेली में एक निजी नर्सिंग होम भी संचालित करती हैं और अक्सर उन्हें वहां मरीज भेजने या स्वयं भर्ती होने का दबाव बनाती हैं। आरोप है कि जब उन्होंने इन मांगों को मानने से इनकार किया, तो उनसे रिश्वत मांगी गई और मना करने पर नौकरी से निकालने की धमकी दी गई।


मानसिक उत्पीड़न और आत्महत्या की आशंका

रेनू यादव ने संगठन को दिए पत्र में यह भी लिखा है कि उन्हें लगातार इस कदर प्रताड़ित किया जा रहा है कि अब उनके मन में आत्महत्या के विचार आने लगे हैं। 31 मई 2025 को दिए गए आवेदन में उन्होंने यह साफ तौर पर उल्लेख किया कि वह मानसिक रूप से अत्यधिक तनाव में हैं और खुद को खत्म करने जैसी सोच से जूझ रही हैं।

संघ ने गंभीरता से इस विषय को उठाया और उन्हें समझाने का प्रयास किया कि कोई भी कठोर कदम उठाने के बजाय संगठन के सहयोग से समाधान की राह निकाली जा सकती है। साथ ही, प्रशासन से तत्काल इस विषय में जांच कर कार्रवाई की मांग की गई।


पुराने भ्रष्टाचार मामलों में भी आरोपित रह चुकी हैं BPM

बैठक में यह भी बताया गया कि आरती सिंह पूर्व में भी भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में लिप्त पाई गई थीं। जांच के बाद उनके दो सहयोगी — बीसीपीएम देवेंद्र विक्रम सिंह और संगिनी मंगेश की सेवाएं समाप्त कर दी गईं, लेकिन आरती सिंह ने अपनी ऊंची राजनीतिक व प्रशासनिक पकड़ के बल पर खुद को जांच से बचा लिया।

संघ का मानना है कि यदि पूरे मामले की निष्पक्ष उच्चस्तरीय जांच कराई जाए, तो और भी अनियमितताएं सामने आ सकती हैं।


वैक्सीनेशन ड्यूटी में अव्यवस्था

बैठक में महिला स्वास्थ्य कर्मचारियों ने यह भी बताया कि जब उनकी ड्यूटी स्वास्थ्य मेले जैसी योजनाओं में लगाई जाती है, तो उन्हें वैक्सीनेशन के लिए इस्तेमाल होने वाला किट (Vaccine Carrier) स्वयं सीएचसी से लाना और वापस करना पड़ता है। इसके लिए कोई वाहक या परिवहन सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती, जिससे महिला कर्मचारियों को अतिरिक्त परेशानी का सामना करना पड़ता है।

उन्होंने मांग की कि आगे से सभी जरूरी सामग्री उन्हें मौके पर ही प्रदान की जाए, जिससे काम में व्यवधान न आए।


रिक्त स्थानों पर ड्यूटी, लेकिन नहीं मिलती वाहन सुविधा

स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने यह भी बताया कि कई बार उन्हें ऐसे स्थानों पर टीकाकरण ड्यूटी पर भेजा जाता है जहां पहुंचने के लिए कोई सरकारी वाहन नहीं मिलता। इस कारण उन्हें निजी साधनों पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे सुरक्षा और समय दोनों प्रभावित होते हैं।

इस संबंध में संघ ने प्रशासन से मांग की है कि टीकाकरण और फील्ड वर्क के लिए हर कर्मचारी को वाहन सुविधा उपलब्ध कराई जाए।


आवश्यक सामान की अनुपलब्धता और फंड का दुरुपयोग

संघ के अनुसार, सरकार की ओर से अनटाइड फंड के तहत जो सामग्री महिला स्वास्थ्य कर्मचारियों को मिलनी चाहिए, वह अक्सर सीएचओ के खातों में राशि आने के बावजूद उन्हें नहीं मिलती। इससे कामकाज पर सीधा असर पड़ता है।

संघ ने स्पष्ट रूप से कहा कि मांगपत्र में जिन वस्तुओं का उल्लेख किया गया है, उन्हें समय पर और पारदर्शी तरीके से स्वास्थ्य कर्मचारियों को उपलब्ध कराया जाए।


वर्षों से लंबित एरियर भुगतान

बैठक में एसीपी (Assured Career Progression) से संबंधित भी एक अहम मुद्दा उठाया गया। कई महिला कर्मचारियों को 10 व 16 वर्ष की सेवा पूरी होने पर एसीपी का लाभ मिल चुका है, लेकिन वर्ष 2021-22 से उनका एरियर भुगतान लंबित है। इस विषय में कई बार आवेदन देने के बावजूद भुगतान नहीं हुआ, जिससे कर्मचारियों में नाराजगी है।


संगठन की अपील और चेतावनी

मातृ शिशु कल्याण महिला कर्मचारी संघ ने प्रशासन से अपील की है कि संविदा स्वास्थ्य कार्यकर्ता रेनू यादव की शिकायत को गंभीरता से लिया जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। संघ ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर इस मामले में उचित कदम नहीं उठाए गए, तो वे आंदोलन करने पर विवश हो


यह मामला यह बताता है कि जमीनी स्तर पर कार्य कर रही महिला स्वास्थ्य कर्मचारियों को किन चुनौतियों से गुजरना पड़ता है। ज़रूरत है कि जिला प्रशासन तत्परता दिखाते हुए दोषियों को सज़ा दिलाए और पीड़ित को न्याय प्रदान करे।


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