
रिपोर्ट: माया लक्ष्मी मिश्रा | रायबरेली, उत्तर प्रदेश | कड़क टाइम्स
रायबरेली।
उत्तर प्रदेश में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सोमवार को रायबरेली पहुंचे अपनी जनता पार्टी (AJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने सरकार के इस फैसले पर कड़ा एतराज़ जताते हुए योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा।
लखनऊ जाते वक्त मौर्य कुछ देर के लिए सारस चौराहे पर रुके, जहां उन्होंने पत्रकारों से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि “सरकार शिक्षा के नाम पर स्कूल बंद कर रही है, और गांव-गांव में शराब के ठेके खोले जा रहे हैं। क्या यही है ‘नए भारत’ का विकास मॉडल?”
AJP का ऐलान – मंगलवार को होगा विरोध प्रदर्शन
स्वामी प्रसाद मौर्य ने स्पष्ट कहा कि AJP इस कदम का खुलकर विरोध करेगी और मंगलवार को प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
उनका कहना था कि प्रदेश के हजारों बच्चों का भविष्य अधर में लटक जाएगा अगर गांवों में स्कूल बंद हो गए। उन्होंने कहा –
“सरकारी स्कूल गरीब बच्चों की रीढ़ हैं। अगर यही बंद हो गए, तो ये बच्चे कहां जाएंगे? ये सिर्फ मर्जर नहीं, ये गरीबों के हक पर सीधा हमला है।”
संतों की बयानबाज़ी पर भी साधा निशाना
हाल ही में बाबा रामभद्राचार्य द्वारा दिए गए एक विवादित बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मौर्य ने कहा –
“कोई संत यह तय नहीं कर सकता कि कौन इस देश में रहेगा और कौन नहीं। इस देश का कानून और संविधान यह फैसला करेगा, ना कि कोई धार्मिक प्रवक्ता।”
उन्होंने कहा कि संत-महात्माओं को राजनीति में घुसकर माहौल को ज़हरीला नहीं बनाना चाहिए। धर्म और राजनीति को अलग रखना ही लोकतंत्र की मजबूती है।
“स्कूल बंद, ठेके चालू” – सरकार की मंशा पर उठे सवाल
मौर्य ने कहा कि अगर सरकार वाकई शिक्षा सुधार के लिए गंभीर होती, तो प्राथमिक विद्यालयों की संख्या घटाने की बजाय उनके हालात सुधारने पर ध्यान देती।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा –
“कंपोजिट स्कूल की बात करने वाली सरकार आज कंपोजिट शराब ठेके खोलने में ज्यादा रुचि दिखा रही है। इससे साफ होता है कि प्राथमिकता शिक्षा नहीं, कुछ और है।”
रायबरेली में दिखा विरोध का माहौल
सारस चौराहे पर मौर्य के आगमन पर बड़ी संख्या में AJP कार्यकर्ता जुटे। सभी ने “शिक्षा बचाओ” और “स्कूल बंदी बंद करो” जैसे नारे लगाए।
विरोध की यह शुरुआत रायबरेली से हुई है, लेकिन पार्टी के नेताओं का कहना है कि आने वाले दिनों में यह आंदोलन प्रदेशव्यापी रूप लेगा।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में स्कूलों के मर्जर पर सरकार और विपक्ष आमने-सामने हैं। जहां सरकार इसे संसाधनों के समुचित उपयोग का कदम मान रही है, वहीं विपक्ष इसे शिक्षा के अधिकार पर हमला बता रहा है।
स्वामी प्रसाद मौर्य का रायबरेली में दिया गया बयान निश्चित तौर पर राज्य की शिक्षा नीति पर एक नई बहस को जन्म देगा। अब देखना यह होगा कि मंगलवार को AJP का विरोध प्रदर्शन सरकार की नीतियों पर कितना असर डालता है।