रायबरेली के बेला टिकई गांव में झोलाछाप डॉक्टर का आतंक: अवैध क्लीनिक के ज़रिए इलाज के नाम पर जिंदगी से खिलवाड़

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रिपोर्ट: माया लक्ष्मी मिश्रा, रायबरेली, उत्तर प्रदेश | Kadak Times

रायबरेली जनपद के भदोखर थाना क्षेत्र अंतर्गत बेला टिकई गांव में एक बार फिर झोलाछाप डॉक्टरों की करतूतें सवालों के घेरे में आ गई हैं। यहां एक कथित डॉक्टर, जो खुद को “Dr. S.P. Singh” कहता है, अवैध रूप से क्लीनिक चला रहा है और मरीजों की जान से खेल रहा है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह व्यक्ति मेडिकल की कोई डिग्री न होते हुए भी खुद को डॉक्टर बताकर इलाज कर रहा है। जो दवाइयाँ वह मरीजों को दे रहा है, वह न केवल अनुचित हैं, बल्कि कई बार मरीजों की हालत बिगड़ने की खबरें भी सामने आ चुकी हैं।

क्लीनिक या जानलेवा धंधा?

“डॉ. एस.पी. सिंह” नाम का यह व्यक्ति एक छोटे से कमरे में क्लीनिक चला रहा है जहाँ न तो किसी प्रकार की मेडिकल गाइडलाइन का पालन हो रहा है, न ही साफ-सफाई या प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं मौजूद हैं। यह पूरा कारोबार बिना किसी लाइसेंस या स्वास्थ्य विभाग की अनुमति के संचालित किया जा रहा है।

इलाज के नाम पर यह कथित डॉक्टर न केवल लोगों की मेहनत की कमाई ऐंठ रहा है, बल्कि उन्हें ऐसी दवाइयां भी दे रहा है जो मान्यता प्राप्त नहीं हैं। कई ग्रामीणों ने बताया कि इस डॉक्टर के इलाज के बाद मरीजों की तबियत और ज्यादा बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें जिला अस्पताल ले जाना पड़ा।

कौन दे रहा है संरक्षण?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब यह क्लीनिक पूरी तरह अवैध है, तो इसे संरक्षण कौन दे रहा है? क्या स्थानीय प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग इस गतिविधि से अंजान है? या फिर किसी की शह पर यह अवैध धंधा चल रहा है?

ग्रामीणों ने बताया कि “डॉ. एस पी सिंह” का रवैया बेहद अहंकारी है। वह खुद को पावरफुल बताता है और अक्सर कहता है कि “कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।” यह बात और भी चिंताजनक है, क्योंकि इससे यह संकेत मिलता है कि उसे कहीं न कहीं से राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त हो सकता है।

स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी पर सवाल

CMO (Chief Medical Officer) और स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों की चुप्पी भी संदेह पैदा करती है। क्या यह विभाग इस अवैध क्लीनिक की गतिविधियों से अनजान है? अगर नहीं, तो फिर अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

प्रदेश में जहाँ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए अभियान चला रही है, वहीं इस तरह की गतिविधियाँ सरकारी प्रयासों को मुंह चिढ़ाती नजर आ रही हैं। ऐसे में जिम्मेदारी बनती है कि संबंधित अधिकारी तुरंत संज्ञान लें और कार्रवाई करें।

ग्रामीणों की अपील: जल्द हो जांच और कार्रवाई

बेला टिकई के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और इस अवैध क्लीनिक को तत्काल सील किया जाए। साथ ही इस झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ FIR दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई और मरीज उसकी झूठी डिग्री और फर्जी इलाज का शिकार न बने।

यह सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं…

इस घटना से साफ जाहिर होता है कि प्रदेश के कई ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी ऐसे झोलाछाप डॉक्टर खुलेआम काम कर रहे हैं। न तो इन्हें रोकने वाला कोई है, न ही इन्हें कानून का डर।

अगर अब भी स्वास्थ्य विभाग ने इस पर कड़ा रुख नहीं अपनाया, तो यह लापरवाही किसी दिन बड़ी जनहानि का कारण बन सकती है।


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