
रिपोर्ट: माया लक्ष्मी मिश्रा | स्थान: रायबरेली | Kadak Times
उत्तर प्रदेश के रायबरेली ज़िले के सरेनी कस्बे में गुरुवार को जो तस्वीर सामने आई, उसने प्रशासनिक व्यवस्था की गंभीर लापरवाही उजागर कर दी। पिछले चार साल से पानी की किल्लत झेल रहे लोगों का धैर्य आखिरकार जवाब दे गया। स्थानीय लोगों ने पानी की टंकी पर चढ़कर विरोध प्रदर्शन किया और ज़ोरदार नारेबाज़ी की—”पानी दो, सरेनी को पानी दो!”
पेयजल संकट बना स्थायी समस्या
साल 2021 में जल निगम की टंकी का बोर फेल हो गया था। इसके बाद कस्बे के लोग कभी इंडिया मार्का हैंडपंप, तो कभी प्राइवेट बोरिंग के सहारे अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हो गए।
साल 2023 में बोरिंग तो दोबारा कराई गई, लेकिन लापरवाही का आलम यह रहा कि टंकी से पाइपलाइन का कनेक्शन ही नहीं किया गया। यानी पानी जमीन के नीचे से निकलने के बाद भी लोगों तक पहुंच ही नहीं पाया।
विरोध का अनोखा अंदाज
गुरुवार को जब गर्मी और संकट असहनीय हो गया, तो दर्जनों युवक बाल्टियां लेकर टंकी पर चढ़ गए और “पानी दो” के नारे लगाने लगे। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह सिर्फ सुविधा की मांग नहीं है, बल्कि यह जीवन के अधिकार की मांग है।
उनका कहना था कि उन्होंने कई बार प्रशासन को शिकायत दी, पर हर बार आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। अब हालात ऐसे हैं कि आंदोलन के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा।
सोशल मीडिया पर उठा जनसवाल
इस विरोध प्रदर्शन की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए हैं। #PaniDo और #SareeniWaterCrisis जैसे हैशटैग ट्विटर और फेसबुक पर ट्रेंड कर रहे हैं। लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि जब सरकारी योजनाओं पर करोड़ों खर्च हो रहे हैं, तो फिर जनता की सबसे बुनियादी जरूरत — पानी — क्यों नहीं मिल पा रहा?
प्रशासनिक चुप्पी बनी समस्या
अब तक न तो जल निगम और न ही ज़िला प्रशासन की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने आई है। सिर्फ इतना कहा जा रहा है कि मामला संज्ञान में है और जल्द कार्रवाई होगी। लेकिन कस्बेवासियों का भरोसा अब “जल्द” जैसे शब्दों से उठ चुका है।
महत्वपूर्ण सवाल
- क्या सरेनी जैसे कस्बे को भी बुनियादी सुविधाओं के लिए आंदोलन करना पड़ेगा?
- कब मिलेगी जिम्मेदारों से जवाबदेही?
- क्या यह प्रशासनिक लापरवाही का मामला नहीं है?