
रिपोर्टर: संदीप मिश्रा | रायबरेली | कड़क टाइम्स
रायबरेली, 28 जून 2025।
शुक्रवार की शाम रायबरेली की गलियों में सन्नाटा पसरा हुआ था, लेकिन यह सन्नाटा ग़म और अकीदत का था। माह-ए-मोहर्रम की पहली तारीख पर शहर में मातम और मर्सिए की गूंज सुनाई दी। करबला के शहीदों की याद में निकला गया पहला मातमी जुलूस पूरी शिद्दत, अनुशासन और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ।
यह मातमी जुलूस जहानाबाद क्षेत्र में स्वर्गीय इरशाद वकील के निवास के बाहर से शुरू हुआ, जिसकी सरपरस्ती अंजुमन सज्जादिया रजि. रायबरेली द्वारा की गई। जुलूस का नेतृत्व शहर की प्रमुख अंजुमन दस्ता-ए-ज़ैनुल एबा रजि. रायबरेली के ज़िम्मेदारों और नौहाख्वानों ने किया।
नौहों की गूंज, सीनाज़नी का माहौल
जुलूस में शामिल श्रद्धालुओं ने अज़ादारी के पारंपरिक ढंग से सीनाज़नी की और नौहों के माध्यम से इमाम हुसैन और उनके साथियों की कुर्बानी को याद किया। हसन, साजिद जाफरी, रिजवान हैदर, जौहर नकवी, शान जैदी और फराज अल्वी सहित कई नौहाख्वानों ने अपनी आवाज़ से माहौल को ग़मगीन कर दिया।
मातमी जुलूस की मार्ग व्यवस्था
यह जुलूस अपने पारंपरिक मार्गों — जहानाबाद, अली मियां चौक, खिन्नी तला, जोशियाना पुल से होता हुआ खलिस हाट स्थित इमामबाड़ा वक्फ मीर वाजिद अली पहुंचा, जहां इसका समापन हुआ।
मजलिस और मर्सिया खानी
जुलूस के समापन के बाद इमामबाड़े में एक मजलिस का आयोजन किया गया, जिसमें जनाब ऐजाज अस्करी साहब ने करबला की त्रासदी पर मर्सिया पेश किया। उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि इमाम हुसैन ने सच्चाई और न्याय की रक्षा के लिए खुद को और अपने परिवार को कुर्बान कर दिया। यह बलिदान इस्लाम की असल आत्मा और इंसानियत की हिफाज़त का प्रतीक है।
आयोजन से जुड़े पदाधिकारी और प्रमुख हस्तियां
इस आयोजन को सफल बनाने में अंजुमन के कई पदाधिकारियों की भूमिका रही। श्री सिकंदर जैदी (महासचिव), मोहम्मद हसन बिलग्रामी (सेक्रेटरी अज़ा), इमरान रज़ा, दिलशाद नकवी (मीडिया प्रभारी) सहित कई अन्य सक्रिय रहे।
इसके अलावा उपस्थित रहे:
हसन रायबरेलवी, यादगार काज़मी, सफी अब्बास नकवी, नय्यर नकवी, नासिर मेहंदी, इंजीनियर ताजदार नकवी, जायर हुसैन रिजवी, लख्ते जाफर, एडवोकेट अकबर अली, अख्तर रायबरेलवी, शावेज अली, रज़ा मेहंदी, इरफान जैदी, मुकर्रम नकवी, अश्तर नकवी, शाहकार रिजवी एडवोकेट, सय्यद वसी नकवी, रज़ा अब्बास, एडवोकेट सलमान नकवी और बिलाल नकवी आदि।
सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की निगरानी
पूरे जुलूस मार्ग पर पुलिस बल और सिविल डिफेंस के जवान तैनात थे। प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पूरी सतर्कता बरती, जिससे कार्यक्रम शांतिपूर्वक और अनुशासित वातावरण में संपन्न हुआ।
धार्मिक सौहार्द और एकता का प्रतीक
यह आयोजन न केवल एक धर्म विशेष की श्रद्धा का प्रदर्शन था, बल्कि शहर के लोगों के बीच धार्मिक एकता और आपसी भाईचारे की मिसाल भी बना। जुलूस में न सिर्फ शिया समुदाय बल्कि अन्य समुदायों के लोगों ने भी सहयोग दिया।
कड़क टाइम्स की ओर से श्रद्धांजलि
कर्बला की धरती पर दिया गया इमाम हुसैन और उनके साथियों का बलिदान आज भी पूरी दुनिया को सत्य, न्याय और मानवता के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है। कड़क टाइम्स इस अवसर पर करबला के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है और अपील करता है कि हम सब इंसानियत की राह पर चलें और अपने भीतर से नफरत को मिटाएं।