
रिपोर्ट: सन्दीप मिश्रा, कड़क टाइम्स, रायबरेली, उत्तर प्रदेश
रायबरेली, उत्तर प्रदेश: महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बढ़ती घटनाएं और पुलिस की ढीली कार्यप्रणाली ने एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। डलमऊ थाना क्षेत्र में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां दुष्कर्म के प्रयास के आरोपी लेखपाल पंकज वर्मा और उनके परिवार ने पीड़िता के घर पहुंचकर पुलिस 112 की मौजूदगी में उसे धमकी दी। यह घटना रायबरेली में कानून-व्यवस्था की बदहाली को उजागर करती है और महिलाओं की सुरक्षा पर बड़ा सवाल उठाती है। यह विशेष रिपोर्ट सन्दीप मिश्रा द्वारा कड़क टाइम्स के लिए तैयार की गई है।
घटना का विवरण
डलमऊ थाना क्षेत्र की एक महिला ने लेखपाल पंकज वर्मा और उनके साथियों पर दुष्कर्म का प्रयास, मारपीट, और शारीरिक नुकसान पहुंचाने जैसे गंभीर आरोप लगाए। पीड़िता ने हिम्मत दिखाते हुए डलमऊ थाने में शिकायत दर्ज की, लेकिन पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेने के बजाय तहरीर को बदलकर इसे साधारण मारपीट का मामला बना दिया। यह पुलिस की उदासीनता का स्पष्ट उदाहरण है, जिसने पीड़िता के साथ हुए अन्याय को और बढ़ा दिया।
जब पीड़िता ने इसकी शिकायत जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से की, तो डलमऊ थाने की पुलिस ने केवल खानापूर्ति के लिए फोन पर उससे बात की और हालचाल पूछ लिया। लेकिन इसके बाद जो हुआ, वह और भी हैरान करने वाला था। पंकज वर्मा के पिता राम बहादुर, मां मालती, भाभी पूजा और कुछ अन्य लोग पीड़िता के घर पहुंचे। चौंकाने वाली बात यह है कि उन्होंने पुलिस 112 को भी बुला लिया और पीड़िता को पुलिस के सामने ही घर से उठा ले जाने की धमकी दी। इस घटना के गवाह पीड़िता, उसके मासूम बच्चे और मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी हैं।
पीड़िता की व्यथा: डर का माहौल
पीड़िता ने बताया कि उसका पति कमाने के लिए परदेस में है और वह अपने बच्चों के साथ अकेली रहती है। इस घटना ने उसे और उसके परिवार को डर के साये में ला दिया है। उसने कहा कि पंकज वर्मा और उनके परिवार की धमकियों ने उसका जीना मुश्किल कर दिया है। उसने डलमऊ थाने पर फोन करके इस घटना की पूरी जानकारी दी और रात भर पुलिस सुरक्षा की मांग की। उसका कहना है कि अगर तुरंत कार्रवाई नहीं हुई, तो उसके और उसके परिवार के साथ कोई भी अनहोनी हो सकती है।
महिला ने यह सवाल भी उठाया कि अगर दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराध की शिकायत करने पर उसे इस तरह धमकाया जाएगा, तो वह और अन्य महिलाएं अपनी सुरक्षा के लिए कहां जाएंगी? क्या गांव में अकेली रहने वाली महिलाओं को हमेशा डर में जीना होगा? यह सवाल पुलिस, प्रशासन और पूरे समाज के लिए एक चुनौती है।
पुलिस की संदिग्ध भूमिका
इस मामले में डलमऊ थाने की पुलिस की कार्यशैली पर कई सवाल उठ रहे हैं। तहरीर को बदलकर मामले को हल्का करना और आरोपी के परिवार द्वारा पुलिस 112 की मौजूदगी में पीड़िता को धमकाने के बावजूद कोई कार्रवाई न करना, पुलिस की निष्क्रियता को दर्शाता है। यह सवाल उठता है कि जब पुलिस ही अपराधियों के साथ खड़ी दिखेगी, तो आम लोग, खासकर महिलाएं, अपनी सुरक्षा के लिए किस पर भरोसा करेंगी?
रायबरेली में महिलाओं के खिलाफ अपराधों का बढ़ता आंकड़ा
रायबरेली में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या लगातार बढ़ रही है। दुष्कर्म, छेड़छाड़ और मारपीट जैसे मामले बार-बार सामने आ रहे हैं, लेकिन पुलिस की लापरवाही और प्रशासन की निष्क्रियता के कारण पीड़ितों को न्याय मिलना मुश्किल हो रहा है। इस मामले में भी, पीड़िता को न केवल आरोपी और उनके परिवार से धमकियां मिल रही हैं, बल्कि पुलिस की उदासीनता ने उसकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
सोशल मीडिया पर हंगामा और ट्रेंडिंग कीवर्ड्स
यह मामला सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। लोग #RaebareliJustice, #UPSafetyCrisis, #StopPoliceNegligence जैसे ट्रेंडिंग कीवर्ड्स के साथ इस घटना की निंदा कर रहे हैं। कई यूजर्स ने लिखा है कि जब तक पुलिस और प्रशासन अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे, तब तक महिलाओं की सुरक्षा एक दूर का सपना रहेगा। सोशल मीडिया इस मामले को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ला रहा है, जिससे प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव बढ़ रहा है।
समाज और प्रशासन के सामने सवाल
यह घटना रायबरेली ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा की स्थिति को उजागर करती है। जब एक लेखपाल जैसे जिम्मेदार पद पर बैठा व्यक्ति और उसका परिवार पुलिस की मौजूदगी में पीड़िता को धमकाने की हिम्मत करता है, तो यह साफ है कि कानून का डर खत्म हो चुका है। सवाल यह है कि क्या महिलाओं को अपनी आवाज उठाने की सजा दी जाएगी? क्या गांव में अकेली रहने वाली महिलाएं हमेशा असुरक्षित रहेंगी?
समाधान की दिशा में कदम
इस मामले में तत्काल कार्रवाई की जरूरत है। पुलिस को पंकज वर्मा और उनके परिवार के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए। डलमऊ थाने की पुलिस की भूमिका की जांच होनी चाहिए कि तहरीर क्यों बदली गई। पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा के लिए तुरंत व्यवस्था की जानी चाहिए। साथ ही, समाज को महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने की जरूरत है। गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए, ताकि महिलाएं अपनी आवाज बुलंद कर सकें।
अंतिम विचार
रायबरेली का यह मामला हमें सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर कब तक महिलाएं अपने घरों में डर के साये में रहेंगी? जब एक लेखपाल और उसका परिवार पुलिस की मौजूदगी में धमकी देने की हिम्मत करता है, तो यह साफ है कि सिस्टम में गंभीर खामियां हैं। प्रशासन को इस मामले में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और पीड़िता को न्याय दिलाना चाहिए। साथ ही, समाज को भी एकजुट होकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाने होंगे।
रिपोर्ट: सन्दीप मिश्रा, कड़क टाइम्स, रायबरेली, उत्तर प्रदेश