DM नेहा शर्मा की सख्ती से हटे दशकों पुराने कब्जे, 278 रास्तों पर खुला किसानों का रास्ता

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रिपोर्ट: आशीष श्रीवास्तव | ब्यूरो चीफ, उत्तर प्रदेश | कड़क टाइम्स


गोंडा, 28 जून 2025:
उत्तर प्रदेश के गोंडा जनपद में वर्षों से लंबित ग्रामीण चकमार्ग विवादों का अब समाधान निकलता दिख रहा है। जिलाधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा के नेतृत्व में चलाया गया विशेष अभियान ग्रामीणों के लिए राहत की बयार लेकर आया है। इस अभियान के तहत अब तक जिले भर के 278 चकमार्गों को अतिक्रमण से मुक्त कर दिया गया है।

चकमार्गों पर अवैध कब्जों की वजह से किसानों को खेतों तक पहुंचने में दिक्कतें होती थीं। जिला प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए न केवल कब्जा हटाया, बल्कि स्थायी समाधान की दिशा में कदम भी बढ़ाए हैं।


समस्या की जड़ में क्या था?

गांवों में खेतों तक पहुंचने के लिए सार्वजनिक रास्तों यानी चकमार्गों का उपयोग होता है। लेकिन धीरे-धीरे इन रास्तों पर कुछ दबंगों द्वारा कब्जा कर लिया गया था। इससे किसानों, मजदूरों और ग्रामीणों को अपने खेतों और जरूरतों तक पहुंचने में भारी परेशानी हो रही थी।

कई जगहों पर रास्तों को पूरी तरह घेर दिया गया था। इसके कारण ग्रामीणों को कई किलोमीटर लंबा चक्कर लगाकर खेतों तक जाना पड़ता था। कुछ जगहों पर इसको लेकर मारपीट और मुकदमेबाज़ी तक की नौबत आ गई थी।


डीएम नेहा शर्मा की पहल: फैसला और एक्शन

जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने इस गंभीर समस्या को देखते हुए जिले की सभी तहसीलों में 10-10 सदस्यीय क्विक रिस्पॉन्स राजस्व टीमों का गठन किया। इन टीमों को स्पष्ट निर्देश दिया गया कि तहसील समाधान दिवस में आने वाले चकमार्ग संबंधी मामलों को प्राथमिकता दी जाए।

प्रशासन ने सुनिश्चित किया कि इस कार्रवाई में ग्राम प्रधानों, ग्रामीणों और राजस्व अधिकारियों की सामूहिक भागीदारी हो, ताकि कोई पक्षपात या विवाद की गुंजाइश न रहे।


तहसीलवार कार्यवाही और आंकड़े

प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, निम्नलिखित क्षेत्रों में चकमार्गों से अवैध कब्जे हटाए गए:

  • गोष्ठा तहसील: पण्डरी कृपाल, रूपईडीह, झंझरी और इटियाथोक ब्लॉकों में 97 चकमार्ग मुक्त कराए गए
  • करनैलगंज तहसील: करनैलगंज, कटरा बाजार, परसपुर और हलधरमऊ क्षेत्रों में 82 मामलों का समाधान हुआ
  • मनकापुर तहसील: बभनजोत, छपिया और मनकापुर ब्लॉकों में 40 चकमार्ग अतिक्रमणमुक्त किए गए
  • तरबगंज तहसील: नवाबगंज, तरबगंज, वजीरगंज और बेलसर क्षेत्रों में 59 चकमार्गों से कब्जा हटाया गया
  • अन्य क्षेत्रों में 9 और मामलों में भी कार्रवाई कर रास्ते खोले गए

स्थायी समाधान की दिशा में कदम

जिला प्रशासन केवल कब्जा हटाने तक सीमित नहीं रहा। चकमार्गों को भविष्य में भी उपयोगी और टिकाऊ बनाए रखने के लिए मनरेगा योजना के तहत मिट्टी पटाई, समतलीकरण और मरम्मत का कार्य शुरू किया गया है।

गांवों में ग्राम प्रधानों और ग्रामीणों की मदद से चकमार्गों की पैमाइश कर, सीमांकन कर, उन्हें दोबारा उपयोग में लाया जा रहा है।


दशकों से लंबित प्रकरणों का समाधान

कुछ उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि यह कार्रवाई केवल औपचारिकता नहीं रही:

  • ग्राम बरसैनिया लखपतराय: दस वर्षों से कब्जे में खलिहान भूमि को मुक्त कर तत्काल किसान को लाभ पहुंचाया गया
  • ग्राम चुवाड़, बभनीपायर: चकमार्ग की माप कराकर उसे ग्राम प्रधान को सुपुर्द किया गया
  • ग्राम बूढ़ापायर: तालाब की भूमि को कब्जे से मुक्त कर सामुदायिक उपयोग हेतु फिर से तैयार किया गया
  • ग्राम देवरिया, केशवनगर ग्रन्ट पश्चिमी एवं चकगौरा: ग्रामीणों को रास्ता उपलब्ध कराकर वर्षों से चली आ रही दिक्कतें समाप्त की गईं

डीएम का सख्त संदेश

जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा है कि चकमार्गों पर दोबारा कब्जा करने की कोशिश की गई तो संबंधित लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह अभियान निरंतर जारी रहेगा और किसी भी नए कब्जे को प्रशासन नजरअंदाज नहीं करेगा।

उन्होंने कहा, “चकमार्ग किसी एक व्यक्ति की नहीं, पूरी ग्राम सभा की साझा संपत्ति है। उस पर कब्जा करके रास्ता रोकना समाज और विकास दोनों के विरुद्ध है।”


जनता की प्रतिक्रिया: मिला न्याय, बढ़ा भरोसा

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन के इस अभियान की जमकर सराहना की है। लोगों ने कहा कि वर्षों से जिन रास्तों पर दबंगों का कब्जा था, अब वहां फिर से बैलगाड़ी, ट्रैक्टर और पैदल रास्ता बहाल हो गया है।

एक किसान ने कहा, “पहले हमें खेत तक पहुंचने के लिए आसपास के गांवों से घूमकर जाना पड़ता था। अब सीधे रास्ता खुल गया है, जिससे समय और श्रम दोनों की बचत हो रही है।”


निष्कर्ष: सिर्फ रास्ते नहीं, विकास की राह भी खुली

गोंडा जिले का यह चकमार्ग मुक्त अभियान सिर्फ जमीन का मामला नहीं है, यह ग्रामीण जीवन को सुलभ बनाने का प्रयास है। प्रशासन की सक्रियता और पारदर्शिता ने यह दिखाया है कि इच्छाशक्ति हो तो प्रशासनिक मशीनरी जनता के लिए कैसे काम कर सकती है।

अब गोंडा का यह मॉडल प्रदेश के अन्य जिलों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है।


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