
रिपोर्ट: आशीष श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ – उत्तर प्रदेश, कड़क टाइम्स
गोंडा, 4 जुलाई 2025।
गोंडा जिला प्रशासन ने प्लास्टिक प्रदूषण के विरुद्ध निर्णायक कदम उठाते हुए जिले को ‘प्लास्टिक मुक्त’ बनाने के लिए चार और विकासखंडों में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट्स (PWMU) स्थापित करने की योजना शुरू कर दी है। इस अभियान की प्रेरणा वजीरगंज में पहले से चल रही यूनिट से मिली है, जहां स्थानीय स्तर पर प्लास्टिक कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निपटान किया जा रहा है।
अब प्रशासन की नजर परसपुर, कटराबाजार, पंडरीकृपाल और छपिया जैसे ब्लॉकों पर है, जहां नई यूनिट्स की स्थापना करके न केवल स्वच्छता बढ़ाई जाएगी बल्कि रोजगार के अवसर भी सृजित किए जाएंगे।
वजीरगंज से मिली प्रेरणा, अब बढ़ेगा दायरा
वजीरगंज यूनिट की सफलता ने यह सिद्ध कर दिया कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी पर्यावरणीय प्रबंधन की आधुनिक प्रणाली कारगर हो सकती है। वहां पर आसपास के क्षेत्रों — नवाबगंज और तरबगंज — से प्लास्टिक इकट्ठा करके उसका निस्तारण मशीनों की मदद से किया जा रहा है।
इस मॉडल की सफलता के बाद जिला प्रशासन ने और चार यूनिट्स के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसे स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) कार्यालय भेजा गया है। जिलाधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि जिले को प्लास्टिक मुक्त बनाना अब केवल सपना नहीं, मिशन है।
किन क्षेत्रों में लगेंगी यूनिट्स?
प्रशासन द्वारा जिन विकासखंडों को यूनिट स्थापना के लिए चयनित किया गया है, वे इस प्रकार हैं:
- परसपुर ब्लॉक: यह यूनिट बेलसर और कर्नलगंज क्षेत्रों को भी कवर करेगी।
- कटराबाजार यूनिट: इसका संचालन हलधरमऊ और रुपईडीह जैसे क्षेत्रों के लिए होगा।
- पंडरीकृपाल यूनिट: इटियाथोक, झंझरी और मुजेहना जैसे ब्लॉकों से जुड़े कचरे को यहां लाया जाएगा।
- छपिया यूनिट: यह मनकापुर, बभनजोत और छपिया क्षेत्रों के लिए काम करेगी।
प्रत्येक यूनिट में प्लास्टिक कचरे का संग्रह, छंटाई, प्रसंस्करण और रिसाइक्लिंग का कार्य किया जाएगा।
तकनीक और मानव संसाधन का समन्वय
मुख्य विकास अधिकारी अंकिता जैन के अनुसार, हर यूनिट में आधुनिक मशीनों की मदद से प्लास्टिक को पुनः उपयोग में लाने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसके अलावा, प्रशिक्षित कर्मियों को नियुक्त कर उनकी दक्षता का उपयोग किया जाएगा।
इस योजना के तहत न केवल प्लास्टिक कचरा कम होगा बल्कि स्थानीय लोगों को स्थायी रोजगार भी मिलेगा — जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा देगा।
जिलाधिकारी का संकल्प: तय समय में हो काम
जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि सभी यूनिट्स का निर्माण कार्य समयबद्ध रूप से पूरा किया जाए। उन्होंने कहा,
“हमारा उद्देश्य सिर्फ सफाई नहीं, बल्कि ऐसा ढांचा खड़ा करना है जो आने वाले वर्षों तक जिले को प्लास्टिक मुक्त बनाए रखे। वजीरगंज ने एक मिसाल कायम की है, अब बाकी ब्लॉकों की बारी है।”
उनके अनुसार यह पहल केवल पर्यावरणीय आवश्यकता नहीं, बल्कि सामाजिक ज़िम्मेदारी भी है।
लाभ: पर्यावरण भी स्वच्छ, रोजगार भी मजबूत
इस योजना से दोहरा लाभ मिलेगा:
- प्राकृतिक वातावरण को राहत: प्लास्टिक कचरे से होने वाले प्रदूषण में कमी आएगी।
- रोजगार के मौके: ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को नौकरी और स्थायी आजीविका मिलेगी।
इससे साफ है कि यह पहल न केवल सफाई की सोच को विस्तार देती है, बल्कि स्थायी विकास (Sustainable Development) की दिशा में भी मजबूत कदम है।
प्लास्टिक मुक्त गोंडा: अब एक सोच नहीं, एक मूवमेंट
अब तक लोग प्लास्टिक वेस्ट को केवल शहरों की समस्या मानते थे, लेकिन गोंडा जिले ने यह धारणा तोड़ दी है। यहां गांवों में ही वेस्ट मैनेजमेंट की आधुनिक प्रणाली लागू की जा रही है, जो आने वाले समय में पूरे प्रदेश के लिए रोल मॉडल बन सकती है।
प्रशासन की यह नीति दर्शाती है कि यदि योजना और क्रियान्वयन का सही मेल हो, तो गांव भी स्वच्छता के क्षेत्र में शहरों से आगे निकल सकते हैं।
निष्कर्ष: गोंडा का ग्रामीण भारत को संदेश
गोंडा जिले की यह पहल न केवल प्रशासनिक सफलता है, बल्कि यह ग्रामीण भारत के लिए एक प्रेरणादायक संदेश है। यह बताता है कि पर्यावरण की रक्षा केवल बड़े शहरों की ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि हर गांव, हर पंचायत और हर नागरिक की है।
जब जागरूक प्रशासन और सहयोगी जनता मिलकर काम करें, तो प्लास्टिक मुक्त भविष्य कोई कठिन सपना नहीं रह जाता।