
आशीष श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ – उत्तर प्रदेश
लखनऊ, उत्तर प्रदेश।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में सोमवार को बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला जब समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने अपने तीन विधायकों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने और भारतीय जनता पार्टी (BJP) को समर्थन देने का आरोप था।
निष्कासित किए गए विधायकों के नाम इस प्रकार हैं:
- अभय सिंह (विधानसभा क्षेत्र: गोसाईंगंज)
- राकेश प्रताप सिंह (गौरीगंज)
- मनोज कुमार पांडेय (ऊंचाहार)
पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट (X, पूर्व में Twitter) पर एक बयान जारी करते हुए सपा ने लिखा:
“जहां रहें, वहां ईमानदारी और विश्वसनीयता के साथ रहें।”
यह कथन न केवल पार्टी की आंतरिक अनुशासन व्यवस्था को दर्शाता है, बल्कि आने वाले चुनावी माहौल में स्पष्ट संदेश देता है कि पार्टी से गद्दारी करने वालों के लिए कोई जगह नहीं है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि:
सूत्रों के अनुसार, इन विधायकों की भाजपा नेताओं के साथ लगातार बैठकों और सत्तारूढ़ पार्टी के फैसलों का समर्थन करने की खबरें लंबे समय से पार्टी नेतृत्व के पास पहुंच रही थीं। कई मौकों पर इन नेताओं के बयान और कार्य भी समाजवादी पार्टी की नीति के खिलाफ देखे गए।
राजनीति में बढ़ती खींचतान:
यह निष्कासन ऐसे समय में सामने आया है जब उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव की रणनीति पर सभी दल काम कर रहे हैं। सपा का यह कदम जहां एक तरफ पार्टी के भीतर अनुशासन को मजबूत करने वाला है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।
विश्लेषण:
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह कदम सपा की ओर से “Zero Tolerance Policy” का संकेत है। यह भविष्य के नेताओं के लिए एक संदेश है कि अगर पार्टी लाइन से हटकर काम किया गया तो उसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।