रिपोर्ट: सिद्धार्थ बाजपेई, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, कड़क टाइम्स
रायबरेली के जगतपुर थाना क्षेत्र के ग्राम मनोहर गंज में पेड़ों के अवैध कटान का मामला तेजी से सामने आ रहा है। गांव के किसान विजय बहादुर कुर्मी के खेत में खड़े कई आम के पेड़ बिना किसी अनुमति के काट लिए गए। ग्रामीणों के अनुसार यह काम स्थानीय ठेकेदार तेज बहादुर द्वारा कराया गया, जो लंबे समय से इलाके में बिना परमिशन पेड़ों की कटाई करवाने में सक्रिय बताया जा रहा है। किसान ने बताया कि दो बड़े आम के पेड़ दिनदहाड़े काटे गए और किसी को विरोध करने का मौका भी नहीं दिया गया।
गांव के लोगों का कहना है कि ठेकेदार खुलेआम पेड़ कटान करवाता है और उसकी दबंगई के कारण कोई भी उसके खिलाफ आवाज उठाने से डरता है। ग्रामीणों का आरोप है कि तेज बहादुर पूरे क्षेत्र में घूमकर wood cutting करवाता है और अधिकतर मामलों में कोई official approval नहीं होता। गांव में कटे पड़े पेड़ों के ठूंठ और बिखरी लकड़ियां इस बात का सबूत हैं कि कटान बड़े स्तर पर हुआ है।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि इतनी बड़ी मात्रा में अवैध कटान होने के बाद भी वन विभाग की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग के अधिकारी शिकायत मिलते ही मौके पर पहुंचने से बचते हैं और कार्रवाई करने में दिलचस्पी नहीं दिखाते। लोगों का मानना है कि internal understanding और पैसों के आदान-प्रदान के कारण ठेकेदार बिना रोकटोक काम कर रहा है। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि कुछ साल पहले तक यह इलाका घने पेड़ों से भरा रहता था, लेकिन लगातार कटान के कारण अब हरियाली तेजी से कम हो रही है।
किसान विजय बहादुर कुर्मी को इस अवैध कटान से न केवल आर्थिक नुकसान हुआ है, बल्कि वर्षों की मेहनत और परिश्रम का भी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि पेड़ों को लगाने, संभालने और तैयार होने में सालों लगते हैं, लेकिन उन्हें गिराने में मात्र कुछ मिनट लगते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पेड़ों की कटाई का असर पर्यावरण और खेती—दोनों पर पड़ेगा, क्योंकि आम, नीम और महुआ जैसे पेड़ गांव के जीवन से गहराई से जुड़े हुए हैं।
जगतपुर थाना क्षेत्र में लगातार हो रहे इस अवैध कटान को लेकर ग्रामीणों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। शिकायतें दिए जाने के बाद भी पुलिस और वन विभाग की चुप्पी कई तरह के सवाल खड़े कर रही है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन ने समय रहते कड़े कदम नहीं उठाए तो आने वाले समय में गांव की हरियाली लगभग खत्म हो जाएगी और पर्यावरण असंतुलन बढ़ेगा।





