रिपोर्ट: सुरेन्द्र शर्मा। कड़क टाइम्स
गोंडा जनपद के नवाबगंज क्षेत्र के निरिया गांव में बुधवार को भगवान विश्वकर्मा की पूजा बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा भाव के साथ संपन्न हुई। सुबह से ही पूरे गांव का वातावरण भक्तिमय बना रहा। विभिन्न स्थानों पर पूजा पंडाल सजाए गए और श्रद्धालुओं ने मिलकर भगवान विश्वकर्मा का स्मरण किया। इस अवसर पर ग्रामीणों में धार्मिक उत्साह और आस्था का अनोखा संगम देखने को मिला।
पूजन-अर्चन का आयोजन

निरिया गांव में विश्वकर्मा पूजा का आयोजन शर्मा परिवार के नेतृत्व में किया गया। गीतों से वातावरण गूंज उठा। पूजा स्थल पर बड़ी संख्या में महिलाएं, पुरुष और बच्चे उपस्थित रहे।

सुबह पूजा की शुरुआत भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित कर की गई। इसके बाद शुद्धता और विधि-विधान के साथ मंत्रोच्चारण के बीच पूजा-अर्चना संपन्न हुई। विशेष रूप से लोहे, लकड़ी, औज़ार और अन्य उपकरणों की पूजा की गई, क्योंकि भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का प्रथम शिल्पकार और अभियंता माना जाता है।
शर्मा परिवार की सहभागिता
इस अवसर पर श्याम नारायण शर्मा, राम मूर्ति शर्मा, अनुज शर्मा, राम करन शर्मा, शिवकरन शर्मा, रोहित शर्मा, अमित शर्मा, ओम प्रकाश शर्मा सहित पूरे शर्मा परिवार ने सक्रिय भूमिका निभाई। सभी ने एकजुट होकर आयोजन को सफल बनाया। पूजा के उपरांत सभी भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।
ग्रामवासियों की उपस्थिति
निरिया गांव के ग्रामवासी भी पूरे उत्साह के साथ इस आयोजन में शामिल हुए। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सजधजकर आईं और पूजा में भाग लिया। ग्रामीणों ने बताया कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा से घर-परिवार और काम-धंधे में समृद्धि आती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
गांव के युवाओं ने भी इस मौके पर सेवा भाव दिखाया। पंडाल व्यवस्था, प्रसाद वितरण और कार्यक्रम संचालन में उनकी सक्रिय भागीदारी रही।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
विश्वकर्मा पूजा केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और भाईचारे का प्रतीक भी है।
पूरे गांव में पारंपरिक और सांस्कृतिक रंग देखने को मिला, जिससे लोगों को अपनी जड़ों और परंपराओं से जुड़ने का अवसर मिला। श्रद्धालुओं ने भगवान विश्वकर्मा से सुख-शांति और समृद्धि की कामना की।
भगवान विश्वकर्मा का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विश्वकर्मा सृष्टि के प्रथम शिल्पकार और दिव्य वास्तुकार माने जाते हैं। त्रिलोक निर्माण, पुष्पक विमान, इन्द्रप्रस्थ, द्वारका और अन्य भव्य नगरों का निर्माण इन्हीं के द्वारा किया गया था। इसीलिए विश्वकर्मा जयंती पर औज़ारों, मशीनों और उपकरणों की पूजा की जाती है।
गांव के बुजुर्गों ने बताया कि यह परंपरा वर्षों से निरंतर चली आ रही है और हर साल इसे पूरे उत्साह और श्रद्धा से मनाया जाता है।
समापन
पूजा और भंडारे का कार्यक्रम देर शाम तक चलता रहा। अंत में भगवान विश्वकर्मा की आरती के साथ आयोजन का समापन हुआ। आरती के समय पूरा गांव “जय विश्वकर्मा भगवान” के उद्घोष से गूंज उठा।
निरिया गांव में आयोजित विश्वकर्मा पूजा न केवल धार्मिक अनुष्ठान रहा, बल्कि सामाजिक एकता और उत्सव का प्रतीक बनकर गांववासियों के लिए अविस्मरणीय अनुभव भी साबित हुआ।





