
रिपोर्ट: आशीष श्रीवास्तव | ब्यूरो चीफ, उत्तर प्रदेश | Kadak Times
गोंडा जिले के करनैलगंज तहसील क्षेत्र में चल रही उचित दर दुकान आवंटन प्रक्रिया पर फिलहाल खाद्य विभाग ने विराम लगा दिया है। देवीपाटन मंडल की खाद्य उपायुक्त विजय प्रभा द्वारा न्यायालयीय आदेश पारित करते हुए स्पष्ट किया गया है कि जब तक अपील पर सुनवाई पूरी नहीं होती, तब तक करनैलगंज के उप जिलाधिकारी द्वारा जारी दुकान आवंटन आदेश को निलंबित रखा जाए।
क्या है मामला?
करनैलगंज तहसील में एक उचित दर दुकान का आवंटन 20 जून 2025 को साधना सिंह, अध्यक्ष, सम्मान महिला स्वयं सहायता समूह के पक्ष में किया गया था। इस पर नीलम नाम की महिला ने आपत्ति दर्ज कराते हुए न्यायालय उपायुक्त खाद्य के समक्ष अपील दायर की।
अपील में दावा किया गया कि दुकान आवंटन विनियमित प्रक्रिया के विपरीत और मनमाने ढंग से किया गया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि न तो सभी आवेदकों को समान अवसर दिया गया, और न ही चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता रही।
खाद्य उपायुक्त का हस्तक्षेप
30 जून को पारित आदेश में खाद्य उपायुक्त विजय प्रभा ने यह स्पष्ट किया कि अपील वैधानिक रूप से समय पर दायर की गई है और इसलिए इसे स्वीकार कर लिया गया है। आदेश में कहा गया कि जब तक अगली सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक दुकान आवंटन आदेश प्रभाव में नहीं लाया जा सकता।
मामले की अगली सुनवाई 7 जुलाई 2025 को निर्धारित की गई है, जिसमें संबंधित पक्षों को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाएगा।
बहुवन मदारमाझा में भी चयन प्रक्रिया पर विवाद
करनैलगंज क्षेत्र की ग्राम पंचायत बहुवन मदारमाझा में भी उचित दर दुकान के चयन को लेकर तनाव बना हुआ है। रिंकी यादव नाम की ग्रामीण महिला ने जनता दर्शन कार्यक्रम में जिलाधिकारी को शिकायती पत्र सौंपा था।
इस पत्र के आधार पर जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने जिला पूर्ति अधिकारी और एसडीएम करनैलगंज को निर्देश दिए कि चयन प्रक्रिया दोबारा की जाए और वह भी पूर्ण पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ खुले रूप में आयोजित की जाए।
पिछली बैठक पर उठे सवाल
गांव में 24 मई को दुकान चयन के लिए बैठक प्रस्तावित की गई थी, लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि यह बैठक गांव के पश्चिमी हिस्से की बजाय पूर्वी छोर पर आयोजित की गई। कुछ ग्रामीणों और नोडल अधिकारी द्वारा विरोध जताने पर बैठक स्थगित करनी पड़ी। इस घटनाक्रम के बाद चयन प्रक्रिया पर और ज्यादा सवाल उठने लगे।
विवादों में चयन प्रक्रिया, प्रशासन की साख पर सवाल
अब जब दो अलग-अलग स्थानों पर उचित दर दुकान आवंटन प्रक्रिया पर विवाद खड़ा हो चुका है, तो यह पूरी व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि दुकान आवंटन जैसी बुनियादी प्रक्रिया भी पारदर्शिता से नहीं हो पा रही, तो बाकी योजनाओं का क्या होगा?
राजनीतिक असर भी संभव
सूत्रों के अनुसार, गांवों में उचित दर दुकान का आवंटन स्थानीय राजनीति में प्रभाव पैदा करता है। ऐसे में यह संभावना भी जताई जा रही है कि चयन प्रक्रिया को कुछ खास लोगों के फेवर में मोड़ा जा रहा है। यदि यह आरोप सही साबित होते हैं तो आगामी स्थानीय चुनावों में यह विषय बड़ा मुद्दा बन सकता है।