नवाबगंज में त्रिशताब्दी स्मृति वर्ष पर पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर को नमन,

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नवाबगंज में त्रिशताब्दी स्मृति वर्ष पर पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर को नमन, समाज सुधार के संकल्प के साथ हुआ आयोजन

रिपोर्ट: आशीष श्रीवास्तव, ब्युरो चीफ, उत्तर प्रदेश

नवाबगंज, गोंडा।
पुण्यश्लोक महारानी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के उपलक्ष्य में नवाबगंज विकासखंड में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। “त्रिशताब्दी स्मृति अभियान” के अंतर्गत हुए इस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि डॉ. सत्येंद्र सिंह शामिल हुए और उन्होंने महारानी अहिल्याबाई के जीवन, उनके विचारों और समाज सुधार में उनके ऐतिहासिक योगदान पर प्रकाश डाला।

डॉ. सिंह ने कहा कि अहिल्याबाई नारी शक्ति का प्रतीक थीं। उन्होंने सामाजिक न्याय, धर्म और सेवा की भावना से शासन किया। आज के दौर में हमें उनके विचारों को अपनाकर सामाजिक सुधार की दिशा में कार्य करना चाहिए।

कार्यक्रम के दौरान उपस्थित सभी लोगों ने महारानी के सिद्धांतों को आत्मसात करने का संकल्प लिया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।


महारानी अहिल्याबाई होलकर: आदर्श नारी नेतृत्व की मिसाल

महारानी अहिल्याबाई होलकर का नाम भारतीय इतिहास में सशक्त, न्यायप्रिय और दूरदर्शी महिला शासिका के रूप में लिया जाता है। उन्होंने अपने शासन काल में न सिर्फ मंदिरों का पुनर्निर्माण कराया, बल्कि सड़कों, कुओं, धर्मशालाओं और शिक्षण संस्थानों का भी निर्माण करवाया।

काशी, उज्जैन, गया, अयोध्या, रामेश्वरम् जैसे धार्मिक स्थलों पर उनके द्वारा कराए गए कार्य आज भी उनके परोपकारी स्वभाव की गवाही देते हैं। वे हर वर्ग के लिए न्याय करती थीं और जरूरतमंदों की सहायता को हमेशा तत्पर रहती थीं।


विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति से कार्यक्रम हुआ प्रभावशाली

इस अवसर पर नवाबगंज ग्रामीण मंडल अध्यक्ष श्री विनोद कुमार सिंह, महामंत्री सत्यवान सिंह, उपाध्यक्ष अनुराग श्रीवास्तव और ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि भानु प्रताप सिंह विशेष रूप से उपस्थित रहे। साथ ही, समाज कल्याण अधिकारी श्री रामकरण, एडीओ आईएसबी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा बहुएं, ग्रामीण क्षेत्र के गणमान्य नागरिक तथा जनप्रतिनिधि भी कार्यक्रम में शामिल हुए।

सभी ने अपने वक्तव्यों में अहिल्याबाई होलकर के जीवन से जुड़ी प्रेरक घटनाओं को साझा किया और उनके जीवन से सीख लेने का संदेश दिया।


नारी सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय का संदेश

कार्यक्रम में वक्ताओं ने यह स्पष्ट किया कि अहिल्याबाई होलकर का जीवन महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है। उन्होंने दिखाया कि नेतृत्व और दया दोनों के संतुलन से समाज को सशक्त बनाया जा सकता है।

आज जब देश महिला अधिकारों, शिक्षा और सुरक्षा की बात कर रहा है, ऐसे में अहिल्याबाई होलकर जैसे ऐतिहासिक चरित्रों का स्मरण करना आवश्यक है ताकि वर्तमान पीढ़ी सही दिशा में आगे बढ़ सके।


जन भागीदारी और उत्साह ने बढ़ाई गरिमा

कार्यक्रम के दौरान स्थानीय विद्यालयों के छात्रों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, भाषणों और कविताओं के माध्यम से कार्यक्रम को विशेष बना दिया। बच्चों की प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम में एक भावनात्मक और प्रेरणादायक माहौल बना दिया।

जनसमूह की उपस्थिति और उत्साह ने यह सिद्ध कर दिया कि आज भी समाज ऐतिहासिक महान विभूतियों से प्रेरणा लेना चाहता है और उनके आदर्शों को जीवन में अपनाना चाहता है।


सोशल मीडिया पर भी छाया कार्यक्रम, यूजर्स ने किए ट्रेंडिंग हैशटैग्स के साथ पोस्ट

इस ऐतिहासिक कार्यक्रम की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रहे हैं। लोग फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर #AhilyabaiHolkar300Years, #WomenEmpowerment, #AhilyabaiLegacy जैसे हैशटैग्स के साथ श्रद्धांजलि दे रहे हैं। कई यूजर्स ने यह भी लिखा कि इस तरह के आयोजनों से नई पीढ़ी को सकारात्मक प्रेरणा मिलती है।


निष्कर्ष:

इस आयोजन ने यह स्पष्ट कर दिया कि समाज आज भी महान विचारों को सम्मान देता है और उन्हें अपनाने को तैयार है। महारानी अहिल्याबाई होलकर न केवल एक ऐतिहासिक शख्सियत हैं, बल्कि आज की महिलाओं के लिए एक प्रेरणादायक रोल मॉडल भी हैं।

उनके सिद्धांत, नारी सम्मान, शिक्षा, और धर्मनिरपेक्षता के मूल विचारों को आत्मसात कर हम एक बेहतर और समरस समाज की ओर अग्रसर हो सकते हैं।


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