रिपोर्टर: संदीप मिश्रा, रायबरेली
अमेठी, 11 जून 2025:
राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. अंशुमान सिंह की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन हुआ। यह बैठक मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में पेशेंट स्टेकहोल्डर प्लेटफार्म (PSP) के सदस्यों के साथ संपन्न हुई।
बैठक का उद्देश्य PSP गठन के बाद फील्ड पर हुए कार्यों की समीक्षा और उपलब्धियों पर चर्चा करना था। इसमें फुरसतगंज, जामो, मुसाफिरखाना और तिलोई ब्लॉक के कार्यों पर विशेष रूप से प्रकाश डाला गया, जहां सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (CHO) के नेतृत्व में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए प्रभावशाली प्रयास किए जा रहे हैं।
सामूहिक प्रयासों से होगा फाइलेरिया का समूल नाश
बैठक के दौरान सीएमओ डॉ. अंशुमान सिंह ने स्पष्ट कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन का कार्य केवल सरकारी योजनाओं से संभव नहीं है, जब तक उसमें जनभागीदारी न हो। उन्होंने कहा कि पीएसपी सदस्यों द्वारा सामुदायिक जागरूकता और स्वास्थ्य शिक्षा का कार्य सराहनीय है।
उन्होंने बताया कि अब ग्रामीण क्षेत्रों के लोग अपने गांव के ही आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर फाइलेरिया जैसे रोगों के लिए परामर्श और उपचार ले पा रहे हैं। इससे न केवल बीमारी के प्रसार में कमी आ रही है, बल्कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ रही है।
आयुष्मान कार्ड बनाना प्राथमिकता
सीएमओ ने सभी स्वास्थ्य अधिकारियों और कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया कि वे अपने क्षेत्रों में 70 वर्ष से अधिक आयु वाले सभी नागरिकों का आयुष्मान कार्ड अनिवार्य रूप से बनवाएं। उन्होंने कहा कि इससे वरिष्ठ नागरिकों को स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो सकेंगी।
रोगी पहचान और सूचीकरण की जरूरत
बैठक में राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. राम प्रसाद ने फाइलेरिया के लक्षण, रोकथाम और उपचार के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि CHO और आशा कार्यकर्ताओं को पीएसपी सदस्यों के सहयोग से संभावित फाइलेरिया मरीजों और हाइड्रोसील से ग्रसित व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें सूचीबद्ध करना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि छिपे हुए मामलों की पहचान और सूचीकरण के बिना इस रोग का समूल नाश संभव नहीं है।
रोग प्रबंधन और दवा वितरण पर फोकस
मुसाफिरखाना सीएचसी के अधीक्षक डॉ. आलोक मिश्रा ने रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांगता रोकथाम कार्यक्रम (MMDP) और सर्वजन दवा सेवन अभियान (MDA) के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार फाइलेरिया रोगियों को स्थानीय स्तर पर निःशुल्क उपचार, परामर्श और दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
उन्होंने बताया कि पहले जिन मरीजों को इलाज के लिए दूर शहर जाना पड़ता था, अब उन्हें गांव में ही आवश्यक सेवाएं मिल रही हैं। आशा कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी कर्मचारियों द्वारा किए जा रहे कार्यों की भी उन्होंने सराहना की।
पीएसपी: स्वास्थ्य जागरूकता की नई पहल
पीएसपी यानी पेशेंट स्टेकहोल्डर प्लेटफार्म अब केवल एक समीक्षा समूह नहीं है, बल्कि यह जागरूकता, सहभागिता और सेवा का प्रभावी माध्यम बन गया है। इसमें ग्राम प्रधान, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, समाजसेवी और स्वयं रोगी शामिल होते हैं। इसके माध्यम से गांव-स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और समझ बेहतर हुई है।
समीक्षा बैठक में प्रमुख अधिकारी रहे उपस्थित
इस महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक में अनेक स्वास्थ्य अधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित रहे। मुख्य रूप से उपस्थित रहे:
- डॉ. अभिषेक शुक्ला, चिकित्सा अधिकारी, फुरसतगंज
- डॉ. शैलेश गुप्ता, चिकित्सा अधिकारी, जामो
- सुशील कुमार, उप जिला मलेरिया अधिकारी
- सीएमओ कार्यालय के अन्य अधिकारी
- सीफार संस्था के जिला प्रतिनिधि
- विभिन्न ब्लॉकों के CHO, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, ग्राम प्रधान और फाइलेरिया पीड़ित
अमेठी की पहल पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणा
अमेठी जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सरकार, स्वास्थ्य विभाग और जनप्रतिनिधियों के संयुक्त प्रयास सराहनीय हैं। PSP जैसी पहल न केवल लोगों को जागरूक कर रही है बल्कि उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ रही है। इससे स्पष्ट है कि जब समाज और सरकार एक साथ कदम बढ़ाते हैं, तो किसी भी बीमारी को हराया जा सकता है।
निष्कर्ष:
फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है, जिसे पूरी तरह खत्म करने के लिए केवल दवाएं ही नहीं, बल्कि जागरूकता, समय पर पहचान और समुदाय का सहयोग भी आवश्यक है। अमेठी जिले में चल रहे प्रयास यह प्रमाणित करते हैं कि जब नीति और नागरिकता एक साथ चलें, तब कोई भी स्वास्थ्य अभियान सफल हो सकता है।