रिपोर्ट: संदीप मिश्रा, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, कड़क टाइम्स
रायबरेली। गुरु तेग बहादुर मार्केट (सुपर मार्केट) रविवार को श्रद्धा और भावनाओं से भर उठा, जब स्वर्गीय ठाकुर धुन्नी सिंह की 38वीं पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में हर वर्ग के लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। कार्यक्रम की शुरुआत उनके चित्र पर पुष्प अर्पित करके की गई, जिसके बाद माहौल पूरी तरह भावुक हो चुका था। उनकी पुत्री और कमला फाउंडेशन की अध्यक्ष पूनम सिंह ने पिता को याद करते हुए कहा— “पिता जी जनता को परिवार समझकर सेवा करते थे। आज की राजनीति में दिल की जगह दिमाग ज़्यादा दिखता है। जनसेवा उनके लिए सिर्फ काम नहीं, एक संस्कार था।”
उन्होंने आगे कहा कि समय बदलता है, राजनीति का स्वरूप भी बदल सकता है, लेकिन सच्ची सेवा की भावना हमेशा जिंदा रहती है। जीवन भर सादगी, ईमानदारी और मानवीय संवेदनाओं को सबसे ऊपर रखने वाले ठाकुर धुन्नी सिंह को आज भी लोग उसी सम्मान के साथ याद करते हैं, जैसा उनके जीवनकाल में करते थे। उनके लिए नेता होना नहीं, बल्कि लोगों के सुख-दुख में साथ खड़ा होना ही राजनीति की असली परिभाषा थी।
कार्यक्रम के बाद इस बार भी परंपरा के अनुरूप विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। सुबह से शुरू होकर देर शाम तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। इतनी भीड़ थी कि कई बार पंडाल में जगह कम पड़ गई, लेकिन हर व्यक्ति शांति और श्रद्धा के साथ प्रसाद ग्रहण करता रहा। लोगों का यह स्नेह साफ संकेत देता है कि स्व. धुन्नी सिंह की लोकप्रियता आज भी उतनी ही अटूट है जितनी उनके समय में थी।
भंडारे में शहर व ग्रामीण क्षेत्रों से आए हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। कई बुजुर्गों ने याद करते हुए कहा कि धुन्नी सिंह जैसे जमीनी नेता आज की राजनीति में बहुत कम मिलते हैं। लोगों ने बताया कि वे जनता की समस्याओं को अपनी समस्या मानकर समाधान करते थे, इसलिए लोग उन्हें परिवार की तरह मानते थे। आज भी लोग उनके काम और व्यवहार को मिसाल की तरह याद करते हैं।
कार्यक्रम में गीता सिंह, ममता सिंह, रजनी अवस्थी, मधु सिंह, केशकली (नेताइन), रजोले मिश्रा, सुषमा सिंह, समाजसेवी जगदीश चनानी, सुनील अवस्थी, सूरजपाल सिंह, एडवोकेट प्रदीप सोनकर, एडवोकेट उपेंद्र सिंह, दिलदार रैनी (व्यापार मंडल नगर अध्यक्ष), आफ़ताब अहमद (रज्जू खान) (वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सपा) सहित कई प्रमुख लोग मौजूद रहे। पिंटू सिंह, सुमित सिंह, हिमांशु सिंह, कुलदीप शर्मा, अरविंद केवट, भोला सिंह, झब्बू मकसूद, अजीत चौहान, राजेंद्र अवस्थी, राजू अग्रवाल, एस.पी. सिंह, पंकज मिश्रा और दिलीप बाधवानी भी कार्यक्रम का हिस्सा बने।
इसके अलावा व्यापारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, स्थानीय नागरिकों और श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या पूरे आयोजन में शामिल रही। भीड़ में मौजूद प्रत्येक व्यक्ति यही कहता नजर आया कि धुन्नी सिंह जैसे ईमानदार और ज़मीनी नेता शायद ही दोबारा देखने को मिलें। उनकी पुण्यतिथि एक औपचारिकता नहीं, बल्कि जनभावनाओं का ऐसा संगम बन चुकी है जहां हर व्यक्ति उन्हें अपने तरीके से श्रद्धांजलि देता है।
38 साल बाद भी उनकी लोकप्रियता में ज़रा भी कमी नहीं आई है। लोगों की उपस्थिति यह बताती है कि नेता वही होता है जो अपने पद से नहीं, बल्कि अपने व्यवहार से, अपनी निष्ठा से और अपने कामों से जनता के दिलों में जगह बनाता है। रविवार का आयोजन न सिर्फ एक श्रद्धांजलि सभा थी, बल्कि यह संदेश भी था कि सच्ची सेवा कभी मरती नहीं।