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रायबरेली: तबादले के बावजूद नसीराबाद थाने से नहीं हटे मुख्य आरक्षी बृज किशोर — ऊंची पहुंच के आगे बौनी होती दिखी पुलिस व्यवस्था

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रिपोर्ट: माया लक्ष्मी मिश्रा, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, कड़क टाइम्स

रायबरेली जनपद में पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करने वाला मामला सामने आया है। नसीराबाद थाने में लंबे समय से तैनात मुख्य आरक्षी बृज किशोर का तबादला आदेश जारी होने के बावजूद वे आज भी उसी थाने में कार्यरत हैं। यह स्थिति इस ओर इशारा करती है कि जिले में तबादला व्यवस्था कितनी प्रभावशाली है और आदेशों का कितना पालन हो रहा है।

जानकारी के अनुसार मुख्य आरक्षी बृज किशोर का तबादला पहले नसीराबाद से गदागंज थाने के लिए किया गया था। बाद में 14 अक्टूबर को संशोधित आदेश में उनका तबादला निरस्त कर उन्हें कोतवाली सलोंन में तैनात करने का निर्देश जारी हुआ। सामान्य परिस्थितियों में तबादले के बाद संबंधित कर्मी को नई तैनाती स्थल पर रिपोर्ट करना अनिवार्य होता है, लेकिन यहां मामला इसके विपरीत नजर आ रहा है।

सूत्रों का दावा है कि बृज किशोर नसीराबाद थाने से खुद को अलग करने के बजाय यहीं डटे हुए हैं। बताया जाता है कि वे अपनी ऊंची पहुंच और प्रभाव का हवाला देते हुए अभी भी उसी थाने से कार्य कर रहे हैं। इससे यह सवाल उठने लगा है कि क्या जिले में वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों का पालन वास्तव में हो रहा है या कुछ चुनिंदा कर्मियों के लिए नियमों के मायने ही अलग हैं?

पुलिस अधीक्षक डॉ. यशवीर सिंह द्वारा जिले में पारदर्शी और निष्पक्ष पुलिसिंग के निर्देश दिए जाने के बावजूद इस घटना ने विभागीय अनुशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि बृज किशोर लंबे समय से नसीराबाद थाने में जमे हुए हैं और वहां उन्होंने मजबूत पकड़ बना ली है, जिसकी वजह से तबादले के बाद भी वे वहां से हटने को तैयार नहीं हैं।

स्थानीय स्तर पर यह चर्चा आम है कि जब कोई पुलिसकर्मी वर्षों तक एक ही जगह पर तैनात रहता है, तो उसकी पहचान और प्रभाव दोनों बढ़ जाते हैं, जिससे पुलिस कार्यप्रणाली की निष्पक्षता प्रभावित होती है। ऐसे में यदि अधिकारी आदेशों को दरकिनार कर अपनी पसंद की जगह पर बने रहें, तो यह व्यवस्था की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल है।

नसीराबाद क्षेत्र में यह मामला लोगों की जुबान पर है। सोशल मीडिया पर भी इस प्रकरण की चर्चा हो रही है, जहां लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर बृज किशोर के पीछे ऐसा कौन-सा “प्रभावशाली संरक्षण” है, जो उन्हें आदेशों की अनदेखी करने की छूट दे रहा है।

हालांकि अब तक पुलिस विभाग की ओर से इस पूरे प्रकरण पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। सूत्रों की मानें तो उच्च अधिकारी इस पूरे मामले की समीक्षा कर सकते हैं। वहीं यह भी चर्चा है कि नसीराबाद थाने में पूर्व में भी कुछ विवादित मामलों में बृज किशोर का नाम सामने आया था।


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