रिपोर्ट: माया लक्ष्मी मिश्रा, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, कड़क टाइम्स
डलमऊ, रायबरेली | 08 दिसम्बर 2025
डलमऊ कस्बे में प्राइवेट क्लीनिक और दवा दुकानों के जरिए इलाज का काम कर रहे कुछ कथित “बंगाली डॉक्टरों” पर स्थानीय लोगों ने सवाल खड़े किए हैं। कई नागरिकों ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया कि कस्बे में चंदासी मद्रासी देवा फार्मासिस्ट के नाम से चल रहे दवाखाने में लंबे समय से ऐसे लोगों का आना-जाना है, जिनकी पहचान और योग्यता को लेकर ग्रामीणों के मन में संदेह बना हुआ है। लोगों का कहना है कि वर्तमान परिस्थितियों में प्रशासन को इन गतिविधियों की गोपनीय जांच करानी चाहिए, ताकि किसी भी तरह की संभावित गड़बड़ी से पहले ही सावधानी बरती जा सके।
ग्रामीणों के अनुसार, रायबरेली के डलमऊ, ऊंचाहार, महराजगंज, सलोन, लालगंज और सदर क्षेत्र में पिछले कई दशकों से बाहर के कुछ लोग प्राइवेट प्रैक्टिस के नाम पर बसे हुए हैं। उन्हें लेकर यह भी कहा जा रहा है कि समय के साथ उन्होंने यहां के आवश्यक दस्तावेज़ बनवा लिए हैं, जिससे वे स्थानीय निवासियों की तरह दिखाई देते हैं। नागरिकों ने चिंता जताई कि कुछ लोग “डॉक्टर” की पहचान का उपयोग कर आम जनता में विश्वास बनाकर इलाज के नाम पर मनमाना शुल्क लेते हैं और इस तरह आर्थिक लाभ कमाते हैं।
लोगों का कहना है कि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को यह सत्यापित करना चाहिए कि कौन लोग मेडिकल प्रैक्टिस करने के योग्य हैं और कौन केवल अपनी पहचान छुपाकर इस पेशे का उपयोग निजी लाभ के लिए कर रहे हैं। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में बिना अनुमति और बिना योग्यता के प्रैक्टिस करना भविष्य में गंभीर समस्या का कारण बन सकता है।
प्रदेश में चल रही SIR जांच के दौरान कई स्थानों पर ऐसे व्यक्तियों में बेचैनी देखी जा रही है, जिससे स्थानीय लोगों के संदेह और गहरे हो गए हैं। नागरिकों का कहना है कि अगर प्रशासन सभी प्राइवेट क्लीनिक, मेडिकल स्टोर और दवाखानों की पारदर्शी जांच शुरू करे, तो क्षेत्र में फैली अनिश्चितता दूर होगी और लोगों में विश्वास बढ़ेगा। कई निवासियों ने यह भी सुझाव दिया कि बाहर से आकर बसे लोगों की पहचान, पते और वैध दस्तावेज़ों की भी समीक्षा की जानी चाहिए।





