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रायबरेली में पूर्व नौसैनिकों का भव्य मिलन समारोह; Navy Heroes की Real Stories ने युवाओं में जगाया देशभक्ति का जज़्बा

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रिपोर्ट: संदीप मिश्रा, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, कड़क टाइम्स

रायबरेली। नौसेना दिवस के अवसर पर रविवार को शहर का माहौल देशभक्ति की ऊर्जा से भरा हुआ था, जब जिले के पूर्व नौसैनिक एक विशाल मिलन समारोह में एकत्र हुए। शहर के एक सामुदायिक भवन में आयोजित यह आयोजन सिर्फ एक यादगार मुलाकात नहीं, बल्कि उन बहादुर सैनिकों के जीवन का जीवंत दस्तावेज बन गया, जिन्होंने वर्षों तक समुद्र की अथाह लहरों के बीच देश की सुरक्षा का दायित्व निभाया। कार्यक्रम में नौसेना की पारंपरिक गरिमा, भाईचारा और भावनाओं की सहज अभिव्यक्ति देखने को मिली।

समारोह की शुरुआत भारतीय नौसेना की परंपरागत केक-कटिंग से हुई, जिसके बाद पूरा माहौल उत्साह और तालियों से गूंज उठा। जैसे ही पूर्व नौसैनिक मंच पर पहुंचे, अपनी कहानियाँ साझा कीं—हॉल में मौजूद हर शख्स एक-एक शब्द को ध्यान से सुनता रहा। कई पूर्व सैनिकों ने उन दिनों को याद किया जब समुद्र में लगातार कई-कई दिनों तक रहकर कठिन परिस्थितियों में मिशन पूरे किए जाते थे। उन्होंने उन क्षणों का भी ज़िक्र किया जब देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी और गलती की गुंजाइश न के बराबर।

ऑनरेरी लेफ्टिनेंट उमा शंकर ने अपने संबोधन में कहा कि आज की नौसेना अत्याधुनिक तकनीकों, आधुनिक जहाजों और बेहतर सुविधाओं से सुसज्जित है, लेकिन सैनिक का मूल जज़्बा आज भी वैसा ही है जैसा दशकों पहले था। उन्होंने कहा, “हमारे समय में साधन कम थे, लेकिन हिम्मत और अनुशासन हर चुनौती से बड़ी थी। आज की पीढ़ी तकनीक के साथ अधिक सक्षम है, पर देशप्रेम की वह आग आज भी उतनी ही प्रबल है।” उनका वक्तव्य हॉल में उपस्थित युवाओं के लिए प्रेरणा बन गया।

इस कार्यक्रम में धीरेंद्र सिंह, मनोज शर्मा, आरबी सिंह, श्याम भवन सिंह, कुलदीप बहादुर सिंह, राजेंद्र सिंह, विप्लव श्रीवास्तव, प्रदीप कुमार, आरपी सिंह, शैलेंद्र दीक्षित, दिलीप कुमार सहित कई अनुभवी पूर्व नौसैनिक मौजूद रहे। सभी ने एकमत होकर बताया कि नौसेना ने उन्हें सिर्फ यूनिफॉर्म और नौकरी नहीं दी, बल्कि जीवन जीने की शैली, अनुशासन, नेतृत्व और टीमवर्क का वास्तविक अर्थ सिखाया। कई वक्ताओं ने कहा कि कठिन हालात में शांत रहकर सही निर्णय लेने की क्षमता उन्हें Navy Training ने ही दी, जिससे आज वे सिविल लाइफ में भी सफल हैं।

इस कार्यक्रम को खास बनाने में परिवारों की उपस्थिति ने अहम भूमिका निभाई। सैनिकों की पत्नियों, बच्चों और बुजुर्ग माता–पिता ने गर्व के साथ अपने परिजनों को सम्मानित होते देखा। कई परिवारों ने कहा कि आम तौर पर सैनिकों का त्याग और सेवा लोगों की नज़रों से दूर रह जाती है, लेकिन ऐसे कार्यक्रम उन्हें गर्व का एहसास कराते हैं कि उनके घर का सदस्य देश की सुरक्षा का हिस्सा रहा है। बच्चों ने उत्साह से पूर्व सैनिकों की कहानियाँ सुनीं, जिससे उनमें भी देशसेवा का भाव जाग्रत होता दिखाई दिया।

समारोह के अंत में सभी पूर्व नौसैनिकों तथा आयोजन समिति के सदस्यों को अंगवस्त्र और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। सम्मान ग्रहण करते समय सैनिकों के चेहरे पर जो मुस्कान और गर्व की चमक दिखाई दी, वह शब्दों में बयान करना संभव नहीं। हॉल में “भारतमाता की जय” और “Indian Navy Zindabad” जैसे नारे लंबे समय तक गूंजते रहे।

इस पूरे आयोजन के पीछे वरिष्ठ पूर्व नौसैनिक धीरेंद्र सिंह की प्रमुख भूमिका रही। उनके नेतृत्व और प्रेरणा से मनोज शर्मा, आरबी सिंह, सत्येंद्र सिंह, दीपक कुमार मिश्रा और दिलीप कुमार ने कई दिनों की तैयारी के बाद इस कार्यक्रम को सफल बनाया। आयोजकों ने घोषणा की कि आगे हर वर्ष नौसेना दिवस इसी धूमधाम और सम्मान के भाव के साथ मनाया जाएगा, ताकि नई पीढ़ी में राष्ट्रभक्ति और Armed Forces के प्रति सम्मान बढ़ता रहे।


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