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Lucknow Crime Alert: मान्यता प्राप्त पत्रकार पर कातिलाना हमला, सत्ता से जुड़े गुंडों की खुलेआम दहशत

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रिपोर्ट: माया लक्ष्मी मिश्रा, रायबरेली, उत्तर प्रदेश

लखनऊ। राजधानी में प्रेस की आज़ादी और पत्रकार सुरक्षा को चुनौती देने वाली एक बड़ी घटना सामने आई है। राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार सुशील अवस्थी पर सोमवार देर रात धारदार तरीके से हमला किया गया। यह हमला सिर्फ किसी व्यक्ति पर नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रीढ़ कहे जाने वाले चौथे स्तंभ पर सीधा प्रहार माना जा रहा है।

जानकारी के अनुसार, सुशील अवस्थी को उनके घर से चालाकी से बाहर बुलाया गया। फोन पर किसी परिचित ने मिलने का बहाना बनाया और गाड़ी में बैठते ही कुछ लोगों ने उन्हें घेर लिया। रास्ते में ही उन पर बेरहमी से हमला किया गया, जैसे हमलावरों का मकसद उन्हें जिंदा नहीं छोड़ने का था। गंभीर रूप से घायल हालत में उन्हें उनके घर के पास फेंक दिया गया और जाते-जाते धमकी भी दी—
“अगर हमारे नेता पर सोशल मीडिया में कुछ लिखा, तो अगली बार सीधा खत्म कर देंगे।”

स्थानीय सूत्रों का कहना है कि इस हमले के तार उन लोगों से जुड़े हैं, जो सत्ता के नाम पर दबंगई दिखाते हैं और किसी भी आलोचना पर आगबबूला हो जाते हैं। राजधानी में इस तरह का हमला यह संकेत देता है कि राजनीतिक संरक्षण में पलने वाले गुंडों का हौसला किस हद तक बढ़ चुका है। कई पत्रकार इसे “नए दौर का political mafia model” बता रहे हैं।

घटना मानक नगर कोतवाली क्षेत्र में हुई बताई जा रही है। आसपास मौजूद लोगों का कहना है कि कुछ संदिग्ध लोग उस इलाके में घूमते दिखे थे, लेकिन किसी को अंदाज़ा नहीं था कि वे एक पत्रकार पर हमला करने आए हैं।

हमले के बाद सुशील अवस्थी को लोकबंधु अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों के अनुसार, उनकी स्थिति गंभीर है और लगातार निगरानी में रखा गया है। मीडिया जगत में इस घटना को लेकर जबरदस्त आक्रोश है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर #JusticeForSushilAwasthi और #PressFreedom जैसे हैशटैग तेजी से ट्रेंड कर रहे हैं।

पत्रकार समुदाय का कहना है कि अगर राजधानी में भी पत्रकार सुरक्षित नहीं, तो बाकी प्रदेश की स्थिति का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं। कई वरिष्ठ पत्रकारों ने इसे “लोकतांत्रिक सिस्टम पर सीधा हमला” करार दिया है। उनका कहना है कि सच लिखना अगर अपराध समझा जाने लगे, तो पत्रकारिता का अस्तित्व ही खतरे में आ जाएगा।

कड़क टाइम्स ने जब कुछ पत्रकार संगठनों से बात की, तो उनका साफ कहना था कि यह हमला सिर्फ एक व्यक्ति को चुप कराने के लिए नहीं, बल्कि बाकी पत्रकारों को डराने की सोची-समझी कोशिश है। उनका कहना है कि अगर दोषियों को तुरंत गिरफ्तार नहीं किया गया, तो अपराधियों का मनोबल और बढ़ेगा।

मैं प्रशासन से अपील करती हूँ कि इस घटना को top priority पर लेते हुए, हमलावरों को जल्द से जल्द पहचानकर कड़ी कार्रवाई की जाए। कानून तभी प्रभावी होगा जब पत्रकारों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।

समाज को जागरूक करने, भ्रष्टाचार उजागर करने और जनता की आवाज़ सरकार तक पहुँचाने में पत्रकारों की भूमिका बेहद अहम होती है। ऐसे में उनके साथ हिंसक व्यवहार न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि यह लोकतंत्र पर सीधा प्रहार है।

यह घटना साफ बताती है कि लखनऊ जैसे बड़े शहर में भी अपराधियों का हौसला कितना बढ़ चुका है। अब पूरा प्रदेश इस बात पर नज़र लगाए हुए है कि पुलिस और प्रशासन दोषियों को कब और कैसे पकड़ता है।


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