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गैर-जमानती वारंट के बाद भी पुलिस क्यों नहीं पकड़ पा रही लेखपाल पंकज वर्मा? सवालों के घेरे में व्यवस्था

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रिपोर्ट: माया लक्ष्मी मिश्रा, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, कड़क टाइम्स

रायबरेली। डलमऊ थाना क्षेत्र के डंगरी चक मलिक भीटी गांव के लेखपाल पंकज वर्मा और उनके भाई नीरज वर्मा को लेकर चल रही पुलिस कार्रवाई अब गंभीर चर्चा का मुद्दा बन चुकी है। 27 नवंबर 2025 को माननीय न्यायालय से गैर-जमानती वारंट जारी होने के बावजूद दोनों की गिरफ्तारी न होना कई संदेहों को जन्म दे रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि पंकज वर्मा ऊंचाहार तहसील में अपनी उपस्थिति सरकारी रजिस्टर में दर्ज करा रहे हैं, जबकि पुलिस रिकॉर्ड में उन्हें फरार बताया जा रहा है।

गांव के लोगों का कहना है कि नीरज वर्मा अक्सर अपने घर पर दिखाई देता है, फिर भी पुलिस उसे अदालत में पेश नहीं कर सकी। यह स्थिति लोगों को सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर पुलिस की कार्रवाई में देरी क्यों हो रही है। स्थानीय सूत्रों का दावा है कि थाने की पुलिस और लेखपाल के बीच किसी प्रकार की मजबूत “अंडरस्टैंडिंग” बनी हुई है, जिसके चलते गिरफ्तारी की प्रक्रिया सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई है।

पूरा मामला जनवरी और मार्च में उस समय गंभीर हो गया था जब पंकज वर्मा, उनके भाई नीरज वर्मा और परिजनों पर पंकज की पत्नी विजयलक्ष्मी वर्मा की पिटाई का आरोप लगा था। लंबे समय तक चली कानूनी लड़ाई के बाद विजयलक्ष्मी ने सभी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करवाया, लेकिन पुलिस आज तक उन्हें पकड़ने में सफल नहीं हुई। दूसरी ओर पंकज वर्मा कई बार लेखपाल संघ के कार्यक्रमों में सरकार की नीतियों के खिलाफ नारे लगाते नजर आए, जिससे साफ दिखता है कि वे छिपे नहीं हैं बल्कि सार्वजनिक मंचों पर सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं।


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