रिपोर्ट: संदीप मिश्रा, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, कड़क टाइम्स
रायबरेली। कचहरी रोड स्थित जीआईसी मैदान पर 26 से 28 सितम्बर तक नवरंग डांडिया फेस्ट 2025 का आयोजन हुआ। यह तीन दिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव शहरवासियों के लिए न सिर्फ मनोरंजन का केंद्र बना, बल्कि परंपरा और आधुनिकता के सुंदर मेल का भी प्रतीक रहा।
डांडिया और गरबा की धुनों पर युवाओं और बच्चों ने जमकर नृत्य किया। संगीत की ताल पर रंग-बिरंगे परिधानों में सजे प्रतिभागियों ने ऐसा माहौल रचा कि हर कोई झूम उठा। कार्यक्रम में डांस, गायन, रंगोली, मेहंदी और रैम्प वॉक जैसी प्रतियोगिताएँ भी हुईं, जहाँ बच्चों से लेकर युवाओं तक ने अपनी कला का प्रदर्शन कर दर्शकों से तालियाँ बटोरीं।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि कमला फाउंडेशन की अध्यक्ष पूनम सिंह रहीं। उनका आयोजकों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने माता रानी का स्मरण करते हुए कहा कि “नवरात्रि नारी शक्ति का प्रतीक है। ऐसे आयोजन हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं और आने वाली पीढ़ी को संस्कृति से परिचित कराते हैं।” उन्होंने सभी प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया और विजेताओं को शुभकामनाएँ दीं।
फेस्ट का संचालन प्रिया उपाध्याय (ओनर, Max Age Solutions) के नेतृत्व में हुआ। कार्यक्रम में संरक्षक विक्रम सिंह, मार्केटिंग हेड यश चंदानी, एडमिन हेड रोहित बराट, एक्टिविटी हेड विवेक और डिजिटल प्रमोटर वशिष्ठ की सक्रिय भूमिका भी देखने को मिली। उनकी मेहनत और टीम वर्क ने इस आयोजन को सफल और यादगार बना दिया।
तीन दिन तक रायबरेली का माहौल पूरी तरह उत्सवमय रहा। पारंपरिक परिधानों में महिलाओं और आधुनिक परिधानों में युवतियों का गरबा नृत्य, बच्चों की ऊर्जा और परिवारों का उत्साह, सबने मिलकर इस आयोजन को खास बना दिया। सुबह से रात तक जीआईसी ग्राउंड में उमड़ती भीड़ ने साबित कर दिया कि यह आयोजन शहरवासियों के लिए कितना प्रिय था।
डांडिया फेस्ट ने मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक एकता और सांस्कृतिक चेतना का भी संदेश दिया। परिवारों ने इस कार्यक्रम को पिकनिक की तरह आनंदित होकर मनाया। रंगोली और मेहंदी की प्रतियोगिताओं ने महिलाओं और युवतियों की रचनात्मकता को सामने लाया, वहीं रैम्प वॉक ने परंपरा और फैशन का आकर्षक मिश्रण प्रस्तुत किया।
नवरंग डांडिया फेस्ट 2025 ने रायबरेली की पहचान को और मजबूती दी। शहर ने यह दिखा दिया कि यहाँ न सिर्फ राजनीतिक और ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि कला, संस्कृति और उत्सवों की भी गहरी जड़ें हैं। तीन दिनों तक शहरवासियों ने जिस उत्साह से भागीदारी की, उसने इस आयोजन को यादगार बना दिया।
नवरात्रि पर्व पर जब पूरे देश में शक्ति की उपासना की जा रही थी, तब रायबरेली ने इस आयोजन के जरिए अपनी सांस्कृतिक विविधता और उत्सवप्रियता का शानदार परिचय दिया। हर किसी की जुबान पर यही था कि अगले वर्ष यह फेस्ट और भी बड़े पैमाने पर आयोजित होना चाहिए।







