नवाबगंज पुलिस ने फ़रियादी को दिलाए पूरे 1.40 लाख रुपये वापस, साइबर फ्रॉड पर UP Police का त्वरित एक्शन बना मिसाल

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रिपोर्ट: आशीष श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ, उत्तर प्रदेश, कड़क टाइम्स

गोण्डा। आज के डिजिटल दौर में जहां साइबर ठग हर दिन नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को निशाना बना रहे हैं, वहीं नवाबगंज थाने की साइबर हेल्पडेस्क टीम ने एक सराहनीय कार्य करते हुए ठगी का शिकार हुई महिला के पूरे 1,40,000 रुपये वापस दिलाकर शानदार उपलब्धि हासिल की है। इस सफलता ने न केवल पीड़िता को राहत दी, बल्कि यह भी साबित किया कि सही समय पर कार्रवाई हो तो साइबर अपराधियों के मंसूबे नाकाम किए जा सकते हैं।

साइबर अपराधों पर तेजी से निपटने के लिए पुलिस अधीक्षक गोण्डा विनीत जायसवाल ने टीमों को विशेष निर्देश दिए थे। इन्हीं निर्देशों के तहत अपर पुलिस अधीक्षक पश्चिमी राधेश्याम राय के सुपरविजन में नवाबगंज साइबर हेल्पडेस्क ने इस केस में असाधारण सतर्कता और तत्परता का परिचय दिया।

मामले की शुरुआत तब हुई जब नवाबगंज क्षेत्र की रहने वाली गीता देवी ने पुलिस से शिकायत की कि एक अज्ञात व्यक्ति ने उन्हें फोन कर झांसा दिया और बैंक से संबंधित जानकारी लेकर उनके खाते से 1.40 लाख रुपये उड़ा लिए। घटना से घबराई पीड़िता तुरंत नवाबगंज साइबर हेल्पडेस्क पहुँची। टीम ने बिना समय खोए बैंक और संबंधित इंटरमीडियरी प्लेटफॉर्म्स से संपर्क साधा और ट्रांजेक्शन को रोकने की कोशिश शुरू कर दी।

तेज फॉलो-अप, तकनीकी जांच और लगातार मॉनिटरिंग के बाद टीम ने सफलतापूर्वक पूरी रकम वापस पीड़िता के खाते में जमा करवाने में सफलता पाई। पैसा वापस मिलते ही गीता देवी के चेहरे पर जो सुकून था, वह साफ दिखाता था कि पुलिस की यह त्वरित कार्रवाई उनके लिए किसी उम्मीद से कम नहीं। उन्होंने नवाबगंज पुलिस का आभार जताते हुए कहा कि यदि पुलिस समय पर सहायता नहीं करती तो इतनी बड़ी धनराशि वापस मिलना लगभग असंभव था।

साइबर हेल्पडेस्क टीम का कहना है कि डिजिटल फ्रॉड में हर सेकंड कीमती होता है। यदि ठगी के तुरंत बाद 1930 पर कॉल कर सूचना दी जाए, तो बैंक ट्रांजेक्शन को रोका जा सकता है। देर होने पर अपराधी कई खातों में पैसा घुमा देते हैं और रिकवरी की संभावना लगभग समाप्त हो जाती है।

टीम ने यह भी बताया कि आजकल साइबर अपराधी fake customer care, KYC update, electricity bill pending, online job scam और malicious links जैसे तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। लोग अनजाने में OTP, PIN, कार्ड नंबर, Aadhaar, PAN या biometric जानकारी साझा कर बैठते हैं, और वहीं से फ्रॉड शुरू हो जाता है।

नवाबगंज पुलिस की यह उपलब्धि पूरे जिले के लिए प्रेरणादायक है। यह साबित करता है कि यदि पुलिस तकनीक को सही ढंग से अपनाए और जनता भी सतर्क रहे, तो साइबर अपराधों को रोका जा सकता है।

लोगों को यह सलाह दी जाती है कि किसी भी संदिग्ध कॉल या लिंक पर विश्वास न करें। अगर कोई ऑनलाइन फ्रॉड हो, तो तुरंत Helpline 1930 पर शिकायत दर्ज कराएं और नजदीकी थाना साइबर टीम को सूचित करें। जानकारी समय पर देने से ही आपका पैसा सुरक्षित रह सकता है।

नवाबगंज साइबर हेल्पडेस्क की तेज कार्रवाई ने यह संदेश स्पष्ट रूप से दे दिया है कि डिजिटल धोखाधड़ी करने वालों के लिए अब यूपी में बच निकलना आसान नहीं है। यह केस पुलिस की प्रोफेशनल दक्षता और तकनीकी क्षमता का बेहतरीन उदाहरण बनकर सामने आया है।

मीडिया सेल, गोण्डा द्वारा जारी


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