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मंडलायुक्त की बड़ी चेतावनी: विकास योजनाओं और कानून व्यवस्था पर सख्ती, सभी अधिकारियों को मिला अल्टीमेटम

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आशीष श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ उत्तर प्रदेश, Kadak Times

गोंडा | 30 जून 2025
देवीपाटन मंडल मुख्यालय पर आयोजित मंडलीय समीक्षा बैठक में विकास कार्यों और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सख्त तेवर देखने को मिले। मंडलायुक्त शशि भूषण लाल सुशील ने चारों जिलों – गोंडा, बहराइच, बलरामपुर और श्रावस्ती के जिलाधिकारियों, मुख्य विकास अधिकारियों और अन्य मंडलीय अफसरों को साफ निर्देश दिए कि योजनाएं सिर्फ कागजों पर नहीं, ज़मीन पर पूरी होनी चाहिए।

बैठक में हर योजना की बारीकी से समीक्षा की गई और जहां कमी पाई गई, वहां सुधार के निर्देश दिए गए। मंडलायुक्त ने दो टूक कहा कि विकास योजनाओं में लापरवाही या देरी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।


विकास योजनाओं को मिले समयबद्ध लक्ष्य

शासन की प्राथमिकता वाली योजनाओं पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि:

उन्होंने स्पष्ट किया कि जिले स्तर पर कार्यों की जवाबदेही तय होगी और लापरवाही पर सीधी कार्रवाई की जाएगी।


जल जीवन मिशन की टंकियों की गुणवत्ता होगी जांच

जल जीवन मिशन की प्रगति पर विशेष चर्चा करते हुए मंडलायुक्त ने कहा कि सभी जिलों में बनी पानी की टंकियों की गुणवत्ता की गहन जांच कराई जाए।


बेसहारा गोवंश की समस्या को प्राथमिकता पर निपटाएं

मंडलायुक्त ने गोवंश संरक्षण को लेकर भी निर्देश दिए।


उद्योग विभाग को मिली बड़ी जिम्मेदारी

उद्योग विभाग को सभी सरकारी योजनाओं का लाभ आम नागरिक तक पहुंचाने के निर्देश दिए गए।


कानून व्यवस्था पर कड़ा संदेश: लापरवाही पर सीधी कार्रवाई

मंडलायुक्त की अध्यक्षता में हुई कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक में DIG, सभी जिलों के SP, DM और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

उन्होंने कहा कि आमजन को सुरक्षा का भरोसा देना ही प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है।


जनसुनवाई को बनाया जाए असरदार माध्यम

मंडलायुक्त ने स्पष्ट किया कि:

उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देशित किया कि जनता की बात सुनी जाए और समस्याओं का समाधान प्राथमिकता पर किया जाए।


प्रदर्शन का नया पैमाना: हर माह प्रगति रिपोर्ट अनिवार्य

मंडलायुक्त ने कहा कि:

इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना, अमृत योजना, आयुष्मान भारत, स्वच्छ भारत मिशन आदि की प्रगति रिपोर्ट भी मंडल स्तर पर मांगी जाएगी।


निष्कर्ष

देवीपाटन मंडल में हुई यह समीक्षा बैठक केवल एक प्रशासनिक औपचारिकता नहीं रही, बल्कि अधिकारियों के लिए एक सख्त चेतावनी साबित हुई। अब विकास कार्यों की निगरानी प्रत्यक्ष रूप से होगी और जिम्मेदार अधिकारियों को नतीजों के आधार पर आंका जाएगा।

मंडलायुक्त का यह रुख दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश सरकार अब केवल योजनाओं की घोषणा तक सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि हर योजना का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे – यही लक्ष्य है।


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