रिपोर्ट: संदीप मिश्रा, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, कड़क टाइम्स
रायबरेली। महिला सशक्तिकरण और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे जनहितकारी अभियानों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायबरेली के तत्वावधान में सलोंन नगर स्थित स्थानीय कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय में एक भव्य जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस आयोजन में बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों, अभिभावकों, समाजसेवियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने शिरकत की और महिलाओं की स्थिति को और मजबूत बनाने पर जोर दिया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि तहसीलदार प्रियंका सिंह रहीं जिन्होंने भारत माता की तस्वीर पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया और इस अवसर पर अपने संबोधन में महिलाओं के महत्व और उनकी उपलब्धियों को विस्तार से रखा।
शिविर में वक्ताओं ने बालिका बचाओ, बालिका को शिक्षित करो, महिला कल्याण योजनाएं, महिला सशक्तिकरण और gender equality जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार साझा किए। इस दौरान महिलाओं को मिलने वाले अधिकारों, उनके हक और समाज में उनकी स्थिति को लेकर गंभीर चर्चा हुई। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य नागार्जुन प्रसाद गुप्ता, माधुरी मौर्य, ठाकुर प्रसाद मौर्य और रूपल कुमार ने कहा कि महिलाओं के बिना समाज की कल्पना अधूरी है। बेटियों को पढ़ाना सिर्फ परिवार की जिम्मेदारी नहीं बल्कि समाज और राष्ट्र की प्रगति की नींव है।
इस अवसर पर समाजसेवी सुनील साहू ने कहा कि आज बेटियां हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं। चाहे education field हो, sports हो, politics हो या फिर administration, महिलाएं अब किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। पूर्व सभासद इसरार हैदर रानू ने कहा कि गांव से लेकर शहर तक बेटियों ने साबित किया है कि अगर उन्हें शिक्षा और अवसर मिले तो वे चमत्कार कर सकती हैं। कार्यक्रम में दिनेश कौशल, अजय रस्तोगी, प्रधानाचार्य साधना शर्मा, दिनेश कुमार अग्रहरी और विद्यालय का पूरा स्टाफ मौजूद रहा।
कार्यक्रम में आए अभिभावकों ने भी इस बात पर जोर दिया कि बच्चों की शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण है और बेटियों को कभी भी बोझ नहीं समझना चाहिए। विद्यालय परिसर बच्चों और अभिभावकों की भीड़ से खचाखच भरा रहा। इस मौके पर विभिन्न वर्गों के लोगों ने यह संदेश दिया कि महिला सशक्तिकरण केवल नारों तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि इसे ground level पर उतारना होगा।
मुख्य अतिथि तहसीलदार प्रियंका सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि महिलाएं आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। देश की राष्ट्रपति से लेकर जिले की जिलाधिकारी तक, महिलाएं हर जगह अपनी छाप छोड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि हमें बेटियों को ऐसे माहौल में शिक्षा देनी चाहिए जहां वे आत्मनिर्भर बन सकें। उन्होंने स्कूली बच्चों से कहा कि वह मन लगाकर पढ़ाई करें ताकि आने वाले समय में एक अच्छा मुकाम हासिल कर सकें। उन्होंने बच्चों को motivate करते हुए कहा कि मेहनत, ईमानदारी और लगन से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।
प्रियंका सिंह ने समाज से अपील की कि महिला सशक्तिकरण सिर्फ सरकारी योजनाओं तक सीमित न रहे बल्कि हर परिवार अपने घर से इसकी शुरुआत करे। उन्होंने कहा कि जब तक बेटियों को बराबरी का दर्जा और सुरक्षा नहीं मिलेगी, तब तक समाज का संपूर्ण विकास संभव नहीं है। उन्होंने महिला कल्याण योजनाओं जैसे कन्या सुमंगला योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना और महिला हेल्पलाइन नंबर 1090 की जानकारी भी वहां मौजूद लोगों को दी।
जागरूकता शिविर में बच्चों के लिए quiz competition और cultural program भी आयोजित किए गए जिनमें बच्चियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और यह संदेश दिया कि उन्हें भी अपनी प्रतिभा दिखाने का पूरा अवसर मिलना चाहिए। विद्यालय के प्रधानाचार्य साधना शर्मा ने कहा कि ऐसे आयोजन समय-समय पर होते रहना चाहिए ताकि बच्चों और अभिभावकों को समाज में हो रहे बदलावों और योजनाओं की जानकारी मिल सके।
आज के समय में digital world में महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। social media, blogging, youtube और journalism जैसे क्षेत्रों में भी बेटियों ने अपनी धाक जमाई है। रायबरेली जैसे जिले में भी आज कई महिलाएं entrepreneur बनकर society में नया example पेश कर रही हैं। awareness camp में इस बात पर जोर दिया गया कि technology और modern education के जरिए लड़कियां नए-नए अवसरों का लाभ उठाएं।
कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने slogan दिए जैसे “बेटी है तो कल है”, “Educate Girl, Save Nation” और “Mahila Shakti Desh ki Shakti”। इन नारों ने पूरे माहौल को ऊर्जावान बना दिया। इस आयोजन ने साबित कर दिया कि अगर समाज ठान ले तो gender discrimination को खत्म करना मुश्किल नहीं है।
महिला सशक्तिकरण पर बोलते हुए नागार्जुन प्रसाद गुप्ता ने कहा कि संविधान ने महिलाओं को समान अधिकार दिए हैं लेकिन ground level पर उन्हें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है। awareness camp का मकसद यही है कि महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति सजग हों और अपने हक की लड़ाई खुद लड़ सकें।
माधुरी मौर्य ने कहा कि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जो महिला और पुरुष के बीच की खाई को खत्म कर सकता है। उन्होंने कहा कि आज की generation को यह समझना होगा कि बेटियों को पढ़ाना किसी investment से कम नहीं है। ठाकुर प्रसाद मौर्य ने कहा कि समाज में बदलाव तभी आएगा जब हम अपने mindset को बदलेंगे और बेटियों को खुले आसमान में उड़ने देंगे।
कार्यक्रम के दौरान रूपल कुमार ने कहा कि सरकार ने महिलाओं के लिए कई welfare schemes चलाई हैं लेकिन अक्सर जानकारी के अभाव में महिलाएं इसका लाभ नहीं उठा पातीं। इसलिए awareness camp बेहद जरूरी है।
इस मौके पर उपस्थित समाजसेवी सुनील साहू ने कहा कि महिलाओं के उत्थान में समाज की जिम्मेदारी सबसे बड़ी है। उन्होंने कहा कि अगर हर कोई अपनी बेटी को पढ़ाएगा और उसे आगे बढ़ने का मौका देगा तो समाज में automatically बदलाव आ जाएगा।
पूर्व सभासद इसरार हैदर रानू ने कहा कि बेटियों को सुरक्षा और सम्मान देना हमारा पहला कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि आज भी कई क्षेत्रों में लड़कियों को पढ़ाई से वंचित रखा जाता है जो गलत है। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे अपनी बेटियों को भी उतना ही अवसर दें जितना बेटों को देते हैं।
दिनेश कौशल और अजय रस्तोगी ने कहा कि समाज की प्रगति तभी संभव है जब महिलाएं हर क्षेत्र में बराबरी से भाग लें। उन्होंने कहा कि आज बेटियां doctors, engineers, IAS और PCS बनकर देश का नाम रोशन कर रही हैं।
विद्यालय के बच्चों ने भी इस मौके पर अपनी बात रखी और कहा कि वे भी बड़े होकर समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं। बच्चों ने संकल्प लिया कि वे पढ़ाई में मन लगाकर अपनी मंजिल हासिल करेंगे।
इस पूरे आयोजन का निचोड़ यही रहा कि महिलाएं अब किसी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। चाहे गांव की बेटी हो या शहर की, हर कोई अपने सपनों को पूरा करने के लिए आगे बढ़ रहा है। तहसीलदार प्रियंका सिंह के प्रेरणादायक शब्दों ने बच्चों और अभिभावकों दोनों को उत्साहित किया।
इस कार्यक्रम ने साबित किया कि जागरूकता ही बदलाव की पहली सीढ़ी है। समाज अगर एकजुट होकर बेटियों के लिए अवसर पैदा करे तो देश की तस्वीर बदलते देर नहीं लगेगी। रायबरेली में आयोजित यह शिविर महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हुआ है।





