महराजगंज ब्लॉक में ग्राम विकास अधिकारियों का विरोध प्रदर्शन, ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली पर जताई नाराजगी

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रिपोर्ट: माया लक्ष्मी मिश्रा, रायबरेली | कड़क टाइम्स

रायबरेली जनपद के महराजगंज ब्लॉक में मंगलवार को ग्राम विकास अधिकारियों ने सरकार की नई डिजिटल उपस्थिति प्रणाली के खिलाफ आवाज बुलंद की। UBI मोबाइल ऐप के ज़रिए रोज़ाना उपस्थिति दर्ज कराने के आदेशों के विरोध में अधिकारियों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया और इसे अव्यवहारिक करार दिया।

अधिकारियों का कहना है कि फील्ड वर्क के दौरान ऐप पर लॉगइन कर उपस्थिति दर्ज कर पाना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। कई गांवों में नेटवर्क की समस्या और तकनीकी गड़बड़ियों के चलते यह व्यवस्था कर्मचारियों पर अनावश्यक दबाव बना रही है।

विरोध के प्रमुख कारण

हाल ही में राज्य सरकार द्वारा ग्राम विकास अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वे अपनी उपस्थिति UBI App के माध्यम से प्रतिदिन ऑनलाइन दर्ज करें। इस फैसले के खिलाफ महराजगंज विकासखंड में अधिकारियों ने एकजुट होकर विरोध दर्ज कराया।

अधिकारियों की आपत्तियाँ:

  • ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क कनेक्टिविटी बेहद कमजोर है।
  • फील्ड ड्यूटी के दौरान ऐप लॉगिन संभव नहीं हो पाता।
  • तकनीकी समस्याओं के कारण उपस्थिति दर्ज करने में परेशानी होती है।
  • मानसिक दबाव और कार्यक्षमता पर नकारात्मक असर।

प्रदर्शन में शामिल अधिकारी

इस विरोध प्रदर्शन में प्रमुख रूप से महेंद्र शुक्ला, वैभव मिश्रा, सर्वोत्तम सिंह, मनोज कुमार, अरुण कुमार सहित कई ग्राम विकास अधिकारी मौजूद रहे। अधिकारियों ने प्रशासन से मांग की है कि इस नीति की पुन: समीक्षा कर व्यावहारिक समाधान निकाला जाए।

एक अधिकारी ने कहा,
“हम गांवों में दिनभर योजनाओं पर काम करते हैं, लेकिन इस तरह की निगरानी व्यवस्था से हमारी मेहनत पर सवाल खड़े हो रहे हैं।”

विकास कार्यों पर पड़ेगा प्रभाव?

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अधिकारियों की यह नाराजगी दूर नहीं की गई तो इसका सीधा असर विकास योजनाओं की रफ्तार पर पड़ेगा। पंचायत स्तर पर चल रही योजनाओं जैसे मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचालय निर्माण आदि के कार्य धीमे पड़ सकते हैं।

निष्कर्ष

सरकार को चाहिए कि वह तकनीकी व्यवस्थाएं लागू करने से पहले फील्ड रियलिटी का आकलन करे। केवल ऐप आधारित निगरानी से ग्राम विकास कार्यों में पारदर्शिता तो बढ़ सकती है, लेकिन जब तक आधारभूत सुविधाएं मजबूत नहीं होंगी, तब तक ऐसी नीतियां कर्मचारी और शासन के बीच टकराव की वजह बनती रहेंगी।


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