लखनऊ में छठ पूजा की भोर पर उमड़ा आस्था का समंदर — गोमती तट पर गूंजे “छठ मइया के जयकारे

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रिपोर्ट: माया लक्ष्मी मिश्रा, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, कड़क टाइम्स

लखनऊ, 28 अक्टूबर 2025:
राजधानी लखनऊ में आज सुबह छठ महापर्व का अद्भुत नज़ारा देखने को मिला। जैसे ही भोर हुई, गोमती नदी के दोनों किनारों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। इंदिरा नगर टकरोही मार्केट गल्ला मंडी और फैजाबाद रोड स्थित घाटों पर हजारों महिलाएं, पुरुष और बच्चे हाथों में सूप, टोकरी और पूजा सामग्री लेकर एकत्र हुए। जल में खड़ी व्रती महिलाएं उगते सूर्य के दर्शन की प्रतीक्षा करती रहीं, और जैसे ही क्षितिज पर पहली लालिमा दिखी, चारों ओर “छठ मइया के जयकारे” और शंखध्वनि से वातावरण गूंज उठा।

तीन दिनों से निर्जला व्रत कर रहीं महिलाओं ने आज उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर अपना व्रत पूरा किया। यह पर्व न सिर्फ कठिन साधना का प्रतीक है, बल्कि इसमें माताएं अपने परिवार की समृद्धि, पति की दीर्घायु और बच्चों के कल्याण की कामना करती हैं। महिलाओं ने विधि-विधान के साथ सूर्यदेव की आराधना की और अपने परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना की।

सूर्योदय से पहले ही श्रद्धालु परिवारों ने घाटों की ओर रुख किया। उनके सिर पर सजे सूप और टोकरी में केले, नारियल, गन्ना, सिंघाड़ा, ठेकुआ, शरीफा और मौसमी फल रखे हुए थे। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में, माथे पर सिंदूर और मांग में सुहाग की निशानी लिए जल में खड़ी रहीं। जैसे ही सूर्य की किरणें पानी की लहरों पर पड़ीं, श्रद्धा का सागर उमड़ पड़ा और हर कोई सूर्यदेव को अर्घ्य देने लगा।

गोमती तट पर सुरक्षा और व्यवस्था के भी कड़े इंतज़ाम किए गए थे। पुलिस बल, गोताखोर और नगर निगम की टीम रात से ही ड्यूटी पर तैनात रही। घाटों पर रोशनी की व्यवस्था इतनी सुंदर थी कि पूरा दृश्य एक अद्भुत आभा में नहा गया। प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण के लिए बैरिकेडिंग की थी ताकि श्रद्धालुओं को किसी असुविधा का सामना न करना पड़े।

इस दौरान माहौल भक्ति और लोकसंस्कृति से भर उठा। महिलाओं ने पारंपरिक गीतों से वातावरण को और भी भावपूर्ण बना दिया — “उग हो सूरज देव, अरघी के बेरिया…” जैसे गीतों पर लोग झूम उठे। घाटों पर दीपों की लौ और जल की लहरों का संगम देखने लायक था। कई श्रद्धालु इस पावन क्षण को अपने कैमरों में कैद करने में व्यस्त दिखे।

व्रती महिलाओं ने बताया कि छठ पूजा केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मसंयम और समर्पण का प्रतीक है। यह पर्व लोक आस्था का सबसे जीवंत उदाहरण है, जिसमें महिलाएं 36 घंटे तक बिना जल ग्रहण किए व्रत रखती हैं और उगते तथा डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा संपन्न करती हैं। उन्होंने कहा कि यह पर्व परिवार की एकता और शुद्धता का प्रतीक है।

लखनऊ में छठ का स्वरूप अब और भी व्यापक हो चुका है। यह अब सिर्फ बिहार या पूर्वांचल के लोगों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि हर वर्ग और समुदाय के लोग इसमें भाग ले रहे हैं। गोमती तट पर आज का दृश्य इसी “एकता में श्रद्धा” की भावना को दर्शा रहा था। युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक, हर कोई भक्ति में डूबा नजर आया।

पूरे शहर में छठ पर्व का माहौल दो दिन पहले से ही दिखाई देने लगा था। मार्केट में पूजा सामग्री की खरीदारी के लिए भीड़ उमड़ी रही। फल, गन्ना, सिंघाड़ा और ठेकुआ की दुकानों पर रात तक रौनक बनी रही। परिवारों ने मिलजुल कर पूजा की तैयारी की और आज सुबह जब सभी व्रती महिलाओं ने सूर्य को अर्घ्य दिया, तो वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैल गई।

प्रशासन की ओर से की गई व्यवस्था भी सराहनीय रही। घाटों की सफाई, मेडिकल टीम, गोताखोर, जल पुलिस और निगरानी ड्रोन की व्यवस्था ने इस आयोजन को सुरक्षित बनाया। कहीं कोई अव्यवस्था नहीं दिखी।

छठ पूजा के इस मौके पर महिलाओं ने अपने घर-परिवार की भलाई, समाज की उन्नति और देश के कल्याण की कामना की। भोर की ठंडी हवा में जब सूर्यदेव की पहली किरण व्रती महिलाओं के चेहरों पर पड़ी, तो वह दृश्य किसी त्योहार से अधिक भावनाओं से भरा हुआ लगा।


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