रिपोर्ट: माया लक्ष्मी मिश्रा, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, कड़क टाइम्स
रायबरेली। दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मामलों की बढ़ती घटनाओं के बीच ऊंचाहार तहसील में तैनात लेखपाल पंकज वर्मा का मामला एक बार फिर चर्चा में है। अपनी पत्नी को गांव की सड़क पर अपमानित करने, निर्वस्त्र कर पीटने, दहेज के लिए प्रताड़ित करने और परिजनों संग लगातार हिंसा करने जैसे गंभीर आरोपों में माननीय न्यायालय ने पंकज वर्मा, उसकी मां मालती देवी, बहन सरोज, भाभी पूजा और जेठ नीरज के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी किया है। कोर्ट का स्पष्ट आदेश है—“सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर पेश किया जाए।”
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या पुलिस इस आदेश पर ईमानदारी से अमल करेगी या फिर लेखपाल को बचाने की पुरानी कवायद दोहराई जाएगी?
डलमऊ थाना क्षेत्र के चकमलिक भीटी निवासी पंकज वर्मा की शादी रायबरेली के अमर नगर की विजयलक्ष्मी से हुई थी। शादी के बाद ही समस्याएँ शुरू हो गईं। विजयलक्ष्मी के अनुसार, पंकज वर्मा की नौकरी लगवाने के लिए उसके ससुरालवालों ने लगभग आठ लाख रुपये खर्च किए थे और शादी के बाद उसी रकम को वापस लाने का दबाव उस पर बढ़ने लगा। मायके से लाए गए सभी गहने उतरवाकर बेच दिए गए।
विजयलक्ष्मी के मुताबिक, उसने कई बार ये बातें अपने घरवालों से साझा कीं, लेकिन रिश्ते बचाने की उम्मीद में घरवालों ने उसे समझा-बुझाकर चुप कराया। इसी चुप्पी ने ससुराल पक्ष की ज्यादतियों को और बढ़ा दिया।
स्थिति तब भयावह हो गई जब 21 जनवरी 2025 को कोर्ट की तारीख पर जाते समय गांव के बीच सड़क पर पंकज वर्मा ने अपने पूरे परिवार के साथ मिलकर विजयलक्ष्मी को बुरी तरह पीटा। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार उसे अपमानित करने के उद्देश्य से निर्वस्त्र करने तक की कोशिश की गई। मार्च 2025 में फिर एक बार परिवार ने मिलकर उस पर हमला किया।
विजयलक्ष्मी का आरोप है कि उसके पति, जेठ और सास की आदत शराब पीकर बवाल करने और आसपास की महिलाओं से गलत व्यवहार करने की है। इतना ही नहीं, उसके जेठ नीरज द्वारा कई बार अश्लील हरकतें करने की कोशिशें भी हुईं। शिकायत करने पर इसे “घर की परंपरा” बताकर दबाने का प्रयास किया गया।
विजयलक्ष्मी के एक और बयान ने पूरे गांव का ध्यान अपनी ओर खींचा—उसकी भाभी ने खुद पुलिस के सामने कहा कि उसके बच्चे उसके पति के नहीं बल्कि देवर पंकज वर्मा के हैं। यह खुलासा मामले को और भी संवेदनशील और चौंकाने वाला बना देता है।
इतने गंभीर आरोपों के बावजूद, न्यायालय द्वारा NBW जारी होने के बाद भी पंकज वर्मा पूरी तरह से खुले में घूम रहा है। ऊंचाहार तहसील में अपनी ड्यूटी पर मौजूद रहते हुए वह अपने संगठन के कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा है। गांव के लोगों के अनुसार पंकज वर्मा और उसका परिवार रोजाना घर पर मौजूद रहता है, भैंसों की देखभाल करता है, लेकिन पुलिस को इन ‘वारंटेड’ लोगों की मौजूदगी कभी दिखाई नहीं देती।
स्थानीय लोगों का कहना है कि लंबे समय से डलमऊ पुलिस और लेखपाल पंकज वर्मा के बीच “खास करीबी” चल रही है। यही वजह है कि हर बार पुलिस यही रिकॉर्ड करती है कि “मौके पर कोई नहीं मिला।”
इस समय अदालत ने साफ निर्देश दिया है कि सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर कोर्ट में प्रस्तुत किया जाए। अब देखने वाली बात यह है कि डलमऊ पुलिस कानून का पालन करेगी या फिर ‘लेखपाल संरक्षण नीति’ आगे बढ़ेगी?