Kadak Times

जिला अस्पताल रायबरेली में मरीजों की बेबसी की कहानी: बारिश में टपकती छतें, गड्ढों वाले रास्ते और सिस्टम की चुप्पी

Share this news

रिपोर्ट: माया लक्ष्मी मिश्रा, रायबरेली | Kadak Times


रायबरेली, उत्तर प्रदेश
स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार को लेकर भले ही सरकार लाख दावे करती हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। उत्तर प्रदेश के वीआईपी जिलों में गिने जाने वाले राणा बेनी माधव सिंह जिला चिकित्सालय रायबरेली में आज भी मरीज मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं। बरसात के मौसम ने अस्पताल की अव्यवस्थाओं की पोल खोल दी है।

यहां आने वाले मरीजों को न सिर्फ अपनी बीमारी से लड़ना पड़ रहा है, बल्कि अस्पताल परिसर की दुर्दशा से भी दो-चार होना पड़ रहा है। मुख्य भवन से वार्ड तक मरीजों को स्ट्रेचर या व्हीलचेयर पर ले जाते समय गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है।


खुले आसमान के नीचे मरीजों की शिफ्टिंग

आपातकालीन विभाग से मरीजों को संबंधित वार्ड में शिफ्ट करते समय सबसे बड़ी परेशानी रास्ते की बदहाल स्थिति है। अस्पताल परिसर में जो रास्ता स्ट्रेचर या व्हीलचेयर ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, वह पूरी तरह से टूटा-फूटा और कीचड़ से भरा होता है।

बारिश के दौरान इन रास्तों पर जलभराव हो जाता है, जिससे मरीज और तीमारदारों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। खुले आसमान के नीचे भीगते हुए मरीजों को वार्ड तक पहुंचाना न सिर्फ अमानवीय है, बल्कि यह व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है।


मरीजों की तकलीफें बढ़ा रहा सिस्टम

बीमारी से परेशान मरीजों के लिए यह स्थिति मानसिक और शारीरिक दोनों ही स्तर पर अत्यंत पीड़ादायक होती है। मरीजों को स्ट्रेचर पर धक्के खाते हुए ले जाना पड़ता है। कहीं पैर फिसलने का डर है, तो कहीं कीचड़ में स्ट्रेचर के पहिये फंसने का खतरा।

तीमारदारों की मानें तो कई बार मरीजों को रास्ते में ही गिरते-गिरते बचाया गया है। बारिश में फिसलन और कीचड़ के कारण गंभीर मरीजों की हालत और बिगड़ने की आशंका बनी रहती है।


बजट नहीं है – जिम्मेदारों का बहाना

जब इस मामले पर अस्पताल प्रशासन से बात की जाती है, तो हमेशा एक ही जवाब मिलता है – “बजट नहीं है।” यह बहाना पिछले कई वर्षों से दोहराया जा रहा है। पूर्व CMS से कई बार शिकायत की गई लेकिन न तो रास्ते की मरम्मत हुई और न ही गर्मी या बारिश के मौसम में किसी प्रकार का टीन शेड लगाया गया।

बजट की कमी का हवाला देकर जिम्मेदारी से बचना अब आम बात हो गई है, जबकि यह मामला सीधे-सीधे मरीजों की जान और स्वास्थ्य से जुड़ा है।


नई CMS डॉ. पुष्पेंद्र से लोगों को उम्मीद

अब अस्पताल की कमान नए CMS डॉ. पुष्पेंद्र के हाथों में है। लोगों को उम्मीद है कि वे इस समस्या को प्राथमिकता देंगे और मरीजों के हित में जल्द कोई ठोस निर्णय लेंगे। अगर समय रहते इस मुद्दे को नहीं सुलझाया गया तो यह एक बड़ी लापरवाही के रूप में सामने आ सकता है।


जनता की मांग

  1. मरीजों को ले जाने वाले रास्ते की तत्काल मरम्मत की जाए।
  2. बरसात और गर्मी में राहत देने के लिए टीन शेड लगाया जाए।
  3. जल निकासी की उचित व्यवस्था की जाए ताकि जलभराव से बचा जा सके।
  4. जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए।

जनता के सवाल


निष्कर्ष

सरकारी अस्पतालों में इलाज से पहले अगर मरीजों को रास्ता पार करने की जद्दोजहद करनी पड़े, तो यह व्यवस्था पर करारा तमाचा है। रायबरेली जिला अस्पताल की हालत यह दर्शाती है कि स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के दावे महज कागज़ों तक ही सीमित हैं। अब समय आ गया है कि इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए।


Share this news
Exit mobile version