
रिपोर्टर: माया लक्ष्मी मिश्रा, रायबरेली
रायबरेली, 12 जून 2025: अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर रायबरेली में एक प्रभावी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसने बाल श्रम जैसी सामाजिक कुरीति के खिलाफ मजबूत आवाज बुलंद की। यह अभियान पुलिस अधीक्षक और अपर पुलिस अधीक्षक रायबरेली के निर्देशों पर शुरू किया गया, जिसमें पुलिस उपाधीक्षक (नोडल अधिकारी) की देखरेख में इसे और सशक्त बनाया गया। थाना ए.एच.टी. रायबरेली की टीम ने इस मुहिम में अहम भूमिका निभाई, जिसमें उपनिरीक्षक राशिद खान, महिला हेड कांस्टेबल संगीता मिश्रा, और कांस्टेबल रविंद्र कुमार शामिल थे। इसके अलावा, चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) के मिलिंद द्विवेदी, श्रम विभाग के सहायक श्रमायुक्त आर.एल. स्वर्णकार, राकेश कुमार पाल, और मान सिंह कुशवाहा ने भी इस पहल को गति दी।
विशाखा इंडस्ट्री में जागरूकता की लहर बछरावां की विशाखा इंडस्ट्री इस अभियान का केंद्र बनी, जहां कर्मचारियों और अधिकारियों को बाल श्रम के नकारात्मक प्रभावों से अवगत कराया गया। टीम ने न सिर्फ इंडस्ट्री के लोगों को शिक्षित किया, बल्कि आसपास के समुदाय को भी इस मुद्दे पर संवेदनशील बनाने का काम किया। बाल श्रम रोकथाम के कानूनी नियमों, बच्चों के अधिकारों, और उनके संरक्षण की जरूरत पर खास जोर दिया गया। यह कार्यक्रम जानकारीपूर्ण होने के साथ-साथ प्रेरणादायक भी रहा, क्योंकि इसने स्थानीय लोगों को इस बुराई के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया।
कानूनी प्रावधान और सामाजिक दायित्व
श्रम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बाल श्रम (निषेध और नियमन) अधिनियम, 1986 के अनुसार, 14 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी काम में लगाना गैरकानूनी है। साथ ही, 14 से 18 साल के किशोरों को जोखिम भरे कार्यों में शामिल करना भी वर्जित है। CWC के मिलिंद द्विवेदी ने बच्चों की शिक्षा और पुनर्वास पर बल देते हुए कहा, “हर बच्चे को स्कूल में किताबें थामने का हक है, न कि मजदूरी का बोझ।”
समुदाय का सहयोग और आशा की किरण
इस अभियान ने जागरूकता के साथ-साथ समुदाय को एक मंच पर लाकर बाल श्रम के खिलाफ लड़ाई को और तेज करने का संदेश दिया। विशाखा इंडस्ट्री के स्टाफ ने इस पहल का समर्थन किया और भविष्य में ऐसे आयोजनों में हिस्सा लेने की प्रतिबद्धता जताई। स्थानीय लोग इस बात से उत्साहित हैं कि प्रशासन और विभिन्न विभाग मिलकर इस दिशा में ठोस प्रयास कर रहे हैं।
रिपोर्टर की कलम से
रायबरेली का यह प्रयास निस्संदेह एक ऐतिहासिक कदम है। यह अभियान न केवल बाल श्रम के प्रति जागरूकता लाया, बल्कि समाज को बच्चों के बचपन की कीमत समझाने में भी कामयाब रहा। आइए, इस मुहिम को और बुलंद करें और #ChildLabourFreeIndia के सपने को हकीकत बनाएं।