रिपोर्टर: माया लक्ष्मी मिश्रा, रायबरेली
रायबरेली जिले में अवैध यात्री वाहनों (डग्गामार) का संचालन अब आम बात बन चुका है। हैरानी की बात यह है कि ये वाहन उन्हीं स्थानों पर सवारियां भरते और उतारते हैं, जहां पुलिस और यातायात विभाग की सीधी निगरानी होनी चाहिए। मगर इन वाहनों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जाती, जो कि प्रशासन की निष्क्रियता और मिलीभगत का संकेत देता है।
सिविल लाइन क्षेत्र स्थित यातायात चौकी, जहां पूरे दिन यातायात निरीक्षक और अन्य वरिष्ठ अधिकारी तैनात रहते हैं, उसके चंद कदमों की दूरी पर पेट्रोल पंप के सामने दर्जनों डग्गामार वाहन खुलेआम यात्रियों को भरते और छोड़ते देखे जा सकते हैं। यही स्थिति जिले के कस्बाई इलाकों की भी है। जगतपुर और लालगंज जैसे क्षेत्रों में तो थाने के ठीक सामने यह अवैध व्यापार चल रहा है।
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि इन डग्गामार वाहनों की पूरी जानकारी पुलिस और परिवहन विभाग के पास पहले से मौजूद रहती है। फिर भी इन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। ऐसा माना जाता है कि जो वाहन हर महीने विभाग को ‘महिनवारी’ नहीं देते, सिर्फ उन्हीं पर कभी-कभार कार्रवाई की जाती है। बाकी वाहन बेधड़क सड़कों पर दौड़ते रहते हैं।
इन डग्गामार गाड़ियों से न तो सरकार को कोई राजस्व प्राप्त होता है और न ही इनसे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है। उल्टा, यह व्यवसाय सड़क पर चलने वाले नियमों की धज्जियां उड़ाता है और दुर्घटनाओं की संभावना को बढ़ाता है। सवाल यह है कि जब प्रशासन के पास जानकारी है, तो फिर अब तक कोई सख्त कदम क्यों नहीं उठाया गया?
यह लचर रवैया केवल अव्यवस्था को बढ़ावा दे रहा है। ऐसे में ज़रूरत है कि उच्च अधिकारी इस गंभीर समस्या का संज्ञान लें और एक सख्त अभियान चलाकर इन अवैध वाहनों के संचालन पर लगाम लगाएं। वरना आने वाले समय में यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है।