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साहू समाज की ऐतिहासिक पहल: रायबरेली में “दानवीर भामाशाह चौक” और “माँ कर्मा पार्क” की स्थापना की मांग

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साहू समाज की ऐतिहासिक पहल: रायबरेली में “दानवीर भामाशाह चौक” और “माँ कर्मा पार्क” की स्थापना की मांग

रायबरेली | संवाददाता – संदीप मिश्रा

रायबरेली में साहू समाज ने अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और समाज को नई दिशा देने के लिए एक सराहनीय कदम उठाया है। साहू तैलिक एकता एवं विकास समिति (साहू चौपाल) का प्रतिनिधिमंडल, जिलाध्यक्ष के. के. साहू के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष एवं राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त सोहनलाल श्रीमाली से मिला और दो महत्वपूर्ण मांगों से जुड़ा ज्ञापन सौंपा।

🔹 प्रमुख मांगें – समाज की भावना और संस्कृति का सम्मान

प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि:

  1. दानवीर भामाशाह चौक – भारतीय इतिहास के महान दानवीर और महाराणा प्रताप के विश्वसनीय सहयोगी भामाशाह जी की स्मृति में रायबरेली शहर में एक चौक का नामकरण किया जाए।
  2. माँ कर्मा देवी पार्क – साहू समाज की कुलदेवी माँ कर्मा के नाम पर एक सुंदर, विकसित और सुविधाओं से युक्त सार्वजनिक पार्क का निर्माण किया जाए।

इन दोनों मांगों के माध्यम से समाज ने अपने इतिहास और धार्मिक परंपराओं को नई पीढ़ियों तक पहुँचाने का प्रयास किया है।


🔹 राज्य मंत्री का भरोसा – जल्द होगा कार्रवाई

राज्य मंत्री श्री सोहनलाल श्रीमाली ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त करते हुए कहा कि ये मांगें पूरी तरह से न्यायोचित हैं और समाज के गौरव से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द ही रायबरेली के जिलाधिकारी को पत्र जारी कर इन मांगों को गंभीरता से लागू करने की सिफारिश की जाएगी।


🔹 प्रतिनिधिमंडल में रहे समाज के प्रमुख पदाधिकारी

इस भेंट के दौरान साहू समाज के कई गणमान्य लोग शामिल रहे, जिनमें शामिल थे:

इन सभी ने एक स्वर में कहा कि अब समय आ गया है जब समाज को उसकी ऐतिहासिक और धार्मिक पहचान दी जाए, ताकि युवा वर्ग अपने गौरवशाली अतीत से प्रेरणा ले सके।


🔹 क्यों जरूरी है “दानवीर भामाशाह चौक” और “माँ कर्मा पार्क”?

भामाशाह जी का योगदान न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे भारत के गौरवशाली इतिहास में अमिट है। उन्होंने राष्ट्र सेवा में अपनी पूरी संपत्ति समर्पित की थी। ऐसे व्यक्तित्व के नाम पर स्थान बनना देश की भावी पीढ़ी को बलिदान और सेवा की प्रेरणा देगा।

वहीं माँ कर्मा देवी साहू समाज की कुलदेवी हैं, जो सेवा, त्याग और नारीशक्ति की प्रतीक मानी जाती हैं। एक पार्क के रूप में उनका स्मारक बनाना, समाज की धार्मिक भावना का सम्मान होगा।


🔹 समाज के लिए प्रेरणास्रोत बनेंगे ये स्थल

इन दोनों स्थलों की स्थापना न केवल साहू समाज के लिए, बल्कि पूरे जनपद के लिए प्रेरणा का कारण बनेगी। युवाओं को अपने इतिहास से जुड़ने और सामाजिक एकता को बढ़ावा देने में यह कदम सहायक होगा।


🔹 निष्कर्ष:

साहू समाज की यह मांग उनके गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक विरासत को जनमानस तक पहुँचाने का एक सशक्त प्रयास है। यदि जिला प्रशासन और राज्य सरकार इन मांगों पर शीघ्र कार्रवाई करती है, तो यह न केवल साहू समाज, बल्कि पूरे जनपद के लिए गर्व का विषय होगा।

➡️ इस ऐतिहासिक मांगपत्र को समर्थन देने वालों का मानना है कि यह सिर्फ एक चौक या पार्क नहीं होगा, बल्कि समाज की आत्मा का प्रतीक बनेगा।


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