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Highway पर जाम या पुलिस का ड्रामा? दरोगा जितेश की ढाबे पर मारपीट की सच्चाई CCTV फुटेज ने खोल दी – वीडियो वायरल होने के बाद बछरावां में बवाल

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रिपोर्ट: संदीप मिश्रा, रायबरेली
स्रोत: Kadak Times
तिथि: 17 जून 2025
स्थान: बछरावां, रायबरेली

पूरा मामला क्या है?
रायबरेली जिले के बछरावां क्षेत्र में हाईवे पर लगे जाम को लेकर पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच टकराव का मामला अब एक नया मोड़ ले चुका है। चुरुवा चौकी में तैनात दरोगा जितेश सिंह और ढाबा संचालक पक्ष के बीच हुई कहासुनी, बहस और फिर हाथापाई अब वायरल हो चुकी CCTV फुटेज की वजह से चर्चा का विषय बन गई है।

घटना 17 जून की रात लगभग 10 बजे की है। दरोगा जितेश सिंह का दावा है कि वह ड्यूटी पर चुरुवा चौकी जा रहे थे, तभी नीमटीकर गांव के पास उन्होंने सड़क पर ट्रक खड़ा देखा, जिससे जाम लग गया था। वह जाम खुलवाने लगे तो स्थानीय ढाबा संचालक रोहित और उसके साथी न केवल काम में बाधा डालने लगे, बल्कि गालियाँ दीं, धमकाया और जान से मारने की कोशिश करते हुए गला दबाने की भी बात कही गई।

इस आधार पर दरोगा की तहरीर पर रोहित कुमार, मोहित कुमार, बाबुल उर्फ अनुज, नवनीत, गोलू और आकाश नाम के छह लोगों के खिलाफ मारपीट, शासकीय कार्य में बाधा और अन्य गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया।

लेकिन फिर सामने आया वायरल वीडियो…

CCTV फुटेज क्या दिखाता है?
घटना स्थल पर लगे ढाबे के CCTV कैमरे का फुटेज जैसे ही इंटरनेट पर वायरल हुआ, पूरा मामला उल्टा हो गया। वीडियो में दरोगा जितेश सिंह खुद ढाबे के अंदर घुसते और एक युवक को दो थप्पड़ मारते हुए साफ देखे जा सकते हैं। इसके बाद वहां तनाव का माहौल बनता है और लोग दरोगा से बहस करने लगते हैं।

फुटेज के प्रमुख बिंदु:

यह वीडियो यह संकेत देता है कि असली जाम DCM वाहन के कारण था, न कि ढाबे वालों के कारण। फिर सवाल उठता है कि पुलिस ने DCM चालक पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?

क्या पुलिस ने सबूत छिपाने की कोशिश की?
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस ने घटना के बाद ढाबे के CCTV कैमरे का DVR तोड़ दिया ताकि फुटेज न मिल सके। लेकिन वे हार्ड डिस्क को निकालना भूल गए, जिससे वीडियो सुरक्षित रहा और सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

इससे पुलिस की मंशा और निष्पक्षता पर गहरा संदेह खड़ा हो गया है।

जनता की प्रतिक्रिया
नीमटीकर और आसपास के गांवों में पुलिस के रवैये को लेकर आक्रोश फैल गया है। लोगों का कहना है कि पुलिस का काम जनता की रक्षा करना है, लेकिन यहां खुद दरोगा ने पहले मारपीट की और फिर अपनी बात को सही साबित करने के लिए लोगों को झूठे केस में फंसा दिया।

एक ग्रामीण ने कहा, “हम अपने बच्चों को पढ़ाते हैं कि पुलिस से डरना नहीं, भरोसा करना चाहिए, लेकिन अब खुद पुलिस वाले ही दबंगई करें तो किससे न्याय की उम्मीद करें?”

क्या FIR में बदलाव होगा?
अब जबकि वायरल फुटेज सामने आ चुका है और घटनाक्रम साफ दिख रहा है, सवाल उठ रहा है कि क्या पुलिस अपनी FIR में बदलाव करेगी? क्या दरोगा पर कार्रवाई होगी या फिर पूरा मामला दबा दिया जाएगा?

विधिक विशेषज्ञों की राय है कि अगर पुलिस ने जानबूझकर DVR तोड़ा और गलत तथ्यों के आधार पर FIR दर्ज की है, तो यह न केवल प्रशासनिक स्तर पर गंभीर लापरवाही है बल्कि न्यायिक प्रक्रिया के साथ धोखा भी है।

मुख्य सवाल जो अब भी अनुत्तरित हैं:

निष्कर्ष
यह घटना सिर्फ एक स्थानीय विवाद नहीं है, बल्कि यह पूरे सिस्टम की पारदर्शिता, जवाबदेही और ईमानदारी की परीक्षा है। अगर CCTV फुटेज न होता तो क्या निर्दोष लोग जेल में होते और दरोगा को सम्मान मिलता?

अब यह देखना बाकी है कि पुलिस प्रशासन अपनी छवि बचाने के लिए मामले को दबाता है या फिर सच्चाई के साथ खड़ा होता है।


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