सड़क हादसे में घायल मुख्य आरक्षी योगेन्द्र यादव का निधन

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रिपोर्ट: आशीष श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ, उत्तर प्रदेश, कड़क टाइम्स
नवाबगंज (गोंडा)। 22 सितम्बर 2025

कटरा रेलवे क्रॉसिंग के पास हुए भीषण सड़क हादसे में घायल मुख्य आरक्षी (हेड कॉन्स्टेबल) योगेन्द्र नाथ यादव ने आखिरकार लखनऊ के केजीएमयू (किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी) में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। रविवार की देर रात जैसे ही उनकी मृत्यु की खबर थानों और पुलिस विभाग तक पहुँची, पूरे जिले की फिज़ा में शोक और मायूसी फैल गई।

हादसा कैसे हुआ – तेज रफ्तार बाइक बनी काल

17 सितम्बर की सुबह की घटना है। मुख्य आरक्षी योगेन्द्र नाथ यादव अपने हमराही मुख्य आरक्षी अभिषेक सिंह के साथ अभियुक्त की तलाश में मोटरसाइकिल से गश्त पर निकले थे। जैसे ही सुबह लगभग 8 बजे दोनों कटरा रेलवे क्रॉसिंग पार करके पेट्रोल पंप के नजदीक पहुँचे, तभी सामने से आ रही एक तेज रफ्तार बाइक ने अचानक नियंत्रण खो दिया और सीधे उनकी मोटरसाइकिल में जोरदार टक्कर मार दी।

टक्कर इतनी भीषण थी कि दोनों पुलिसकर्मी वहीं सड़क पर गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गए। स्थानीय लोगों और सरयू घाट चौकी पुलिस ने तुरंत घायलों को नजदीकी अयोध्या मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया।

लेकिन डॉक्टरों ने योगेन्द्र नाथ यादव की हालत को देखते हुए उन्हें तुरंत लखनऊ केजीएमयू रेफर कर दिया। करीब पाँच दिनों तक डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की, लेकिन रविवार देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली।

पुलिस विभाग में शोक की लहर

मुख्य आरक्षी के निधन की पुष्टि करते हुए थानाध्यक्ष अभय सिंह ने गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा –
“मुख्य आरक्षी योगेन्द्र यादव एक ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और साहसी पुलिसकर्मी थे। उनकी कमी को पूरा करना मुश्किल है। पुलिस विभाग ने अपना एक सच्चा सिपाही खो दिया है।”

पुलिस विभाग ने घोषणा की कि उन्हें पुलिस लाइन में गार्ड ऑफ ऑनर देकर अंतिम विदाई दी जाएगी।

अंतिम विदाई में उमड़ा जनसैलाब

जैसे ही मृतक मुख्य आरक्षी का शव नवाबगंज थाना परिसर पहुँचा, पूरा माहौल गमगीन हो गया। हर आँख नम थी।
मनकापुर विधायक रमापति शास्त्री, थानाध्यक्ष अभय सिंह, उपनिरीक्षक विश्वास चतुर्वेदी, दूधनाथ चतुर्वेदी, कस्बा चौकी इंचार्ज पंकज यादव, सरयू घाट चौकी इंचार्ज संजीव सिंह, कोल्हमपुर चौकी इंचार्ज शिवकुमार यादव, महिला उपनिरीक्षक अंतिमा सिंह सहित सैकड़ों पुलिसकर्मी और स्थानीय लोग मौजूद रहे। सभी ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और शहीद मुख्य आरक्षी को अंतिम विदाई दी।

परिवार का रो-रो कर बुरा हाल

मृतक मुख्य आरक्षी 2006 बैच के सिपाही थे। वे दो भाइयों में बड़े थे। उनके पीछे पूरा परिवार बेसहारा हो गया है।

  • पत्नी: पूजा देवी
  • बेटा: यश यादव (11 वर्ष)
  • बेटा: पियुष यादव (8 वर्ष)
  • पिता: अभिमन्यु यादव

परिवार के आंसुओं से भरे चेहरे देख हर किसी की आँखें भर आईं। घर पर मातम पसरा है और मोहल्ले में गहरी चुप्पी है। हर कोई यही कह रहा है कि पुलिस विभाग ने एक जांबाज और परिवार ने अपना सहारा खो दिया।

सड़क हादसे ने छीना जांबाज सिपाही

उत्तर प्रदेश में सड़क हादसे (रोड एक्सीडेंट) आए दिन बड़ी समस्या बने हुए हैं। तेज रफ्तार और लापरवाह ड्राइविंग लगातार मौतें बाँट रही है।
योगेन्द्र यादव की मौत भी इसी तेज रफ्तार बाइक की वजह से हुई। स्थानीय लोग बार-बार प्रशासन से गुहार लगाते हैं कि कटरा रेलवे क्रॉसिंग और पेट्रोल पंप के पास गति नियंत्रण, ट्रैफिक पुलिस और जनजागरूकता अभियान चलाए जाएँ, ताकि आगे से ऐसे हादसे न हों।

केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर – लेकिन जान न बच सकी

केजीएमयू लखनऊ का ट्रॉमा सेंटर पूरे उत्तर प्रदेश और आसपास के राज्यों में सबसे बड़ा और आधुनिक इलाज का केंद्र है। यहाँ हजारों जिंदगियाँ बचाई जाती हैं, लेकिन मुख्य आरक्षी योगेन्द्र यादव का गंभीर अंदरूनी चोट और सिर में गहरी चोट इतनी ज्यादा थी कि डॉक्टर भी हार मान गए।

सरकार से मदद की उम्मीद

लोगों का कहना है कि मृतक मुख्य आरक्षी के परिवार को सरकारी मदद, मुआवजा और नौकरी जरूर मिलनी चाहिए। दो छोटे-छोटे बच्चों और पत्नी का सहारा अब केवल सरकार और समाज है। पुलिस विभाग ने भी इस संबंध में शासन को रिपोर्ट भेजने की बात कही है।

हादसों की बढ़ती घटनाएँ – बड़ा सवाल

गोंडा, अयोध्या और आसपास के जिलों में तेज रफ्तार बाइक और ट्रक हादसे लगातार बढ़ रहे हैं। आए दिन किसी न किसी परिवार का चिराग बुझ रहा है। सवाल यह है कि आखिर कब प्रशासन सड़क सुरक्षा को गंभीरता से लेगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि –

  • सड़कों पर गति सीमा (स्पीड लिमिट) का पालन सख्ती से करवाना होगा।
  • हेलमेट और सुरक्षा उपकरण जरूरी करने होंगे।
  • सीसीटीवी और ट्रैफिक पुलिस मॉनिटरिंग बढ़ानी होगी।
  • जागरूकता अभियान चलाने होंगे।

तभी ऐसे हादसों में कमी आ पाएगी।

निष्कर्ष – एक जांबाज का बलिदान

मुख्य आरक्षी योगेन्द्र नाथ यादव का निधन केवल एक परिवार का दुख नहीं, बल्कि पूरे पुलिस विभाग और समाज की क्षति है।
उनकी ईमानदारी, ड्यूटी के प्रति निष्ठा और साहस हमेशा याद किया जाएगा।


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