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ग्राम चौपाल 3.0: गोंडा में डीएम पहुंचीं सीधे गांव, मौके पर सुनीं शिकायतें, तुरंत दिया समाधान

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“ग्राम चौपाल 3.0: गोंडा में डीएम पहुंचीं सीधे गांव, मौके पर सुनीं शिकायतें, तुरंत दिया समाधान”


गोंडा | रिपोर्टर: आशीष श्रीवास्तव, ब्यूरो उत्तर प्रदेश
गोंडा जिले में प्रशासनिक कार्यशैली में एक ठोस और सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है। अब जनसमस्याएं दफ्तरों की फाइलों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि प्रशासन खुद गांव जाकर जमीनी हकीकत जान रहा है और वहीं पर समस्याओं का समाधान भी दे रहा है। इस सोच के पीछे हैं जिलाधिकारी नेहा शर्मा, जिनकी अगुवाई में शुरू किया गया ग्राम चौपाल 3.0 अभियान ग्रामीण क्षेत्रों में नई उम्मीद लेकर आया है।

शुक्रवार को इस अभियान के तहत जिलाधिकारी ने पांच ग्राम पंचायतों का दौरा कर लोगों से सीधा संवाद किया और विभागीय अधिकारियों की टीम के साथ मौके पर ही आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की।


समस्याओं की पहचान, समाधान की गारंटी

ग्राम चौपाल 3.0 केवल एक पारंपरिक जनसुनवाई नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक रणनीतिक योजना है। इस कार्यक्रम के लिए पहले से IGRS, समाधान दिवस, और जनता दर्शन जैसे माध्यमों से प्राप्त शिकायतों की समीक्षा की गई। जिन गांवों से बार-बार समस्याएं सामने आईं, उन्हें इस चौपाल के लिए चुना गया।

जिलाधिकारी द्वारा निर्देशित किया गया कि सभी संबंधित अधिकारी इन गांवों में स्वयं उपस्थित होकर मौके पर समाधान सुनिश्चित करें। शिकायतें केवल दर्ज न हों, बल्कि उनका स्थायी और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण हो — यही इसका मूल उद्देश्य है।


बेलसर ब्लॉक से हुई शुरुआत

20 जून को ग्राम चौपाल 3.0 का आयोजन विकासखंड वजीरगंज, नवाबगंज और तरबगंज की पांच ग्राम पंचायतों — बंधवा, चंदापुर, रामापुर, तुलसीपुर माझा और सिंगहाचंदा में किया गया। जिलाधिकारी ने इन गांवों में लोगों से संवाद कर सड़क, बिजली, राशन, शौचालय, जलापूर्ति, और भूमि संबंधित मामलों पर विस्तार से जानकारी ली।

ग्रामीणों की बातों को गंभीरता से लेते हुए संबंधित अधिकारियों को मौके पर ही दिशा-निर्देश दिए गए। कई स्थानों पर समस्याओं के निस्तारण की कार्रवाई उसी समय शुरू कराई गई।


कुछ प्रमुख शिकायतें और कार्रवाई


गुणवत्ता और पारदर्शिता पर विशेष जोर

इस चौपाल अभियान का उद्देश्य केवल समस्याएं सुनना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि जो समाधान दिए जाएं, वे दीर्घकालिक और टिकाऊ हों। जिलाधिकारी खुद हर गांव में जाकर यह देख रही हैं कि दी गई कार्यवाही कितनी प्रभावी है। अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी स्तर पर लापरवाही या टालमटोल बर्दाश्त नहीं की जाएगी।


प्रशासनिक अमला रहा पूरी तरह सक्रिय

इस चौपाल कार्यक्रम में जिला प्रशासन की कई उच्चाधिकारियों की उपस्थिति रही, जिनमें शामिल थे:

इन सभी अधिकारियों ने ग्रामीणों की शिकायतों को गंभीरता से सुना और संबंधित विभागों को निर्देश जारी किए।


क्यों विशेष है चौपाल 3.0?


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