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गोवंश संरक्षण में प्रशासनिक सख्ती: गोण्डा डीएम ने कहा – ‘गौशालाओं में लापरवाही नहीं होगी बर्दाश्त’

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रिपोर्ट: आशीष श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ उत्तर प्रदेश, कड़क टाइम्स

गोंडा, 03 जुलाई 2025
जनपद गोंडा की गौशालाओं की दुर्दशा को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा ने कलेक्ट्रेट सभागार में एक विशेष समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में जिले के सभी गो-आश्रय स्थलों की व्यवस्थाओं की गहन समीक्षा की गई और संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि सभी आवश्यक सुधार कार्यों को समयबद्ध रूप से पूरा किया जाए।

जिलाधिकारी ने हाल के निरीक्षण में सामने आई कमियों पर नाराजगी जताते हुए कहा कि गोवंश की उपेक्षा अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रशासन का कर्तव्य है कि बेसहारा व निराश्रित गोवंश को भोजन, पानी, छाया और इलाज जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।


निरीक्षण में सामने आई खामियां

पिछले दिनों जिलाधिकारी ने कुछ गो-आश्रय स्थलों का औचक निरीक्षण किया था, जिसमें कई प्रकार की कमियां पाई गईं। इनमें चारे की अनुपलब्धता, पानी की टंकियों की खराब स्थिति, शेड की मरम्मत, साफ-सफाई की लचर व्यवस्था, और स्वास्थ्य परीक्षण की अनदेखी प्रमुख थीं।

इन खामियों पर गंभीर चिंता जताते हुए डीएम ने सभी खंड विकास अधिकारियों, पशुपालन विभाग, नगर निकाय और पंचायत प्रतिनिधियों को निर्देश दिया कि सभी खामियों को शीघ्रता से ठीक कराया जाए और सप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट उनके कार्यालय को भेजी जाए।


सभी गो-आश्रय स्थलों पर वृक्षारोपण का निर्देश

जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि जनपद की सभी गौशालाओं में हरिशंकरी (बरगद, पीपल, पाकड़) और सहजन (ड्रमस्टिक) के पौधों का वृक्षारोपण किया जाएगा। ये वृक्ष न केवल छाया देंगे, बल्कि उनके औषधीय और पोषण संबंधी लाभ भी गोवंश को मिलेंगे।

सहजन के पत्तों को पशु आहार में मिलाने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। वहीं हरिशंकरी वृक्ष पर्यावरण को शुद्ध करते हैं और गो-आश्रय स्थलों को हरियाली प्रदान करते हैं।


क्या-क्या होगा दुरुस्त?

डीएम ने जिन व्यवस्थाओं को तत्काल सुधारने के निर्देश दिए, उनमें शामिल हैं:

जिलाधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार की लापरवाही पर संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी तय करते हुए विभागीय कार्रवाई की जाएगी।


सामाजिक सहभागिता की अपील

बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि गोसेवा सिर्फ प्रशासनिक कार्य नहीं है, यह समाज की नैतिक जिम्मेदारी भी है। ग्राम प्रधानों, नगर पालिका अधिकारियों और स्वयंसेवी संगठनों से आग्रह किया गया कि वे इस कार्य में बढ़-चढ़कर भाग लें।

उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन और समाज साथ मिलकर काम करें, तो निराश्रित गोवंश के लिए स्थायी समाधान सुनिश्चित किया जा सकता है।


बैठक में कौन-कौन थे मौजूद

इस समीक्षा बैठक में जिले के सभी प्रमुख विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। मुख्य रूप से जिनकी भागीदारी रही:

सभी अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र के आश्रय स्थलों का भौतिक सत्यापन कर रिपोर्ट तैयार करने और सुधार कार्यों को समय से पूरा करने का निर्देश दिया गया।


क्यों खास है यह बैठक?

इस बैठक के ज़रिए न सिर्फ गौशालाओं की दशा सुधारने की पहल की गई, बल्कि एक ऐसा रोडमैप भी बनाया गया जो प्रशासनिक और सामाजिक जिम्मेदारी को एकसाथ जोड़ता है। यह पहल भविष्य में उत्तर प्रदेश के अन्य जनपदों के लिए भी एक आदर्श बन सकती है।


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