रिपोर्ट: आशीष श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ, उत्तर प्रदेश, कड़क टाइम्स
गोण्डा, 19 सितम्बर 2025
मॉक ड्रिल से जुड़ा बड़ा अपडेट
गोंडा जिले में आज का दिन आपदा प्रबंधन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशन और जिलाधिकारी के आदेश पर जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा भूकम्प, आग, रासायनिक दुर्घटना और भवन गिरने जैसी आपदाओं से निपटने की तैयारी को परखने के लिए मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया।
यह मॉक ड्रिल जनपद की सभी तहसीलों — गोण्डा सदर (एससीपीएम मेडिकल कॉलेज, हारीपुर लखनऊ रोड), मनकापुर (पुरानी ट्रेज़री कार्यालय, मनकापुर बाजार), करनैलगंज (तहसील परिसर) और तरबगंज (ग्राम रेतादल सिंह, तहसील तरबगंज) — में तहसीलदार और उपजिलाधिकारी की मौजूदगी में आयोजित हुई।
मॉक ड्रिल का उद्देश्य
इस मॉक ड्रिल का प्रमुख उद्देश्य आपदा की वास्तविक स्थिति में तैयारी और विभिन्न विभागों के बीच समन्वय का मूल्यांकन करना रहा। इसके साथ ही—
- अधिकारियों, कर्मचारियों, छात्रों और आम जनता को भूकंप और आग जैसी स्थिति में सुरक्षित निकासी की प्रक्रिया सिखाना।
- आपदा प्रबंधन एवं राहत दलों की प्रतिक्रिया क्षमता की जांच करना।
- विभागों के बीच संचार व्यवस्था, सूचना प्रवाह और संसाधनों की उपलब्धता का परीक्षण करना।
- जनता में आपदा के प्रति जागरूकता और आत्म-सुरक्षा की भावना विकसित करना।
एससीपीएम मेडिकल कॉलेज बना नियंत्रण और मंच क्षेत्र
जिला मुख्यालय पर नगर मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में एससीपीएम मेडिकल कॉलेज, हारीपुर को मंच क्षेत्र (स्टेजिंग एरिया) बनाया गया। यहां भूकंप और अग्नि सुरक्षा केंद्र के साथ ही मानव एवं पशु चिकित्सालय, चिकित्सा शिविर, पंडाल व्यवस्था, बचाव उपकरण और प्राथमिक उपचार केंद्र की पूरी तैयारी की गई।
यहां सायरन, घंटी और लाउडस्पीकर के माध्यम से आपदा की घोषणा की गई और निकासी प्रक्रिया का प्रत्यक्ष प्रदर्शन किया गया।
मॉक ड्रिल की कार्ययोजना
इस अभ्यास की कार्ययोजना पूर्व निर्धारित थी, जिसमें कई चरण शामिल रहे—
- चेतावनी व्यवस्था: घंटी, सायरन और लाउडस्पीकर से आपदा की घोषणा।
- निकासी: सभी प्रतिभागियों को आपात मार्गों से सुरक्षित स्थान तक ले जाया गया।
- समूह एकत्रीकरण: सुरक्षित क्षेत्र में लोगों की उपस्थिति दर्ज कराई गई ताकि कोई व्यक्ति पीछे न रह जाए।
- उपकरणों का प्रदर्शन: आग बुझाने और भूकंप से बचाव के आधुनिक उपकरणों का प्रदर्शन किया गया।
- भूकंप बचाव तकनीक: “ड्रॉप, कवर एंड होल्ड” (झुको, ढको और थामे रहो) का अभ्यास कराया गया।
- सुरक्षा शपथ: बच्चों और कर्मचारियों ने आपदा सुरक्षा जागरूकता की शपथ ली।
राहत एवं बचाव का प्रत्यक्ष अभ्यास
- राज्य आपदा मोचक बल (एसडीआरएफ): फंसे हुए व्यक्तियों को निकालने और राहत कार्य का प्रदर्शन।
- अग्निशमन विभाग: आग पर काबू पाने की तकनीक का प्रदर्शन।

- पुलिस विभाग और बचाव टीम: फंसे व्यक्तियों की खोज और उन्हें सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने की प्रक्रिया का प्रदर्शन।
- स्वास्थ्य विभाग: घायलों को प्राथमिक उपचार, प्राथमिक चिकित्सा और एम्बुलेंस सेवा का प्रदर्शन।
समापन और समीक्षा
मॉक ड्रिल समाप्त होने के बाद सभी प्रतिभागी विभागों की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इसमें अधिकारियों ने अपने अनुभव और सुझाव साझा किए।
शामिल विभाग थे —
- जिला प्रशासन एवं आपदा प्रबंधन प्राधिकरण
- पुलिस विभाग एवं राज्य आपदा मोचक बल
- अग्निशमन विभाग
- स्वास्थ्य विभाग एवं एम्बुलेंस सेवा
- नगर निकाय, बिजली एवं जल विभाग
- शिक्षा विभाग, परिवहन विभाग, वायरलेस टीम
- नागरिक सुरक्षा संगठन, स्वयंसेवी संस्थाएं और स्थानीय बचाव टीमें
अंत में आपदा प्रबंधन अधिकारियों ने संक्षिप्त प्रेस वार्ता की और पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए।
जनता के लिए संदेश
- इस प्रकार की मॉक ड्रिल वास्तविक आपदा की स्थिति में जान-माल की हानि को कम करने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होती है।
- हर नागरिक को बुनियादी आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण अवश्य लेना चाहिए।
- आग, भूकंप, बाढ़ या रासायनिक दुर्घटना जैसी स्थिति में घबराने के बजाय पहले से निर्धारित सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए।
- बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी को आपातकालीन निकासी मार्ग और आवश्यक दूरभाष नंबरों की जानकारी होनी चाहिए।
क्यों ज़रूरी है आपदा प्रबंधन की तैयारी? 
भारत एक ऐसा देश है जहां हर वर्ष प्राकृतिक आपदाएं घटित होती हैं। कहीं भूकंप, कहीं बाढ़, कहीं आगजनी और कहीं भवन गिरने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार समय पर की गई मॉक ड्रिल से लगभग 40 प्रतिशत तक जान-माल की क्षति को रोका जा सकता है।
गोंडा में हुआ यह अभ्यास न केवल एक औपचारिक कार्यक्रम था बल्कि यह एक चेतावनी भी है कि आपदा प्रबंधन को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
निष्कर्ष
गोंडा में आयोजित मॉक ड्रिल ने यह स्पष्ट कर दिया कि जिला प्रशासन, राज्य आपदा मोचक बल और अन्य विभाग किसी भी प्रकार की आपदा का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
ऐसे अभ्यास न केवल प्रशासन और कर्मचारियों को प्रशिक्षित करते हैं बल्कि आम जनता में भी यह संदेश पहुंचाते हैं कि आपदा प्रबंधन केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है।





