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गोंडा में अंतर्राष्ट्रीय नशा विरोध दिवस की पूर्व संध्या पर चला अनोखा अभियान, लोकगीतों के जरिए दी गई जागरूकता | पढ़ें पूरी रिपोर्ट

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रिपोर्टर: आशीष श्रीवास्तव
ब्यूरो चीफ, उत्तर प्रदेश | Kadak Times


गोंडा।
नशा मुक्त समाज की दिशा में एक प्रेरक पहल करते हुए, जनपद गोंडा में अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ विरोधी दिवस (International Anti-Drug Day) की पूर्व संध्या पर बुधवार को एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम झंझरी ब्लॉक स्थित आबकारी विभाग के परिसर में हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में अधिकारी, कर्मचारी, स्थानीय नागरिक और युवाओं ने भाग लिया।

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था – नशे की लत के खतरनाक परिणामों से युवाओं और आम नागरिकों को अवगत कराना और उन्हें नशा छोड़ने के लिए प्रेरित करना। कार्यक्रम की सबसे खास बात यह रही कि इसमें पारंपरिक लोकगीत और नाट्य शैली का इस्तेमाल कर संदेश पहुंचाया गया, जिससे उपस्थित लोगों पर गहरा असर पड़ा।


लोक संस्कृति के ज़रिए नशा विरोधी संदेश

इस अभियान का संचालन श्रावस्ती जनपद के प्रसिद्ध राग-रागिनी कला मंच द्वारा किया गया। लोक कलाकारों ने मंच पर नशे की लत से होने वाली बर्बादी को बेहद प्रभावशाली तरीके से दर्शाया। उनके गीतों में कहीं एक माँ की व्यथा थी, जो अपने बेटे को नशे में खो चुकी थी, तो कहीं एक युवती की पीड़ा जो अपने शराबी पति से त्रस्त थी।

प्रस्तुतियों में संगीत, संवाद, नाटक और भावनाओं का अद्भुत संयोजन देखने को मिला। कलाकारों ने स्पष्ट किया कि किस प्रकार एक छोटी सी लत पूरे परिवार को बरबाद कर सकती है और समाज में अपराध, घरेलू हिंसा, दुर्घटनाओं और मानसिक बीमारियों को जन्म देती है।


संकल्प की गूंज: “हम नशे को ना कहेंगे”

इस अवसर पर जिला आबकारी अधिकारी ने उपस्थित लोगों को नशा मुक्ति की शपथ दिलाई। उन्होंने लोगों को प्रेरित करते हुए कहा:

“आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है कि हम अपने घर, समाज और विशेषकर युवाओं को नशे की गिरफ्त में जाने से बचाएं। नशा केवल व्यक्ति को ही नहीं, पूरे समाज को खोखला करता है।”

उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे खुद तो नशे से दूर रहें ही, साथ ही अपने दोस्तों और साथियों को भी इससे बचने के लिए प्रेरित करें।


अधिकारियों की मौजूदगी से बढ़ा आयोजन का महत्व

कार्यक्रम में जनपद के कई वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी भी उपस्थित रहे, जिनकी उपस्थिति से कार्यक्रम को और अधिक गंभीरता और प्रभावशीलता मिली। उपस्थित प्रमुख अधिकारियों में शामिल रहे:

सभी अधिकारियों ने एक स्वर में कहा कि नशा न केवल शरीर को कमजोर करता है, बल्कि यह व्यक्ति की सोच, संबंधों और सामाजिक स्थिति को भी बर्बाद करता है। उन्होंने कहा कि इस बुराई को समाप्त करने के लिए हर नागरिक की सक्रिय भूमिका जरूरी है।


जनता की भागीदारी और प्रतिक्रिया

कार्यक्रम में स्थानीय लोगों की भागीदारी सराहनीय रही। उपस्थित नागरिकों ने लोक प्रस्तुतियों को गंभीरता से सुना और कार्यक्रम के बाद अपनी प्रतिक्रियाएं भी साझा कीं।

सुनील कुमार, एक कॉलेज छात्र ने कहा,

“पहली बार ऐसा महसूस हुआ कि कोई नशा विरोधी कार्यक्रम सिर्फ भाषण नहीं, बल्कि दिल से जुड़ा संदेश लेकर आया है। लोकगीतों की बात सीधी दिल तक पहुंची।”

अनीता देवी, एक स्थानीय महिला ने बताया,

“हम अपने गांव में कई युवाओं को नशे के कारण बर्बाद होते देख चुके हैं। अगर समय पर ऐसे कार्यक्रम होते रहें तो नई पीढ़ी को बचाया जा सकता है।”


Social Media पर कार्यक्रम की गूंज

कार्यक्रम की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। Facebook पर लाइव वीडियो शेयर हुए, Instagram Reels में कलाकारों की झलकें दिखीं और WhatsApp ग्रुप्स में नशा मुक्ति की शपथ वाले फोटो जमकर वायरल हुए।

#SayNoToDrugs #NashaMuktBharat #GondaAwarenessDrive जैसे हैशटैग्स पर लोग अपने विचार साझा करने लगे और जागरूकता का यह संदेश जन-जन तक पहुंचने लगा।


क्यों बना यह कार्यक्रम खास और Trending?

  1. भावनात्मक और लोक शैली का प्रयोग – जिसने संदेश को सीधे दिल तक पहुंचाया।
  2. युवाओं पर केंद्रित दृष्टिकोण – कॉलेज और स्कूल जाने वाले युवाओं को मुख्य टारगेट बनाकर कार्यक्रम का आयोजन।
  3. प्रशासन की सक्रियता – अधिकारियों की मौजूदगी और व्यक्तिगत संवाद ने कार्यक्रम को प्रभावशाली बनाया।
  4. Digital Reach – सोशल मीडिया पर वायरल कंटेंट ने इसे एक बड़ा अभियान बना दिया।
  5. जन भागीदारी – आम नागरिकों, छात्रों, महिलाओं और बुजुर्गों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

नशा: एक सामाजिक बीमारी

कार्यक्रम के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया कि नशा केवल एक व्यक्ति की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज को प्रभावित करता है। इसकी वजह से मानसिक तनाव, अपराध, सड़क दुर्घटनाएं और पारिवारिक कलह जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

नशा एक ऐसी बुराई है, जिसकी शुरुआत मस्ती और दोस्ती के नाम पर होती है लेकिन अंत में यह इंसान की ज़िंदगी और सम्मान दोनों को निगल जाती है।


निष्कर्ष: जन-जन तक पहुंचे जागरूकता का संदेश

गोंडा में आयोजित यह नशा मुक्ति अभियान सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक मजबूत संदेश था – “अब और नहीं!”
अगर हर जनपद, हर गांव, हर स्कूल-कॉलेज में ऐसे जनजागरण कार्यक्रम होते रहें, तो भारत को Nasha Mukt Bharat बनाने का सपना जल्द ही साकार हो सकता है।


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