गोकर्ण घाट पर मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती का अद्भुत संगम, गंगा तट पर उमड़ा भक्तों का सैलाब—भक्ति और आस्था से सराबोर रहा पूरा क्षेत्र

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रिपोर्ट: माया लक्ष्मी मिश्रा, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, कड़क टाइम्स

ऊंचाहार के प्राचीन गोकर्ण घाट पर बुधवार को मोक्षदा एकादशी व गीता जयंती का पावन पर्व अत्यंत श्रद्धा, उल्लास और शांति के माहौल में मनाया गया। दक्षिणवाहिनी गंगा के तट पर स्थित यह पवित्र स्थल सुबह से ही भक्तिमय वातावरण में डूब गया। मां गंगा गोकर्ण जनकल्याण सेवा समिति द्वारा आयोजित इस विशिष्ट कार्यक्रम में दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की और गीता के उपदेशों को स्मरण किया।

समिति के सचिव एवं जिला गंगा समिति के सक्रिय सदस्य जितेन्द्र द्विवेदी ने बताया कि मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती का एक साथ पड़ना अत्यंत शुभ माना जाता है। उन्होंने कहा कि आज ही के दिन कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को जीवन का वह दिव्य संदेश दिया था, जो आज भी मानवता के लिए पथप्रदर्शक है। जितेन्द्र द्विवेदी ने कहा कि “गीता हमें सिखाती है कि मनुष्य को निस्वार्थ भाव से कर्म करते रहना चाहिए। फल की चिंता, मोह-माया और संशय सफलता की राह में बाधा बनते हैं।”

उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे जीवन में गीता का अध्ययन अवश्य करें, क्योंकि यह केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं बल्कि एक life-managing philosophy है, जो हर परिस्थिति में मन को स्थिर रखने की कला सिखाती है।

सुबह के समय घाट पर वैदिक मंत्रों की गूंज ने पूरे वातावरण को पवित्र बना दिया। गंगा आरती, भजन-कीर्तन और गीता प्रवचनों के बीच श्रद्धालु घंटों तक तट पर बैठे आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करते रहे। घाट पर लगी दीप सज्जा, फूलों की मालाएँ और रंग-बिरंगी झांकियाँ कार्यक्रम की भव्यता को और बढ़ा रही थीं।

कार्यक्रम के दौरान जितेन्द्र द्विवेदी ने यह भी बताया कि मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा आने वाली 4 दिसंबर, गुरुवार को है। पूर्णिमा के बाद एक माह तक सभी शुभ मांगलिक कार्यों पर विराम रहेगा, जो धार्मिक परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

इस आयोजन में सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज अरखा के प्रधानाचार्य अनिल श्रीवास्तव, लवलेश सिंह, संदीप कुमार, अर्पित कुमार, गजानन शास्त्री, अमित निषाद, अमित सैनी सहित बड़ी संख्या में स्थानीय श्रद्धालु और विद्यार्थी मौजूद रहे।

गोकर्ण घाट, जिसे महर्षि गोकर्ण की तपस्थली और राजा भगीरथ की कथा से भी जोड़कर देखा जाता है, आज पूरे दिन भक्तों के जयकारों से गुंजायमान रहा। विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों और सत्संग ने पूरे क्षेत्र को आस्था और सकारात्मक ऊर्जा से भर दिया।


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