माया लक्ष्मी मिश्रा
रायबरेली जिले के गदागंज क्षेत्र से एक ऐसा मामला सामने आया है, जो न सिर्फ चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि आम लोगों की जान को भी सीधी चुनौती देता है। यहां एक व्यक्ति, जो खुद को डॉक्टर बताता है – इंद्रपाल उर्फ पप्पू – बिना किसी मेडिकल डिग्री या पंजीकरण के खुलेआम मरीजों का इलाज कर रहा है।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, यह व्यक्ति लंबे समय से एक निजी क्लिनिक चला रहा है और आसपास के ग्रामीणों को इलाज के नाम पर गुमराह कर रहा है। हाल ही में एक महिला का इलाज इस कथित डॉक्टर द्वारा किया गया, जिसकी तस्वीरें और जानकारी सामने आने के बाद पूरे इलाके में चर्चा शुरू हो गई है।
यहां सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि – न तो इस क्लिनिक पर कोई सरकारी रजिस्ट्रेशन है, और न ही इसके संचालक के पास इलाज करने की कानूनी योग्यता। फिर भी यह व्यक्ति बिना किसी डर के इंजेक्शन दे रहा है, दवाएं लिख रहा है और मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है।
जिम्मेदार अधिकारी खामोश क्यों?
ऐसे गंभीर मामले के बावजूद, सीएमएस (CMS) और स्वास्थ्य विभाग की तरफ से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। न जांच की गई, न क्लिनिक को बंद किया गया, और न ही संचालक पर कोई कार्रवाई हुई है। स्थानीय लोग प्रशासन की चुप्पी पर नाराज़गी जता रहे हैं और पूछ रहे हैं – क्या किसी बड़ी अनहोनी का इंतज़ार है?
गांव में डर का माहौल
ग्रामीणों का कहना है कि वे जानकारी की कमी के कारण इलाज के लिए ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों पर निर्भर हो जाते हैं। लेकिन जब इलाज जान के लिए खतरा बन जाए, तो सवाल उठता है – ये लापरवाही कब तक चलेगी?
स्वास्थ्य विभाग को चेतावनी की ज़रूरत
सरकार जहां एक ओर आयुष्मान भारत योजना, स्वास्थ्य जागरूकता अभियान और डिजिटल हेल्थ मिशन जैसी योजनाओं पर काम कर रही है, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी हकीकत इससे कोसों दूर नजर आ रही है।
अगर ऐसे अवैध क्लीनिकों पर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो ये पूरे क्षेत्र के लिए खतरे का कारण बन सकते हैं।





