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एक गरीब महिला पर एक्शन, रसूखदारों पर चुप्पी: डलमऊ में ग्राम प्रधान की कार्यशैली पर उठे सवाल

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रिपोर्टर: संदीप मिश्रा, रायबरेली

रायबरेली (डलमऊ)।
धमधमा ग्राम सभा की एक विवादित बंजर जमीन पर हुए अवैध कब्जे को लेकर सोमवार को प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए कब्जा मुक्त कराया। इस जमीन पर सल्तनत बानो नाम की विधवा महिला ने टीन शेड डालकर आश्रय बना लिया था, जिसकी शिकायत ग्राम प्रधान मोबीन अंसारी ने तहसील समाधान दिवस में की थी।

जिलाधिकारी हर्षिता माथुर द्वारा निर्देश मिलने के बाद नायब तहसीलदार वीरेंद्र सिंह, क्षेत्रीय लेखपाल मनोज पाल और गदागंज पुलिस की मौजूदगी में जमीन को खाली कराया गया।

गांव में उठे सवाल: क्या कार्रवाई सिर्फ कमजोरों पर?

इस कार्रवाई के बाद गांव में लोगों के बीच असंतोष उभरने लगा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि ग्राम सभा की अन्य बंजर जमीनें – जिनमें गाटा संख्या 40, 65, 316, 322, 67 और 18 नंबर तालाब की भूमि शामिल है – पर कई अन्य लोगों ने भी कब्जा कर रखा है। इनमें से कुछ लोग ग्राम प्रधान के नजदीकी बताए जा रहे हैं।

इसके बावजूद अब तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिससे लोगों में यह धारणा बन रही है कि कार्यवाही चुनिंदा और पक्षपातपूर्ण ढंग से की जा रही है।

सल्तनत बानो की मजबूरी बनी अपराध?

सल्तनत बानो, जो एक गरीब विधवा महिला हैं, ने बस इतनी कोशिश की थी कि अपने छोटे बच्चों के सिर पर एक छत हो। उनका कहना है कि उन्होंने किसी की जमीन पर कब्जा करने की मंशा से नहीं, बल्कि मजबूरी में टीन शेड डाला था।

स्थानीय लोगों का भी यही कहना है कि ग्राम प्रधान ने सिर्फ उसी महिला को निशाना बनाया, जबकि गांव में कई और लोग हैं जिन्होंने सरकारी जमीन पर घर या दुकान बना रखी है।

निष्पक्ष कार्रवाई की मांग

गांव वालों ने प्रशासन से मांग की है कि यदि किसी ने भी सरकारी जमीन पर कब्जा किया है, तो कार्रवाई बिना भेदभाव के होनी चाहिए। गरीब और मजबूर लोगों को इस तरह से निशाना बनाना न इंसाफ है, न नीति।


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