दुष्कर्म प्रयास में लेखपाल पर जांच का आदेश और नाबालिग को संदिग्ध जहरीला पदार्थ खिलाने की घटना की विवेचना

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रिपोर्ट: संदीप मिश्रा, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, कड़क टाइम्स
डेडलाइन: रायबरेली, 23 सितम्बर 2025

रायबरेली। जिले में एक के बाद एक गंभीर आपराधिक घटनाओं ने प्रशासन और न्यायालय का ध्यान अपनी ओर खींचा है। पहला मामला ऊंचाहार में तैनात लेखपाल पंकज वर्मा और रिंकू लोध से जुड़ा है, जिन पर एक महिला ने दुष्कर्म के प्रयास का आरोप लगाया है। दूसरा मामला डलमऊ के चक मलिक भीटी डंगरी गांव का है, जहां एक नाबालिग लड़की को रंजिश वश संदिग्ध जहरीला पदार्थ खिलाने का सनसनीखेज आरोप सामने आया है। दोनों ही मामलों की जांच और विवेचना के आदेश संबंधित अधिकारियों को दिए गए हैं।


पहला मामला: दुष्कर्म प्रयास में लेखपाल और सहयोगियों पर जांच का आदेश

पीड़िता की शिकायत और घटनाक्रम

डलमऊ थाना क्षेत्र के डंगरी गांव निवासी बाबूलाल की पत्नी ने 10 जुलाई 2025 को थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़िता ने आरोप लगाया कि ऊंचाहार में तैनात लेखपाल पंकज वर्मा, रिंकू लोध और एक अन्य व्यक्ति उसके घर आए और रिंकू लोध ने दुष्कर्म का प्रयास किया। इस दौरान अन्य दोनों आरोपी सहयोगी की भूमिका में मौजूद थे।

थाने में मारपीट की धारा, न्यायालय का हस्तक्षेप

महिला का कहना है कि उसने इस घटना की तहरीर थाने में दी और बाद में शिकायत जिला अधिकारी तक भी पहुंचाई। लेकिन पुलिस ने इस मामले को मारपीट की घटना मानते हुए केवल एक आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। इससे असंतुष्ट होकर महिला ने न्यायालय की शरण ली।

माननीय न्यायालय ने महिला की दलीलों को गंभीरता से लेते हुए आदेश दिया कि यह मामला केवल मारपीट नहीं बल्कि दुष्कर्म प्रयास से जुड़ा अपराध है। इसलिए इस पर विस्तृत विवेचना कराई जाए।

पुलिस प्रशासन पर उठे सवाल

इस घटना ने पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं। आखिर क्यों जब महिला ने साफ तौर पर दुष्कर्म के प्रयास की शिकायत दी, तो पुलिस ने इसे हल्का मामला मानकर दर्ज किया? स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की लापरवाही अपराधियों के हौसले बुलंद करती है और पीड़िताओं का न्याय व्यवस्था से भरोसा कम करती है।


दूसरा मामला: नाबालिग को संदिग्ध जहरीला पदार्थ खिलाने पर मचा हड़कंप

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का आदेश

रायबरेली जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने डलमऊ के चक मलिक भीटी डंगरी गांव की महिला रेखा की शिकायत पर संज्ञान लिया। इसमें कहा गया कि रंजिश वश उसकी नाबालिग पुत्री को गांव की महिला आशा ने प्रसाद के नाम पर कोई संदिग्ध जहरीला पदार्थ खिला दिया।

बच्ची की हालत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती

पीड़िता रेखा ने बताया कि पदार्थ खाने के बाद उसकी बेटी की हालत गंभीर हो गई और उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। रेखा ने इसकी शिकायत 112 नंबर, थाने की पुलिस और यहां तक कि जिलाधिकारी कार्यालय तक की, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

प्राधिकरण का कड़ा रुख

प्राधिकरण सचिव एवं अपर जिला जज अनुपम शौर्य ने मामले की गंभीरता को देखते हुए रायबरेली के पुलिस अधीक्षक को जांच के निर्देश दिए। आदेश में साफ कहा गया कि नियमानुसार जांच कर जिम्मेदारों पर कार्यवाही की जाए।


आरोपियों और पुलिस पर सवाल

आशा और सरोज पर गंभीर आरोप

इस मामले में सिर्फ आशा ही नहीं बल्कि सरोज पत्नी अंकित कुमार पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। शिकायत में कहा गया है कि आशा ने बच्ची को जहरनुमा पदार्थ दिया जबकि सरोज ने थाने की पुलिस के साथ मिलकर पीड़िता के घर में घुसकर तलाशी ली और वीडियो भी बनाया।

पुलिसिया सहयोग पर शक

शिकायतकर्ता का आरोप है कि सरोज का मायका डंगरी गांव में है और उसके पति किसी थाने में पुलिस पद पर तैनात हैं। इसी कारण उसे पुलिस का सहयोग मिलता है। यही वजह है कि स्थानीय पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और आरोपी पक्ष को बचाने की कोशिश की।

सरोज पर अन्य मुकदमे भी दर्ज

सूत्रों के मुताबिक सरोज पर पहले से ही कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इसके बावजूद पुलिस का रवैया नरम दिख रहा है। यह स्थिति स्थानीय लोगों में नाराजगी और अविश्वास पैदा कर रही है।


सामाजिक और प्रशासनिक असर

महिला सुरक्षा पर सवाल

लगातार सामने आ रहे ऐसे मामले महिला सुरक्षा पर सवाल खड़े करते हैं। जब पीड़िता बार-बार शिकायत करने के बावजूद न्याय नहीं पाती और पुलिस निष्क्रिय बनी रहती है, तो इससे समाज में गलत संदेश जाता है।

विधिक सेवा प्राधिकरण की भूमिका

इन घटनाओं में एक सकारात्मक पहलू यह है कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने पीड़ित महिला की शिकायत पर तुरंत संज्ञान लिया और उसे विधिक सहायता देने के साथ-साथ पुलिस को जांच के लिए निर्देशित किया। इससे यह संदेश गया कि कानून के दायरे में हर किसी को न्याय मिलेगा।


निष्कर्ष

रायबरेली जिले में सामने आए दोनों मामले साफ दिखाते हैं कि पीड़िताओं को न्याय दिलाने के लिए अभी भी लंबा रास्ता तय करना है।

  • पहला मामला यह बताता है कि किस तरह एक गंभीर आरोप को पुलिस ने हल्का बनाकर दर्ज किया और पीड़िता को न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
  • दूसरा मामला यह दर्शाता है कि आपसी रंजिश में किस तरह मासूमों को भी नहीं बख्शा जा रहा और पुलिसिया सहयोग का दुरुपयोग हो रहा है।

इन घटनाओं ने प्रशासन और पुलिस पर सवाल खड़े किए हैं। अब देखना यह होगा कि न्यायालय और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशों के बाद जांच किस दिशा में जाती है और पीड़िताओं को न्याय कब तक मिल पाता है।


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