गोंडा में स्वास्थ्य सेवाओं पर जिलाधिकारी की सख्ती: 308 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की होगी गहन जांच

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गोंडा में स्वास्थ्य सेवाओं पर जिलाधिकारी की सख्ती: 308 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की होगी गहन जांच

रिपोर्ट: आशीष श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ – उत्तर प्रदेश

गोंडा, 30 मई 2025
गोंडा जिले में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जिला प्रशासन अब बेहद सक्रिय हो गया है। जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने जिले में संचालित 308 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की कार्यक्षमता, सेवा गुणवत्ता और संसाधनों की स्थिति की गहन जांच के आदेश जारी किए हैं। इस विशेष निरीक्षण अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आमजन को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का सही लाभ मिल रहा है या नहीं।

जिलाधिकारी द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार एसडीएम, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और चिकित्सा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मिलकर इन केंद्रों का भौतिक सत्यापन करेंगे। निरीक्षण दल यह भी सुनिश्चित करेगा कि स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों और कर्मचारियों की उपस्थिति समय पर हो, आवश्यक दवाएं और जांच सुविधाएं उपलब्ध हों और सेवाओं का लाभ सही ढंग से आमजन तक पहुंच रहा हो।

जिलाधिकारी नेहा शर्मा का स्पष्ट संदेश

जिलाधिकारी ने कहा है कि जनता को समय पर और गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाएं देना जिला प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके लिए प्रत्येक आयुष्मान आरोग्य केंद्र की गतिविधियों की वस्तुनिष्ठ जांच की जा रही है, ताकि जो भी कमियां हैं उन्हें सामने लाकर त्वरित सुधार किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि जिन भी केंद्रों पर लापरवाही या उदासीनता पाई जाएगी, वहां कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।

रिपोर्ट 10 कार्य दिवसों में सौंपने के निर्देश

निरीक्षण अभियान की रिपोर्ट अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आदित्य वर्मा के माध्यम से मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जिलाधिकारी को 10 कार्य दिवसों के भीतर प्रस्तुत की जाएगी। इस रिपोर्ट में प्रत्येक केंद्र की स्थिति का विस्तृत आकलन किया जाएगा।

निरीक्षण के मुख्य बिंदु

इस निरीक्षण अभियान के दौरान जांच अधिकारियों को विशेष रूप से निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना होगा:

  1. क्या सीएचओ (Community Health Officer) की उपस्थिति AMS (Attendance Management System) एप के माध्यम से नियमित रूप से दर्ज हो रही है?
  2. औषधियों की उपलब्धता की स्थिति और DPDMS पोर्टल से उनकी नियमित आपूर्ति सुनिश्चित हो रही है या नहीं।
  3. क्या जांच सुविधाएं और टेली-कन्सल्टेशन सेवाएं सक्रिय हैं तथा आमजन को इनका लाभ मिल रहा है?
  4. 30 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के नागरिकों की गैर-संचारी रोगों (Non-Communicable Diseases) की स्क्रीनिंग की जा रही है और उसका डेटा पोर्टल पर नियमित रूप से अपलोड किया जा रहा है या नहीं।
  5. क्या केंद्र पर प्रतिमाह न्यूनतम 10 वेलनेस सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें योग, पौष्टिक आहार, मानसिक स्वास्थ्य आदि विषयों पर जागरूकता दी जा रही हो?
  6. जन आरोग्य समिति के Untied Fund का स्थानीय स्तर पर समुचित एवं पारदर्शी उपयोग हो रहा है या नहीं।
  7. क्या केंद्र राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानकों (National Quality Assurance Standards – NQAS) की दिशा में प्रगति कर रहे हैं?
  8. प्रत्येक केंद्र का नाम “आयुष्मान आरोग्य मंदिर – आरोग्यं परमं धनम्” में परिवर्तित कर उसका फोटो पोर्टल पर अपलोड किया गया है या नहीं।

जनता से फीडबैक भी होगा शामिल

इस बार निरीक्षण प्रक्रिया में एक नया और महत्वपूर्ण पहलू जोड़ा गया है – स्थानीय नागरिकों से सीधा संवाद। निरीक्षण दल संबंधित क्षेत्र के लोगों से बात कर यह जानने की कोशिश करेगा कि उन्हें केंद्र से क्या सेवाएं मिलती हैं, कर्मचारियों का व्यवहार कैसा है और क्या उन्हें समय पर इलाज और दवाएं मिलती हैं। यह फीडबैक रिपोर्ट का अभिन्न हिस्सा होगा और प्रशासनिक निर्णयों को प्रभावित करेगा।

डिजिटल स्वास्थ्य प्रबंधन पर फोकस

निरीक्षण अभियान में डिजिटल स्वास्थ्य प्रबंधन टूल्स जैसे AMS ऐप, DPDMS पोर्टल और स्क्रीनिंग डेटा पोर्टल की उपयोगिता और पारदर्शिता की भी जांच की जाएगी। इन टूल्स की सटीकता यह सुनिश्चित करेगी कि सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का प्रभाव सही रूप से ज़मीन तक पहुंच रहा है या नहीं।

गोंडा का मॉडल पूरे प्रदेश के लिए उदाहरण

इस निरीक्षण अभियान को एक मॉडल प्रोजेक्ट के रूप में देखा जा रहा है जो अन्य जिलों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है। अगर यह अभियान पारदर्शिता और ईमानदारी से संचालित होता है तो गोंडा जिला उत्तर प्रदेश के सबसे बेहतरीन स्वास्थ्य सेवा जिलों में अपनी पहचान बना सकता है।

क्यों है यह निरीक्षण ज़रूरी

गांवों और कस्बों में रहने वाली अधिकांश जनता के लिए यही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ही इलाज का मुख्य माध्यम होते हैं। अगर इन केंद्रों पर डॉक्टर मौजूद न हों, दवाएं समय पर न मिलें या जांच की सुविधा उपलब्ध न हो, तो आमजन को गंभीर स्वास्थ्य संकटों का सामना करना पड़ता है। इस वजह से जिला प्रशासन का यह सख्त कदम आवश्यक और समयानुकूल कहा जा सकता है।

निष्कर्ष

गोंडा जिला प्रशासन द्वारा उठाया गया यह कदम एक सकारात्मक बदलाव की शुरुआत है। स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने की यह पहल केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि जमीनी सच्चाई पर आधारित है। अगर इस निरीक्षण अभियान से सही निष्कर्ष निकाले जाते हैं और तदनुसार कार्रवाई की जाती है, तो गोंडा की स्वास्थ्य व्यवस्था आने वाले समय में पूरे प्रदेश के लिए आदर्श बन सकती है।

रिपोर्ट:
आशीष श्रीवास्तव
ब्यूरो चीफ – उत्तर प्रदेश
www.kadaktimes.com


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