बड़ी कार्यवाही: गोंडा में बालश्रम के खिलाफ चला चेकिंग अभियान, होटल-ढाबों पर पुलिस की नजर

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रिपोर्ट: आशीष श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ, उत्तर प्रदेश (कड़क टाइम्स)
स्थान: गोंडा | दिनांक: 25 जून 2025

गोंडा जिले में बालश्रम और मानव तस्करी के खिलाफ एक विशेष अभियान चलाया गया, जिसमें शहर के विभिन्न हिस्सों में संचालित दुकानों, होटलों और ढाबों की गहन जांच की गई। यह अभियान शासन के निर्देश पर, बाल एवं किशोर श्रम मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत चलाया गया।

पुलिस अधीक्षक गोंडा श्री विनीत जायसवाल के निर्देश पर और अपर पुलिस अधीक्षक पूर्वी श्री मनोज कुमार रावत के मार्गदर्शन में थाना एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) की टीम द्वारा यह अभियान संचालित किया गया। इस दौरान टीम ने शहर में कई प्रतिष्ठानों की जांच की और वहां काम कर रहे नाबालिगों के संदर्भ में पूछताछ की।

अभियान के दौरान दुकानदारों को यह जानकारी दी गई कि बच्चों से काम कराना कानूनन अपराध है और यदि किसी के यहां बालश्रम पाया गया, तो उस पर कड़ी विधिक कार्रवाई की जाएगी। एएचटी प्रभारी ने दुकानदारों को शासन द्वारा चलाई जा रही नीतियों की जानकारी दी और सख्त चेतावनी दी कि भविष्य में बालश्रम पाया गया तो संबंधित के खिलाफ तत्काल प्राथमिकी दर्ज कर कठोर कदम उठाए जाएंगे।

इसी क्रम में मिशन शक्ति अभियान के अंतर्गत महिलाओं और बच्चों को भी जागरूक किया गया। उन्हें महिला अपराधों, बच्चों के अधिकारों और उनसे जुड़ी सरकारी योजनाओं की जानकारी दी गई। खास तौर पर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने और किसी भी प्रकार की हिंसा या शोषण की स्थिति में बिना डर के आगे आने की प्रेरणा दी गई।

लोगों को कई महत्वपूर्ण टोल फ्री हेल्पलाइन नंबरों की जानकारी दी गई, जिनमें शामिल हैं:

  • 1090 – महिला हेल्पलाइन
  • 112 – आपातकालीन सेवा
  • 181 – महिला सहायता केंद्र
  • 1076 – मुख्यमंत्री हेल्पलाइन
  • 1098 – चाइल्ड लाइन
  • 102/108 – एम्बुलेंस सेवा
  • 1930 – साइबर क्राइम हेल्पलाइन

एएचटी प्रभारी ने जनता से अपील की कि वे अपने आस-पास नजर रखें और यदि किसी दुकान, होटल, ढाबे या किसी भी संस्थान में बच्चों को काम करते देखें तो तुरंत 1098 या 112 नंबर पर सूचना दें। उन्होंने कहा कि बच्चों को स्कूल भेजना हर अभिभावक की जिम्मेदारी है, और समाज का भी यह दायित्व है कि वह बच्चों को उनके अधिकारों से वंचित न होने दे।

जनपद पुलिस का कहना है कि वह बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और इस प्रकार के सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम आगे भी निरंतर जारी रहेंगे।

अभियान की सफलता के लिए स्थानीय जनता से सहयोग की अपेक्षा की गई है, ताकि एक बालश्रम मुक्त और सुरक्षित समाज की स्थापना की जा सके। प्रशासन का मानना है कि जब तक समाज खुद जिम्मेदारी नहीं लेगा, तब तक ऐसी बुराइयों पर रोक लगाना कठिन रहेगा।

यह अभियान एक संदेश है कि अब बालश्रम के प्रति कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि समाज, प्रशासन और जनता मिलकर प्रयास करें तो बच्चों का बचपन सुरक्षित किया जा सकता है।


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