रिपोर्ट: संदीप मिश्रा, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, कड़क टाइम्स
रायबरेली कलेक्ट्रेट परिसर का पेंशनर्स भवन आज डॉ. भीमराव अम्बेडकर की स्मृति और उनके सामाजिक संदेशों से गूंज उठा, जहां डॉ. बी.आर. अम्बेडकर लीगल एसोसिएट के तत्वाधान एवं कलेक्ट्रेट अधिवक्ता समाज के सहयोग से उनके 69वें परिनिर्वाण दिवस पर पुष्पांजलि एवं वैचारिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के महामंत्री रामेन्द्र सिंह एडवोकेट ने की जबकि संचालन सामाजिक चिंतक राजेश कुरील ने संभाला। बड़ी संख्या में पहुंचे अधिवक्ताओं ने बाबा साहब को पुष्पांजलि अर्पित कर उनके आदर्शों को सामाजिक परिवर्तन का मूल स्रोत बताया।
मुख्य अतिथि नगर मजिस्ट्रेट रामअवतार ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने अपने संघर्षपूर्ण जीवन से यह सिद्ध किया कि समानता, स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय किसी भी प्रगतिशील राष्ट्र की नींव होते हैं। उन्होंने कहा कि अम्बेडकर सिर्फ संविधान निर्माता नहीं थे, बल्कि ऐसे दूरदर्शी विचारक थे जिनकी सोच आज भी भारत की सामाजिक संरचना को दिशा देती है। विशिष्ट अतिथियों में पूर्व डीजीसी (राजस्व) दिनेश यादव एडवोकेट, वरिष्ठ अधिवक्ता रामप्रसाद और कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील श्रीवास्तव एडवोकेट ने अम्बेडकर को उन महान व्यक्तित्वों में गिना जिन्होंने भारत को आधुनिक लोकतंत्र की पहचान दी।
कार्यक्रम में बौद्धिक चिंतक के0पी0 राहुल ने कहा कि बाबा साहब ऐसे सिद्धांतों में विश्वास रखते थे जो इंसान को समानता, भाईचारा और मानवता का पाठ पढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर के विचार आज भी प्रत्येक नागरिक को कर्तव्य-निष्ठा, निष्पक्षता, सामाजिक जिम्मेदारी और संविधान के प्रति समर्पित होने की प्रेरणा देते हैं। उनकी सोच आज भी आधुनिक भारत के लिए मार्गदर्शक प्रकाश की तरह है।
संगोष्ठी में महेन्द्र कुमार यादव, भूपेन्द्र सिंह यादव, पंकज कनौजिया, राजेश यादव, सत्येन्द्र श्रीवास्तव, रवि गुप्ता, रामशंकर यादव, मंशाराम राजवंशी, चन्द्रशेखर, आर.बी. एडवोकेट, दातादीन यादव, रोहित चौधरी, सरस्वती यादव, देवेश कुमार, चन्द्र कुमार, विजय बहादुर यादव, कमलेश कुमार, दिलीप कुमार यादव, अभयकृष्ण यादव, दीपापाल, वीरपाल, कुमार गौरव, राम भरोसे पासवान, यशवन्त कुमार, अनुज यादव समेत सैकड़ों अधिवक्ता मौजूद रहे। सभी अधिवक्ताओं ने संयुक्त रूप से कलेक्ट्रेट परिसर में बाबा साहब की प्रतिमा स्थापित किए जाने की मांग नगर मजिस्ट्रेट के समक्ष रखी, ताकि भावी पीढ़ियों को संविधान निर्माता के दर्शन और विचारों से प्रेरणा मिल सके।