अब बिना सरकारी मंजूरी नहीं मिलेगी डेंगू-मलेरिया की रिपोर्ट, DM का सख्त आदेश

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रिपोर्ट: संदीप मिश्रा, रायबरेली | उत्तर प्रदेश | Kadak Times

रायबरेली: जिला प्रशासन ने डेंगू, मलेरिया, जापानी इंसेफेलाइटिस और कालाजार जैसे संचारी रोगों की रोकथाम को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने जिले की सभी प्राइवेट पैथोलॉजी लैब और निजी अस्पतालों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जब तक किसी मरीज की रिपोर्ट सरकारी क्षेत्रीय लैब से प्रमाणित नहीं हो जाती, तब तक कोई भी निजी लैब उसे रिपोर्ट जारी नहीं करेगी।

इस आदेश का उद्देश्य न केवल संक्रमण के सही आँकड़ों को संकलित करना है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि किसी रोग की झूठी या अधूरी जानकारी फैलने से रोकी जाए।


मरीजों को रिपोर्ट के लिए करना होगा इंतजार

नए निर्देशों के अनुसार, अब किसी मरीज को Dengue या Malaria जैसी बीमारियों की रिपोर्ट तभी दी जाएगी जब जिला या राज्य स्तर की लैब उस जांच को वैलिडेट कर देगी। इस कारण अब रिपोर्ट मिलने में 2 से 5 दिन तक का समय लग सकता है, जिससे इलाज में भी देरी हो सकती है।

हालांकि, प्रशासन का कहना है कि यह प्रक्रिया मरीज और पूरे समाज की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है।


प्राइवेट लैब और हॉस्पिटल अब सीधे नहीं कर पाएंगे रिपोर्टिंग

जिलाधिकारी ने निर्देश दिए हैं कि कोई भी निजी प्रयोगशाला या अस्पताल संचारी रोगों के बारे में सोशल मीडिया, पोस्टर या मौखिक प्रचार नहीं कर सकता। यह पूरी तरह से गैरकानूनी होगा। अगर कोई संस्थान या व्यक्ति इस नियम का उल्लंघन करता पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।


सूचना देने के लिए जारी किया गया मोबाइल नंबर

जिन मरीजों की जांच में डेंगू, मलेरिया, कालाजार या जापानी इंसेफेलाइटिस की पुष्टि होती है, उनकी जानकारी तत्काल जिला मुख्यालय को भेजना अनिवार्य है।
इस कार्य के लिए CMO कार्यालय के कंट्रोल रूम में तैनात एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. ऋषि बाग्ची को संपर्क करना होगा।

📞 मोबाइल / WhatsApp: 7007720408


क्या हैं इस आदेश के प्रभाव?

🔴 रिपोर्ट में देरी:
अब निजी लैब से सीधे रिपोर्ट मिलने की सुविधा नहीं रहेगी, जिससे मरीज को इलाज शुरू कराने में समय लग सकता है।

🔴 प्राइवेट सेंटर पर आर्थिक असर:
अब रिपोर्टिंग में देरी से इन संस्थानों की आमदनी और संचालन पर असर पड़ना तय है।

🔴 सरकारी लैब पर बढ़ेगा दबाव:
हर पॉजिटिव केस की पुष्टि सरकारी लैब से होगी, जिससे वहां पर काम का बोझ कई गुना बढ़ सकता है।


स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती

यह आदेश लागू करना स्वास्थ्य विभाग के लिए भी आसान नहीं होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां सरकारी सुविधाएं सीमित हैं, वहां निजी लैब पर ही लोगों की निर्भरता अधिक होती है। ऐसे में जिला प्रशासन के लिए यह सुनिश्चित करना कि हर केस सरकारी स्तर पर दर्ज हो, एक बड़ी लॉजिस्टिक चुनौती बन सकता है।


आदेश के पीछे प्रशासनिक मंशा

DM के इस आदेश का मुख्य उद्देश्य है कि संचारी रोगों की सूचना और आंकड़े सरकारी निगरानी में रहें ताकि जरूरत पड़ने पर सही जगह और समय पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई की जा सके।

इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि फर्जी रिपोर्टिंग, अफवाह, और झूठी जागरूकता अभियान को रोका जा सके जो कई बार भ्रम फैला देते हैं।


निष्कर्ष

रायबरेली में जिला प्रशासन ने जिस सख्ती और संवेदनशीलता के साथ यह कदम उठाया है, वह संक्रमण को नियंत्रित करने की दिशा में एक गंभीर प्रयास है। हालांकि इसके चलते मरीजों और निजी लैब्स को कुछ दिक्कतें जरूर होंगी, लेकिन अगर यह आदेश सही से लागू होता है तो जिले में संचारी रोगों के मामलों में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है।


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