Kadak Times

गोंडा के सिद्ध आश्रम में आचार्य जयप्रकाश शर्मा जी के 50वें जन्मोत्सव की धूम, वैदिक यज्ञ से सराहनीय आयोजन |

Share this news

रिपोर्ट: सुरेंद्र विश्वकर्मा, गोंडा, उत्तर प्रदेश

आज गोंडा स्थित सिद्ध आश्रम यज्ञ पीठ, जानकीनगर में अखंड विश्वकर्मा महासंघ के राष्ट्रीय धर्मगुरु आचार्य जयप्रकाश शर्मा जी का 50वां जन्मदिन श्रद्धा, भक्ति और सामूहिक समरसता के साथ मनाया गया। यह आयोजन न सिर्फ भव्य था, बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से एक नई ऊर्जा लेकर आया।


1. वैदिक यज्ञ से शुरू हुआ कार्यक्रम

प्रतिगामी तत्वों और तकनीकी युग से दूर, यह आयोजन वैदिक परंपरा को स्मरण कराता प्रतीत हुआ। यज्ञाचार्य श्री पुरुषोत्तम त्रिपाठी जी ने विधिपूर्वक पूजन और शुक्रायज्ञ किया, जिसमें महागण, मंत्रोच्चार और अग्निहोत्र की विधाएँ संपूर्ण विधिमय रूप में संपन्न हुईं। यज्ञ का मकसद था समाज की प्रगति, संघ की अखंडता और धर्मगुरु के स्वस्थ एवं दीर्घायु जीवन की मंगलकामना करना।


2. समाज सेवियों और पदाधिकारियों की सक्रिय भूमिका

इस आयोजन में कई समाजसेवियों ने अपनी सक्रिय भागीदारी दी, जिनमें प्रमुख रहे –


3. प्रतिष्ठित उपस्थितिगण और उनके संदेश

कई जिलाध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे, जिनमें नामयोग्य थे: श्री अर्जुन शर्मा, श्री जयलाल शर्मा, श्री रामदीन विश्वकर्मा, श्री पवन शर्मा, श्री राज बहादुर शर्मा, श्री मोहनलाल शर्मा, श्री रामनरेश शर्मा, और श्री विजय शर्मा। उन्होंने आचार्य जी को शुभकामनाएं दीं और उनके नेतृत्व को संगठन व समाज के लिए प्रेरणास्रोत बताया।


4. संगठन, धर्म व संस्कृति पर विचार-विमर्श

समारोह में वक्ताओं ने तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं – धर्म, संगठन और समाज पर अपने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, धर्म अगर सिर्फ स्तुति पूजन तक सीमित रह जाए तो उसका समाज में प्रभाव सीमित रहता है। लेकिन जब संगठन के द्वारा उसे सामाजिक कामों में ढाला जाए, और नेतृत्व को उसका अनुपालन देना आए, तभी धर्म वास्तविक रूप में सार्थक हो पाता है।


5. स्वर्ण जयंती के रंग

इस 50वें जन्मदिवस के लिए केक-काटने के दौरान वातावरण भक्तिमयी हो गया। उपस्थित जनों ने ‘जनमदिन मुबारक’ कहकर तालियाँ बजाईं। आचार्य जयप्रकाश शर्मा जी ने कहाः

“मेरा मार्गदर्शन आप सभी की एकता, अनुशासन और श्रद्धा में निहित है।”


6. प्रसाद विवरण और भंडारा

कार्यक्रम के अंत में प्रसाद वितरण एवं स्नेहभोज की व्यवस्था में लोगों से जुड़ाव और आपसी मेलजोल की झलक साफ दिखी। वृद्ध, युवा, बच्चे—सभी ने भोजन लिया और एक दूसरे में मधुर संवाद बांटा। आयोजन की आदर्श व्यवस्था के लिए सभी ने सराहना की।


9. महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष

आचार्य जयप्रकाश शर्मा जी का 50वां जन्मोत्सव सिर्फ जन्मदिन नहीं, बल्कि संगठनात्मक इतिहास का हिस्सा बन गया। इस आयोजन ने स्पष्ट संदेश दिया कि धर्म केवल पूजा-अर्चना नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने और मजबूत बनाने की प्रक्रिया भी है। ऐसे आयोजनों से भविष्य में नए विचार, नए कार्यक्रम और नए समर्पण जन्म लेते हैं, जो हमें स्थिरता और दिशा देते हैं।


Share this news
Exit mobile version